Kulgam Encounter: दिन में खामोश और रात में गोलीबारी कर रहे आतंकी, जहां मुठभेड़ चल रही वह क्षेत्र बेहद दुर्गम
कुलगाम जिला के अक्खाल के जंगल में शुक्रवार को लगातार आठवें दिन भी सुरक्षाबल और आतंकियों के बीच रुक- रुक कर गोलीबारी जारी रही। सूत्रों के अनुसार आतंकी दिन के समय फायर करने से बच रहे हैं और रात होते ही वह घेराबंदी तोड़कर भागने का प्रयास करने के लिए गोलीबारी करते हैं। जिस क्षेत्र में आतंकी छिपे हैं वह अत्यंत दुर्गम है।

राज्य ब्यूरो, जागरण, श्रीनगर। कुलगाम जिला के अक्खाल के जंगल में शुक्रवार को लगातार आठवें दिन भी सुरक्षाबल और आतंकियों के बीच रुक- रुक कर गोलीबारी जारी रही।
जहां मुठभेड़ चल रही वह क्षेत्र अत्यंत दुर्गम
सूत्रों के अनुसार, आतंकी दिन के समय फायर करने से बच रहे हैं और रात होते ही वह घेराबंदी तोड़कर भागने का प्रयास करने के लिए गोलीबारी करते हैं। जिस क्षेत्र में आतंकी छिपे हैं, वह अत्यंत दुर्गम है। वहां घना जंगल, प्राकृतिक गुफाएं, पहाड़, चरागाहें और खानाबदोश समुदाय के डेरे भी हैं।
बताया जा रहा है कि जंगल में कम से कम आठ आतंकी हैं, जिन्होंने तीन अलग-अलग जगह पोजीशन ले रखी है। सुबह भी यहां गोलीबारी हुई है। इस बीच, अभियान के चलते जंगल क्षेत्र में रहने वाले कुछ लोगों को सुरक्षित जगह पहुंचाया गया है।
नौ सुरक्षाकर्मियों के घायल होने की सूचना
इस अभियान में अब तक तीन आतंकियों के मारे जाने और नौ सुरक्षाकर्मियों के घायल होने की सूचना है। आतंकियों को मार गिराने के लिए ड्रोन व हेलीकाप्टर का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवानों सहित सुरक्षा बल व्यापक तलाशी अभियान चला रहे हैं।
आतंकियों के भागने के सभी संभावित रास्तों को बंद करने के लिए अतिरिक्त सुरक्षाबल तैनात किए गए हैं। पुलिस महानिदेशक नलिन प्रभात और सेना की उत्तरी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल प्रतीक शर्मा ने भी गत गुरुवार को कुलगाम का अलग-अलग दौरा कर अभियान का अधिकारियों संग बैठक में जायजा लिया।
आतंकियों ने बदली रणनीति, सुरक्षा बल भी सतर्क
मौजूदा वर्ष में कश्मीर के किसी भीतरी भाग में यह अब तक का सबसे लंबा आतंकरोधी अभियान है, जो आतंकियों की बदली रणनीति और उनके गुरिल्ला युद्ध में प्रशिक्षित होने का संकेत देता है। सुरक्षा एजेंसियों ने भी इसका संज्ञान लेते हुए अपने आतंकरोधी अभियानों में बदलाव लाया है।
सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, कठुआ, डोडा और राजौरी-पुंछ में जिस तरह से बीते कुछ वर्षों में आतंकियों के हमले हुए हैं और जिस तरह से अक्खाल में मुठभेड़ हो रही है, उससे पता चलता कि आतंकी अब एक लंबी गुरिल्ला लड़ाई के लिए जंगलों में ही अपने ठिकाने बना रहे हैं।
जंगल व पहाड़ी इलाके को चुनते हैं आतंकी
अगर पिछले चार वर्षों के दौरान हुए आतंकी हमलों का आकलन करें तो पता चलेगा कि आतंकी एक हमले के बाद दूसरा हमला करने के लिए पूरा समय लेते हैं और जंगल व पहाड़ी इलाके को चुनते हैं।
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