जम्मू-कश्मीर में पिछले तीन महीने में 8 जवान शहीद और 5 आतंकी ढेर, बढ़ते खतरे के बीच सेना ने बनाई समर स्ट्रैटजी
जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियां फिर से बढ़ने लगी हैं। साल की पहली तिमाही में ही कई आतंकी वारदातें हो चुकी हैं। सुरक्षाबलों ने आतंकियों के मंसूबों को नाकाम करने के लिए अपनी कार्ययोजना शुरू कर दी है। ज्ञात हो कि पिछले तीन महीने में सेना और आतंकियों के बीच 8 मुठभेड़ें हुई हैं। जिसमें 8 जवान शहीद हुए और 5 आतंकी ढेर।

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में मरनासन्न आतंकवाद गर्मियों में फिर से जिंदा हो सकता है। मौजूदा वर्ष के पहले तीन माह के दौरान जिस तरह से आतंकियों ने कठुआ से लेकर कुपवाड़ा तक विभिन्न वारदातों को अंजाम दिया है, वह इसी खतरे की तरफ संकेत करता है।
अलबत्ता, सुरक्षा एजेंसियों ने आतंकी खतरे और हाल ही में हुई विभिन्न आतंकी वारदातों का आकलन करते हुए किसी भी आतंकी षड्यंत्र को विफल बनाने की अपनी कार्ययोजना को लागू करना शुरू कर दिया है।
पहली जनवरी से 31 मार्च तक नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा से लेकर प्रदेश के विभिन्न आंतरिक इलाकों में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच लगभग आठ बार मुठभेड़ हो चुकी हैं और इनमें से अधिकांश मुठभेड़ सुरक्षाबलों द्वारा चलाए गए आतंकरोधी अभियान के दौरान हुई हैं।
उत्तरी कश्मीर के जालूरा, सोपोर में 19 जनवरी को सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ में एक सैन्यकर्मी पंगाला कार्तिक वीरगति को प्राप्त हुआ है।
17 मार्च को क्रमहोरा राजवार हंदवाड़ा मुठभेड़ में एक विदेशी आतंकी मारा गया, जबकि एक पुलिसकर्मी घायल हो गया। पुंछ के खडी करमारा में जनवरी में दो आतंकियों को सुरक्षाबलों ने मार गिराया। बारामूला के पट्टन में आतंकियों ने सेना की 163 टेरिटोरियल आर्मी के एक शिविर पर हमला किया। इस हमले में सेना का एक एमआई रूम क्षतिग्रस्त हुआ।
इस हमले में लिप्त तीन स्थानीय आतंकियों को भी गिरफ्तार किया जा चुका है। दक्षिण कश्मीर के बेहीबाग कुलगाम में आतंकियों ने एक पूर्व सैनिक मंजूर अहमद वागे की उसके घर में दाखिल होकर हत्या कर दी। इस हमले में बलिदानी वागे की पत्नी और भतीजी घायल हुई थी।
कुपवाड़ा के करनाह, टंगडार, नौगाम और बारामूला के उड़ी सेक्टर में पांच बार कथित तौर पर गुलाम-जम्मू कश्मीर (PoK) से आतंकियों ने घुसपैठ का प्रयास किया, लेकिन सेना के सतर्क जवानों ने आतंकी मंसूबो को विफल कर दिया।
आतंकियों ने अपने नुकसान से बचने का प्रयास करते हुए, सुरक्षाबलों व आम लोगों को ज्यादा से ज्यादा नुकसान पहुंचाने के षड्यंत्र के तहत कश्मीर घाटी में और श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर लगभग 10 शक्तिशाली आइईडी लगाई। इनमें से दो आइईडी जनवरी मे सुरक्षाबलों ने निष्क्रिय की जबकि दो आईडी को 18 फरवरी को जिला शोपियां व पुलवामा में निष्क्रिय कर नष्ट किया गया।
सुरक्षाबलों ने 16 मार्च से 29 मार्च तक छह आइईडी को बरामद कर नष्ट किया। यह बांदीपोर, पुलवामा, त्राल, शोपियां व कुलगाम के अलावा श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर रामसू रामबन में लगाई गई थी।
