Kashmir News: सरकारी बंगले पर कब्जा जमाए बैठे थे पूर्व मेयर मट्टू, खाली करवाने के लिए सरकार को उठाना पड़ा यह कदम
श्रीनगर के पूर्व महापौर जुनैद अज़ीम मट्टू को जम्मू कश्मीर सरकार ने 15 जुलाई तक सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस दिया है। यह बंगला श्रीनगर के चर्चलेन में स्थित है जो उन्हें महापौर बनने पर आवंटित किया गया था। आवंटन अप्रैल 2019 तक ही वैध था लेकिन महापौर पद से हटने के बाद भी उन्होंने बंगले पर कब्जा बनाए रखा।

राज्य ब्यूरो,जागरण, श्रीनगर। श्रीनगर के पूर्व महापौर जुनैद अजीम मट्टू भी उन माननीयों की कतार में शामिल हैं, जिन्होंने अवैध रूप से सरकारी बंगले पर कथित तौर पर कब्जा कर रखा है।
जम्मू कश्मीर प्रदेश सरकार ने इसका संज्ञान लेते हुए उन्हें 15 जुलाई तक बंगला खाली करने का नोटिस दिया है। यह बंगला श्रीनगर के चर्चलेन में है। चर्चलेन में ही सर्किट हाऊस व एक दर्जन सरकारी बंगले हैं।
जुनैद अजीम मट्टू जो लगभग 12 साल के अपने राजनीतिक कैरियर में अब तक पीपुल्स कान्फ्रेंस, नेशनल कान्फ्रेंस और जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी का चक्कर लगा चुके हैं। वर्ष 2018 में बतौर निर्दलीय उम्मीदवार श्रीनगर के मेयर बने थे।
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उनके चुनाव से पहले ही तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कथित तौर पर कहा था कि श्रीनगर का मेयर एक युवा होगा और कुछ ही समय बादजुनैद अजीम मट्टू ने नेशनल कान्फ्रेंस से इस्तीफा देकर चुनाव लड़ने का एलान किया था।
जम्मू कश्मीर सपंदा विभाग के अनुसार, जुनैद अजीम मट्टू को श्रीनगर का महापौर बनने पर नवंबर 2018 में चर्च लेन, सोनावर स्थित सरकारी आवास संख्या एचआेडी-3 आवंटित किया गया था। इसका आवंटन केवल अप्रैल 2019 तक वैध था।
अधिकारिक रिकार्ड के अनुसार, अप्रैल 2019 के बाद उन्हें इसमें रहने के लिए विस्तार प्राप्त करना था,लेकिन ऐसा कोई विस्तार संपदा विभाग ने प्रदान नहीं किया। महापौर पद सेमुक्त होने के बाद भी उन्होंने यह बंगला अपने पास रखा है। उन्होंने इस पर अनाधिकृत कब्जा कर रहा है।
पूर्व महापौर को कई बार बंगला खाली करने के लिए नोटिस भेजा गया है, उन्हें इसके लिए विभिन्न माध्यमों से भी सूचित किया गया,लेकिन उन्होंने बंगला खाली नहीं किया। जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय ने भी एक फैसले में उनसे बंगला खाली कराने को कहा।
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इसलिए अब उन्हें अंतिम नोटिस देकर 15 जुलाई, 2025 तक बंगला खाली करने या अपने कब्जे को सही ठहराने वाले दस्तावेजी सबूत पेश करने को कहा गया है। अनुपालन में विफलता के परिणामस्वरूप जम्मू-कश्मीर सार्वजनिक परिसर (अनधिकृत रहने वालों की बेदखली) अधिनियम, 1988 के तहत औपचारिक बेदखली की कार्यवाही की जाएगी।
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