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    डल झील में जलकर खाक हुईं छह हाउसबोट, अब सुरक्षा प्रबंधों पर उठने लगा सवाल; जिंदा जले थे तीन विदेशी पर्यटक

    By Jagran NewsEdited By: Preeti Gupta
    Updated: Fri, 17 Nov 2023 01:19 PM (IST)

    डल झील की कई हाउसबोट में आग लगने की घटना ने सुरक्षा प्रबंधों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इन हाउसबोट में बचाव के नाम पर केवल आग बुझाने वाले उपकरण ही मिलेंगे जो खुद इस्तेमाल करने होंगे। डलवासियों की मांग है कि झील में ही फायर स्टेशन स्थापित करना चाहिए था या फिर झील के विभिन्न स्थानों पर एनडीआरएफ टीमों की तरह दमकल कर्मचारियों को तैनात किया जाना चाहिए।

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    डल झील के हाउसबोट में लगी आग पर अब सुरक्षा प्रबंधों पर उठने लगा सवाल

    रजिया नूर, श्रीनगर। Dal Lake Fire accident: कश्मीर घूमने आने वाले पर्यटकों में शायद ही ऐसा कोई होगा, जिसे डल झील में खूबसूरत हाउसबोट में ठहरकर झील को निहारने की तमन्ना न हो। लकड़ी के इन घरों में भौतिक सुविधाओं की हर चीज मिलेगी, लेकिन दीवाली से एक दिन पहले आग लगने की घटना ने सुरक्षा प्रबंधों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इन हाउसबोट में बचाव के नाम पर केवल आग बुझाने वाले उपकरण ही मिलेंगे जो खुद इस्तेमाल करने होंगे।

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    पांच हाउसबोटों समेत आठ ढांचे जले

    बता दें कि झील के घाट संख्या नौ के निकट 11 नवंबर को आग की घटना में पांच हाउसबोटों समेत आठ ढांचे जल गए थे। इस घटना में तीन विदेशी पर्यटकों की मौत हो गई थी। कश्मीर के इतिहास में यह पहली घटना है जब हाउसबोटों में लगी आग में तीन लोगों की मौत हुई हो। श्रीनगर में जब्रवान पहाड़ी के दामन में 18 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैली डल झील में डल में 750 हाउसबोट हैं।

    झील में रहते हैं 50 हजार से अधिक लोग

    झील में 50 हजार से अधिक लोग रहते हैं। डल में खड़े लकड़ी के छोटे-छोटे घरों में रहने वाली यह आबादी शिकारों व छोटी नावों के माध्यम से शहर व कश्मीर के अन्य हिस्सों से जुड़ी हुई है। सुविधा व सुरक्षा के लिए झील के इर्द गिर्द पुलिस की गोताखोर टीमें तथा एनडीआरएफ दिन-रात उपलब्ध हैं, लेकिन आग लगने पर दमकल विभाग पर निर्भर रहना पड़ता है। डल के हाउसबोटों में आग लगने की कई घटनाएं हो चुकी हैं। प्रशासन ने प्रत्येक हाउसबोट में आग बुझाने का यंत्र लगाना अनिवार्य है। डल की इन बस्तियों में आग से बचाव की सुविधा नहीं है।

    डलवासियों ने की झील में ही फायर स्टेशन स्थापित करने की मांग

    डलवासियों की मांग है कि झील में ही फायर स्टेशन स्थापित करना चाहिए था या फिर झील के विभिन्न स्थानों पर एनडीआरएफ टीमों की तरह दमकल कर्मचारियों को तैनात किया जाना चाहिए। दमकल विभाग का कहना है कि डल के इर्द गिर्द आग बुझाने का ढांचा बढ़ाने के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा है। विभाग के सहायक निदेशक मीर आकिब हुसैन ने कहा कि डल झील के लिए विभाग के दो केंद्र काम कर रहे हैं। एक डलगेट और एक नगीन में।

    डलगेट स्टेशन में नौ बोट

    डलगेट स्टेशन में नौ बोट, जिनमें दो रेस्क्यू बोट और सात फायर फाइटिंग बोट , उपलब्ध हैं। नगीन स्टेशन में दो नाव हैं। डल के क्षेत्रफल और आबादी के लिहाज से यह ढांचा कम है। दोनों स्टेशन सही जगह पर स्थापित नहीं हैं। हमने प्रशासन से दोनों स्टेशन उचित स्थानों पर स्थापित करने और दमकल कर्मचारियों, रेस्क्यू व फायर फाइटिंग बोट की संख्या का आग्रह किया है।

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    हाउसबोट में आग लगने के ये बड़े कारण

    प्रत्येक हाउसबोट के बीच 15 फीट का फासला होना चाहिए, लेकिन हाउसबोट मालिक इसका पालन नहीं करते। इससे आग एक हाउसबोट से दूसरे तक तेजी से फैल जाती है। हाउसबोटों में फायर रेजिस्टेंट पेंट (आग प्रतिरोधक रंग व रोगन) अनिवार्य होना चाहिए, लेकिन हाउसबोट वाले हाउसबोटों को आकर्षक बनाने के लिए इन पर वार्निश एवं उस प्रकार का रंग व रोगन करते हैं जो आग में पेट्रोल का काम करता है। आग बुझाने के उपकरण की तरह प्रत्येक हाउसबोटो में एक कंटेनमेंट पोर्टेबल पंप भी होना चाहिए ताकि दमकल कर्मियों के पहुंचने से पहले बचाव कार्य शुरू किया जा सके।

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