आईईडी विस्फोट में छह घायल
मिली जानकारी के अनुसार, एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भी इस दौरान संघर्ष विराम के उल्लंघन की छिट पुट घटनाओं के बीच आतंकियों ने कई बार घुसपैठ का प्रयास किया। राजौरी के भवानी इलाके में, एक आइईडी विस्फोट में छह सैन्यकर्मी घायल हो गए।
नौशेरा सेक्टर में सीमा पार से स्नाइपर हमले में एक सैनिक पूरन सिंह घायल हो गया, जबकि अखनूर में इसी तरह की घटना में एक अन्य सैनिक घायल हो गया। अखनूर सेक्टर में ही सीमा पार से आए आतंकियों द्वारा लगाई गई एक आइईडी की चपेट में आकर एक कैप्टन सहित दो सैनिक बलिदानी हो गए।
पुंछ में एक स्नाइपर हमले में एक सैनिक घायल हुआ है। पुंछ में नियंत्रण रेखा के पास नकरकोट इलाके में एक और आईईडी विस्फोट हुआ।
बढ़ती आतंकी गतिविधियों में सबसे सनसनीखेज घटना जिला कठुआ में अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ सटे सनयाल हीरानगर में 23 मार्च को पांच आतंकियों की घुसपैठ है।
यह आतंकी एक संक्षिप्त मुठभेड़ के दौरान सुरक्षाबलों की घेराबंदी तोड़ भागने में कामयाब रहे। लगभग तीन दिन बाद सनयाल से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर सफैन में सुरक्षाबलों ने इन आतंकियों को घेर लिया।
इसके बाद मुठभेड़ हेड कांस्टेबल जगबीर सिंह और सिलेक्शन ग्रेड कांस्टेबल तारिक अहमद, बलविंदर सिंह चिब और जसवंत सिंह सहित चार पुलिसकर्मी बलिदानी हो गए।
'इस बार जम्मू-कश्मीर में गर्म रह सकता है मौसम'
डीएसपी रैंक के एक अधिकारी समेत सात सुरक्षाकर्मी घायल हो गए। दो आतंकी मारे गए जबकि अन्य भाग निकले और उनके खिलाफ अभी भी अभियान जारी है। जम्मू-कश्मीर मामलों के जानकार रमीज मखदूमी ने कहा कि यह घटनाएं बताती हैं कि कश्मीर में मरनासन्न आतंक को जिंदा करने के लिए सीमा पार हर संभव षड्यंत्र रचा जा रहा है।
वैसे भी गर्मियों के दौरान विशेषकर जब कश्मीर में पर्यटन सीजन शुरू होने वाला होता है या पर्यटन सीजन शुरू होता है। आतंकी आम लोगों में डर व असुरक्षा का वातावरण पैदा करने के लिए कुछ सनसनीखेज वारदातें करते हैं, लेकिन इस बार जो जनवरी से लेकर मार्च तक हुआ है, उसके आधार पर कहा जा सकता है कि जम्मू-कश्मीर में गर्मी का मौसम गर्म रह सकता है।
'हमें दुश्मन के ठिकाने पता हैं'
जम्मू कश्मीर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हमें अपने दुश्मन के षड्यंत्रों का पता है। हम किसी भी चुनौती से निपटने के लिए पूरी तरह समर्थ हैं। आतंकियों के मंसूबों को भांपते हुए सुरक्षा, शांति और विश्वास का वातावरण बनाए रखने के लिए हमने अपनी समर स्ट्रैटजी काम शुरू कर दिया है।
आतंकियों के सभी नए पुराने और संदिग्ध ओवरग्राउंड वर्करों की निगरानी की जा रही है। ऑन ग्राउंड खुफिया तंत्र को पूरी तरह से क्रियाशील बनाया गया है। सभी संबंधित सुरक्षा एजेंसियों के बीच रियल टाइम के आधार पर आवश्यक सूचनाओं का आदान प्रदान सुनिश्चित करते हुए, आतंकरोधी अभियान तेज किए गए हैं।

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