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    Ladakh में 24,658 फुट उंची ममोस्तांग कांगड़ी चोटी को जीतने निकले भारतीय सैनिक, हाल ही में खोजी गई थी

    Updated: Thu, 10 Jul 2025 08:04 PM (IST)

    लद्दाख में तैनात भारत के वीर सैनिक दुर्गम ममोस्तांग कांगड़ी चोटी पर चढ़ाई कर रहे हैं। वे व्यापार के पारंपरिक सिल्क रूट पर भी कठिन यात्रा कर रहे हैं। जवान सीमाओं की रक्षा के लिए कठिन बाधाओं को पार करने का संदेश दे रहे हैं। फायर एंड फ्यूरी कोर के चीफ आफ स्टाफ ने पर्वतारोहियों के दल को रवाना किया जो 20 दिनों में चोटी पर चढ़ने का प्रयास करेंगे।

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    यह चोटी लद्दाख में पर्यटन को बढ़ावा देगी।

    राज्य ब्यूरो, जागरण, जम्मू। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख की सुरक्षा में तैनात सेना की फायर एंड फ्यूरी के वीर सैनिक क्षेत्र की दुर्गम चोटियों पर चढ़ाई कर देश की सीमाओं की रक्षा करने के लिए अपना उच्च मनोबल दिखा रहे हैं।

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    इस समय सेना के जवानों के दल लद्दाख में 24,658 फुट उंची ममोस्तांग कांगड़ी चोटी पर चढ़ाई करने के साथ व्यापार के पारंपरिक सिल्क रूप पर 264 किलोमीटर की कठिन यात्रा कर रहे हैं। लद्दाख के दुगर्म इलाकों में इन साहसिक अभियानों के माध्यमों से भारतीय सैनिक विश्व का यह संदेश देंगे कि दुश्मन से सीमाओं की रक्षा करने के लिए वे कठिन से कठिन बाधा को पार कर सकते हैं।

    फायर एंड फ्यूरी कोर के चीफ आफ स्टाफ मेजर जनरल दिनेश कुमार सिंह ने वीरवार को सेना के 12 पर्वतारोहियों के दल को ममोस्तांग कांगड़ी चोटी पर जीत हासिल करने के लिए रवाना किया। पर्वतारोहण में महारत रखने वाले इन वीर सैनिकों की टीम अगले 20 दिनों में ममोस्तांग कांगड़ी चोटी की एक खतरनाक चोटी पर चढ़ने का प्रयास करेगी। इस चोटी को हाल ही में खोजा गया है।

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    ममोस्तांग कांगड़ी लद्दाख क्षेत्र की उन चोटियों में से एक है जो 7500 मीटर से भी उंची हैं। इस चोटी पर सैनिकों की चढ़ाई से विश्व भर के उत्साही पर्वतारोही लद्दाख आने के लिए आकर्षित होंगे। इससे क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।

    यह चोटी लद्दाख में पूर्वी काराकोरम पर्वतमाला के रिमो ग्लेशियर के दुर्गम क्षेत्र में 7,516 मीटर की उंचाई पर स्थित है। इसे जीतने के लिए सेना ने एक चुनौतीपूर्ण अभियान की शुरुआत की। यह रिमो मुजताग क्षेत्र की सबसे उंची चोटी है। इसकी खड़ी ढलान, ग्लेशियर व खतरनाक चढ़ाई भारतीय सैनिकों के हौसले को आजमाएंगी।

    इस अभियान से पहले सेना की फायर एंड फ्यूरी कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल हितेश भल्ला ने सैनिकों के एक दल को ऐतिहासिक सिल्क रूट पर ट्रेकिंग के लिए रवाना किया था। सिल्क रूट मध्य एशिया से चीन तक व्यापार करने के लिए सदियों पुराना व्यापार मार्ग है।

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    बर्फीली हवाओं, कम आक्सीजन के माहौल में इस अभियान के दौरान भारतीय सैनिक क्षेत्र में 11,000 से 18,000 फुट तक की उंचाई पर 12 दिनों में 264 किलोमीटर की कठिन यात्रा तय करेंगे।

    भारतीय सेना का यह अभियान सैनिकों की शारीरिक सहनशक्ति की परीक्षा से कहीं बढ़कर, भारत की समृद्ध और कालातीत विरासत को एक श्रद्धांजलि है।