जम्मू-कश्मीर: पाक के ड्रोन को हवा में ही मार गिराएंगे भारत के 'हंटर-किलर', बॉर्डर पर AI तकनीक से होगी निगरानी
भारतीय सेना ने सीमा पार से दुश्मन के ड्रोन हमलों से निपटने के लिए स्वदेशी तकनीक विकसित की है। टाइगर वायु रक्षक अटैक सिस्टम (टिवरा) नाम की यह प्रणाली एक किलोग्राम विस्फोटक ले जा सकेगी और दुश्मन के ड्रोन को हवा में ही मार गिराएगी। टिवरा का सफल परीक्षण हो चुका है और इसे जल्द ही सेना में शामिल किया जा सकता है।

विवेक सिंह, जम्मू। सीमा पार से दुश्मन के ड्रोन हमलों से निपटने के लिए सेना अपनी स्वदेशी तकनीक के साथ तैयार है। दुश्मन ने ड्रोन से हमले की नापाक साजिश रची तो सेना की टाइगर डिवीजन की हंटर-किलर ड्रोन की जोड़ी मिलकर उसे हवा में ही मार गिराएगी।
जम्मू में अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाली सेना की टाइगर डिवीजन ने इस उन्नत रक्षा प्रणाली टाइगर वायु रक्षक अटैक सिस्टम ( टि्वरा) का डिजाइन तैयार किया है। यह एक किलोग्राम विस्फोटक ले जा सकेगा।
इस उन्नत ड्रोन प्रणाली में एक टोही ड्रोन लक्ष्य का पता लगाने के लिए टोही मिशन पर उड़ता है और खतरे को भांपते ही लक्ष्य की जानकारी दूसरे किल्लर ड्रोन को भेजता है और यह तुरंत उसे इसे निशाना बनाने के लिए हरकत में आ जाता है।
आतंकी हमलों के निपटारे में मिलेगी मदद
सेना का यह नवाचार भविष्य में युद्ध या आतंकी हमलों की स्थिति में काफी कारगर साबित हो सकता है। सेना अब इसके उत्पादन के लिए विभिन्न एजेंसियों से संपर्क साध रही है। सूत्रों के अनुसार इस वायु रक्षा प्रणाली का परीक्षण भी सफल रहा है।
वर्ष 2021 में जम्मू में टाइगर डिवीजन मुख्यायल के पास जम्मू एयरफोर्स स्टेशन पर दो ड्रोन से हमला किया गया था। इस हमले में दो वायुसैनिक घायल हुए थे। उसके बाद से सेना ने एंटी ड्रोन प्रणाली पर तेजी से काम शुरू किया है।
फोटो कैप्शन: सैन्य अधिकारी को सम्मानित करते सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेद्वी। सौजन्य - डिफेंस पीआरओ
ऐसे हमलों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया टिवरा भविष्य की ड्रोन चुनौतियों का सामना करने में अहम भूमिका निभाएगी। सैन्य सूत्रों के अनुसार टाइगर वायु रक्षक अटैक सिस्टम का परीक्षण सफल रहा है।
रूस-युक्रेन युद्ध हो या इस्राइल-फलस्तीन संघर्ष ड्रोन हमले काफी कारगर साबित हो रहे हैं। इसके साथ ही एंटी ड्रोन प्रणाली की आवश्यकता महसूस की जा रही है। यही वजह है कि सर्व प्रथम पश्चिमी सीमा पर तैनात किया जा सकता है।
ड्रोन हमले के लिए तैयार
भविष्य में इस अटैक सिस्टम का इस्तेमाल दुश्मन द्वारा ड्रोन के स्वार्म ( झुंड) अटैक का सामना करने के लिए भी हो सकता है। ऐसे में नए वर्ष में भारतीय सेना इसे अपने बेड़े में शामिल करने की दिशा में कार्रवाई कर सकती है।
स्वार्म अटैक (SWARM Attack) में ड्रोन का एक झुंड एक साथ हमला करता है। विश्व के कई हिस्सों में ड्रोन के समूह का इस्तेमाल स्वार्म अटैक के लिए किया जा चुका है। ऐसे में टिवरा युद्ध के मैदान में मानवरहित हवाई प्रणालियों के भविष्य को नए सिरे से परिभाषित करने की दिशा में पहल है।
सेना के अधिकारी ने किया डिजाइन
टाइगर वायु रक्षक अटैक सिस्टम को सेना की रायजिंग स्टार कोर की टाइगर डिवीजन के अधिकारी मेजर अनमोल टंडन ने तैयार किया है। दिल्ली में नवाचार योद्धा कार्यक्रम के दौरान अपनी प्रदर्शित टाइगर वायु रक्षक अटैक प्रणाली में सेना ने बड़ी दिलचस्पी दिखाई है।
फोटो कैप्शन: सैन्य प्रमुख को इस नवाचार के बारे में जानकारी देते सैन्य अधिकारी। सौजन्य - डिफेंस पीआरओ
इस समय इस प्रणाली को सेना की जरूरतों के अनुसार बड़ी संख्या में तैयार करने के विकल्पों पर विचार हो रहा है। इस अटैक सिस्टम के सेना में शामिल होने पर जम्मू कश्मीर, लद्दाख जैसे सीमांत प्रदेशों में इसका इस्तेमाल सीमा पार से दुश्मन द्वारा पैदा की जाने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए होगा।
टाइगर वायु रक्षक अटैक सिस्टम (टिवरा) एक अत्याधुनिक मानव-मानव रहित टीम तकनीक पर आधारित है। इसे आधुनिक युद्धक्षेत्र में दक्षता के लिए डिजाइन किया गया है। इस तकनीक में हंटर व किलर ड्रोन मिलकर दुश्मन के ड्रोन का पता लगाने के साथ उसे मार गिराने के लिए त्वरित प्रहार करते हैं।
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इस तकनीक में हंटर ड्रोन हवा में दुश्मन के ड्रोन काे तलाश ऑपरेटर को लाइव फुटेज स्ट्रीम करता है। हंटर ड्रोन द्वारा संभावित लक्ष्य की पहचान कर लेने के बाद ऑपरेटर तय लक्ष्य पर हमला करने के लिए किलर ड्रोन को भेजता है।
किलर ड्रोन अपने लक्ष्य को लाक कर उस पर मारक प्रहार करने के लिए हरकत में आ जाता है। किलर ड्रोन एक किलो बिस्फोटक के साथ दुश्मन के ड्रोन से टकराकर उसे तबाह कर देता है।
एआइ आधारित होगी प्रणाली
यह प्रणाली आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) से लैस होगी और ऐसे में स्वयं आसपान में इसे दुश्मन के हमले से पहले भी सक्रिय किया जा सकता हे और खतरा देख तुंरत किलर को सक्रिय कर देगा।
यह स्वयं लक्ष्य तलाशने, वास्तविक समय पर त्वरित निर्णय लेने में भी सहयोग करेगा और अपने स्तर पर भी दुश्मन पर हमला करने में सक्षम है।
सैन्य सूत्रों के अनुसार थलसेना अध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार की गई इस अटैक सिस्टम से प्रभावित हुए हैं।
उन्होंने नवाचार योद्धा कार्यक्रम के दौरान इस तैयार करने वाले मेजर अनमोल टंडन से सिस्टम के बारे में सारी जानकारी हासिल करने के साथ भविष्य की युद्ध चुनौतियों का सामना करने के लिए इस अहम नवाचार की सराहना की है।
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