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    जम्मू-कश्मीर के विधायकों को 3 महीने बाद मिला पहला वेतन, जानिए क्यों किया गया ऐसा?

    Updated: Tue, 07 Jan 2025 12:18 PM (IST)

    Jammu Kashmir News जम्मू-कश्मीर के विधायकों को तीन महीने के बाद पहला वेतन मिला है लेकिन यह केवल एक महीने का है। उन्हें निर्वाचन क्षेत्र विकास निधि (सीडीएफ) के लिए अगले वित्त वर्ष तक इंतजार करना होगा। विधायकों के वेतन और भत्तों को अभी तय किया जाना है और यह अधिकार उपराज्यपाल मनोज सिन्हा (LG Manoj Sinha) के पास है।

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    जम्मू-कश्मीर के विधायकों को मिला पहला वेतन (फोटो- सोशल मीडिया)

    राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर की पहली विधानसभा के सदस्यों को पहला वेतन मिल गया है। तीन माह बाद और वह भी सिर्फ एक माह के लिए पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य में विधायकों के लिए तय वेतनमान के आधार पर।

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    अलबत्ता, उन्हें निर्वाचन क्षेत्र विकास निधि (सीडीएफ) के लिए अभी इंतजार करना होगा। उन्हें सीडीएफ वर्ष 2025-26 के वित्त वर्ष में बजटीय प्रविधान के आधार पर ही मिलेगा। यह तय नहीं कि उन्हें हर वर्ष तीन करोड़ मिलेंगे या फिर उनकी सीडीएफ की राशि में किसी तरह की कटौती होगी।

    अक्टूबर में गठित हुई थी विधानसभा

    केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में पहली विधानसभा का गठन अक्टूबर 2024 में हुआ है। जम्मू कश्मीर विधानसभा में 90 निर्वाचित और पांच नामित विधायकों का प्रविधान है। मौजूदा समय में 88 विधायक हैं। प्रदेश के वार्षिक बजट 2024-25 में विधायकों के वेतन और सीडीएफ के लिए कोई बजटीय प्रविधान नहीं रखा है। वर्ष 2025-26 के बजट को फरवरी 2024 में बजट सत्र के दौरान मंजूरी मिलेगी।

    वेतन और भत्ते तय करने का अधिकार एलजी के पास

    संबंधित अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री और उनके कैबिनेट सहयोगियों और विधायकों को वेतन पांच अगस्त 2019 से पहले के जम्मू कश्मीर राज्य में विधायकों और मंत्रियों के लिए तय वेतनमान के आधार पर प्रदान किया है। विधायकों का कुल मासिक वेतन उनके भत्तों समेत 1.6 लाख है।

    पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य में विधायकों को तीन करोड़ प्रतिवर्ष सीडीएफ की मद में आबंटित किए जाते रहे हैं। जम्मू कश्मीर में विधायकों के लिए वेतन और भत्तों को अभी तय किया जाना है।

    इसका अंतिम अधिकार उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के पास है। प्रदेश कैबिनेट ने विधायकों के वेतन और भत्तों में बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव उपराज्यपाल को भेजा है,लेकिन उस पर कथित तौर पर प्रगति नहीं हुई है।

    स्पीकर राथर ने भी लिखा था पत्र

    विधानसभा के स्पीकर अब्दुल रहीम राथर ने गत माह इस विषय में एक पत्र भी जम्मू कश्मीर सरकार को लिखकर, स्थिति स्पष्ट करने का आग्रह किया था। उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में विधायकों के लिए वेतन जारी कर दिया है।

    अब यह नियमित रूप से जारी होगा, लेकिन सीडीएफ अगले वित्त वर्ष पहली अप्रैल से ही जारी किया जाएगा। मौजूदा वित्त वर्ष के समाप्त होने में अब सिर्फ तीन माह ही हैं। वार्षिक बजट 2024-25 को जारी करने के समय बजट में विधायकों के वेतन और सीडीएफ का प्रविधान नहीं किया था। उस समय जम्मू कश्मीर में विधानसभा नहीं थी।

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    285 करोड़ का प्रविधान कर सकती है सरकार

    आगामी वित्त वर्ष के बजट में सरकार सीडीएफ की मद में 285 करोड़ का प्रविधान कर सकती है,क्योंकि नामांकन कोटे के विधायकों को तब तक नामित किए जाने के अलावा विधानसभा की दो रिक्त सीट पर उपचुनाव संपन्न होने की उम्मीद है।

    यह भी तय किया जाना है कि सीडीएफ की राशि अक्टूबर 2024 से जारी की जाएगी या फिर अप्रैल 2025 से। अप्रैल 2018 से पहले ब्लाक विकास परिषद नहीं थी। 2018 में पंचायत चुनाव के बाद ब्लाक विकास परिषदें बनीं और उनके लगभग दो वर्ष वर्ष जिला विकास परिषदों का गठन हुआ है।

    इन संस्थानों की अनुपस्थिति में ग्रामीण हल्कों के विकास की राशि को भी विधायकों के जरिए खर्च किया जाता रहा है। अब यहां जिला विकास परिषदों के निर्वाचित सदस्य हैं।

    जम्मू कश्मीर में निकट भविष्य में पंचायत चुनाव कराए जाएंगे और त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था रहेगी, ऐसे में विधायकों के लिए तीन करोड़ के वार्षिक सीडीएफ में बढ़ोत्तरी के बजाय कटौती की संभावना ज्यादा है, क्योंकि जिला विकास परिषद के सदस्यों को भी विकास निधि आवंटित की जानी होती है।

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