Jammu-Kashmir: शख्स को पांच साल बाद मिली घर की खिड़की खोलने की अनुमति, अदालत ने कहा- प्राइवेसी हो रही है भंग तो लगवा लो दीवार
Jammu-Kashmir गुलाम नबी शाह ने बताया कि लगभग 25 वर्ष पहले अपना मकान बनाया था और यह उनके पड़ोसी के मकान से ऊंचा है। लगभग पांच वर्ष पूर्व उसके पड़ोसी अब्दुल गनी शेख को एतराज हुआ और उसने जिला अदालत में याचिका दायर की थी। अब्दुल गनी ने आरोप लगाया था कि गुलाम नबी के मकान की छत की ढलान उसके घर-आंगन की तरफ है

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। कश्मीर के बड़गाम के गुलाम नबी शाह को आखिर पांच वर्ष बाद पड़ोसी के घर की तरफ वाली अपने घर की खिड़की खोलने की इजाजत मिल गई है। जम्मू कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट ने उसे राहत देते हुए कहा कि पड़ोसी को अगर को लगता है कि उसके घर की निजता भंग हो रही है तो वह अपने क्षेत्र में दीवार खड़ी कर सकता है।
25 साल बाद बनाया अपना मकान
गुलाम नबी शाह ने बताया कि लगभग 25 वर्ष पहले अपना मकान बनाया था और यह उनके पड़ोसी के मकान से ऊंचा है। लगभग पांच वर्ष पूर्व उसके पड़ोसी अब्दुल गनी शेख को एतराज हुआ और उसने जिला अदालत में याचिका दायर की थी। अब्दुल गनी ने आरोप लगाया था कि गुलाम नबी के मकान की छत की ढलान उसके घर-आंगन की तरफ है और इससे सर्दियों में हिमपात के दौरान मकान की छत पर जमा होने वाली बर्फ उसके घर में गिरेगी और इससे उसे नुकसान होगा। इसके अलावा उसने अपने मकान की जल निकास की पाइपों से निकलने वाले पानी का रुख भी उसके घर की तरफ किया है।
पड़ोसी के घर की खिड़की उसकी ओर खुलने पर जताई आपत्ति
साथ ही पड़ोसी के घर की खिड़की उसकी तरफ खुलने पर आपत्ति जताई थी। 2018 में बड़गाम की जिला अदालत ने अब्दुल गनी शेख के दावे को बरकरार रखते हुए गुलाम नबी शाह को पड़ोसी के घर की तरफ खुलने वाली अपने घर की खिड़की खोलने से रोक दिया था। साथ ही अदालत ने गुलाम नबी शाह को अपने मकान का काम जारी रखने की छूट देते ह़ए कहा था कि वह अपने घर की जलनिकासी की पाइपों को इस तरह से रखे कि उनसे निकलने वाला पानी अब्दुल गनी शेख की संपत्ति की तरफ न जाए और मकान की छत को भी ठीक करे। जिला अदालत के फैसले के खिलाफ गुलाम नबी ने जम्मू कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट में याचिका दायर की। अब्दुल गनी शेख ने हाई कोर्ट में अपना पक्ष नहीं रखा। वह सुनवाई के लिए पेश नहीं हुआ और अदालत ने फैसला सुना दिया।
निजता का उल्लंघन होगा, निराधार है: लद्दाख हाई कोर्ट
जम्मू कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अदालत यह सोचने में विफल है कि याचिकाकर्ता के पड़ोसी के कौन से अधिकारों का कैसे और किस तरह उल्लंघन किया जा रहा है। निस्संदेह, याचिकाकर्ता को अपनी संपत्ति पर खिड़कियां खोलने का अधिकार है, भले ही उसका मुंह प्रतिवादी के घर की ओर ही क्यों ना हो? पड़ोसी का यह तर्क कि खिड़की खोलने से उसकी निजता का उल्लंघन होगा, निराधार है।
जम्मू कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट
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