अहम के टकराव और उपेक्षा के ‘भय’ में फंसा भाजपा विधायक दल के नेता का चुनाव, इन दिग्गजों की अनदेखी संभव नहीं
जम्मू-कश्मीर में भाजपा विधायक दल के नेता और डिप्टी स्पीकर के चयन में देरी के पीछे अहम के टकराव और उपेक्षा का डर है। पार्टी सर्वसम्मति से निर्णय लेना चाहती है लेकिन अलग-अलग गुटों के हितों को साधना चुनौतीपूर्ण है। विधायक दल का नेता कौन होगा और डिप्टी स्पीकर के लिए किसे चुना जाएगा यह अभी भी तय नहीं हुआ है।

राज्य ब्यूरो, जम्मू। केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर प्रदेश की पहली विधानसभा का गठन हो चुका है। पहला विधानसभा सत्र चंद दिनों बाद शुरू होने जा रहा है, लेकिन भाजपा अभी तक न अपना विधायक दल का नेता तय कर पायी है और न डिप्टी स्पीकर पद के लिए अपने उम्मीदवार पर निर्णय ले रही है।
भाजपा की प्रदेश इकाई के नेता और विधायक इन मुद्दों लेकर यह कहकर बच निकलने का प्रयास करते हैं कि अभी बहुत समय है। इस बीच, भाजपा से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, कुछ वरिष्ठ नेताओं में अहम के टकराव या उपेक्षा की भावना को पैदा होने से रोकने के लिए विधायक दल का नेता और डिप्टी स्पीकर के लिए प्रत्याशी का चयन टाला जा रहा है।
उनके मुताबिक, डिप्टी स्पीकर के लिए विधायक आरएस पठानिया और आरएसपुरा-जम्मू दक्षिण सीट से निर्वाचित सरदार नरेंद्र सिंह में से किसी एक के नाम पर सहमति बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
जम्मू-कश्मीर में भाजपा दूसरी सबसे बड़ी पार्टी
विधानसभा चुनाव का परिणाम आठ अक्टूबर को घोषित हुआ था। 16 अक्टूबर को सरकार का गठन हुआ और नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला ने अपने पांच मंत्रियों के साथ शपथ ली। विधानसभा में भाजपा 29 सदस्यों के साथ दूसरी बड़ी पार्टी और प्रमुख विपक्षी दल की भूमिका में है।
सदन में भाजपा विधायकों का नेतृत्व कौन करेगा और डिप्टी स्पीकर पद के लिए भाजपा अपने किस विधायक को मौका देने जा रही है, यह अभी तक रहस्य ही बना हुआ है। विधायक दल के नेता को प्रदेश भाजपा नेताओं के बीच एक बैठक के बाद भाजपा आला कमान ने दो पर्यवेक्षक भी बनाए। उन्हें विधायक दल का नेता चुनने का जिम्मा दिया गया है। प्रदेश भाजपा ने अंतिम निर्णय आला कमान पर छोड़ रखा है।
सर्वसम्मति से विधायक दल का नेता चुनना चाहती है बीजेपी
भाजपा से जुड़े सूत्रों के अनुसार, भाजपा के 29 विधायको में तीन विधायक सुरजीत सिंह सलाथिया, देवेंद्र सिंह राणा और शाम लाल शर्मा नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस छोड़कर आए थे। सुरजीत और शाम लाल कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। देवेंद्र राणा कभी उमर अब्दुल्ला के करीबी और राजनीतिक सलाहकार थे। वह भी पहले एमएलसी और विधायक रह चुके हैं।
यह तीनों न सिर्फ अपने निर्वाचन क्षेत्रों में, बल्कि पूरे जम्मू संभाग में लोगों के बीच मजबूत साख रखते हैं। इसके अलावा आरएसएस और भाजपा में रहकर अपना राजनीतिक कैरियर शुरू करने वाले पूर्व मंत्री सुनील शर्मा, पूर्व मंत्री पवन गुप्ता, पूर्व मंत्री चंद्र प्रकाश गंगा, पूर्व मंत्री डीके मनयाल के अलावा राजीव जसरोटिया और शक्ति परिहार की उपेक्षा पार्टी नहीं करना चाहती। वह सर्वसम्मति से विधायक दल का नेता चुनना चाहती है।
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यह तर्क दिए जा रहे
पार्टी में एक बड़ा वर्ग चाहता है कि विधायक दल का नेता अन्य दलों से भाजपा में आए किसी नेता के बजाय विशुद्ध भाजपाई विधायक को दिया जाए। दूसरी तरफ, पार्टी का एक वर्ग कह रहा है कि अगर अन्य दलों से भाजपा में आए प्रमुख चेहरों की उपेक्षा की जाती है तो उसका असर आगामी पंचायत और नगर निकाय चुनावों पर भी हो सकता है।
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डिप्टी स्पीकर पद के लिए दूसरी बार विधायक बने आरएस पठानिया और सरदार नरेंद्र सिंह में से किसी एक को चुना जा सकता है। पठानिया की कानून और संवैधानिक मामलों की अच्छी जानकारी है। दूसरी तरफ नरेंद्र सिंह सिख समुदाय से हैं और उन्होंने कांग्रेस के दिग्गज माने जाने वाले रमण भल्ला को हराया है। उन्हें डिप्टी स्पीकर बनाकर भाजपा सिख समुदाय में अपनी साख को और मजबूत बनाना चाहेगी।
हाल-फिलहाल बैठक की संभावना नहीं
प्रदेश भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि संगठन में अभी तक विधायक दल के नेता या डिप्टी स्पीकर पद को लेकर निकट भविष्य में किसी बैठक की संभावना नहीं है। यह निर्णय भाजपा आलाकमान द्वारा पर्यवेक्षकों की सिफारिशों के अनुसार ही लिया जाएगा।
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