दरक गया अलगाववादियों का किला! फरीदा बहनजी ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से तोड़ा नाता; देश के खिलाफ लड़कियों को भड़काती थी
जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद को बड़ा झटका जम्मू-कश्मीर मास मूवमेंट की अध्यक्ष फरीदा बहनजी ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के दोनों गुटों समेत किसी भी राष्ट्रविरोधी संगठन से खुद को अलग कर लिया है। उन्होंने हलफनामा देकर कहा कि वह ऐसे किसी भी संगठन से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कोई नाता नहीं रखती हैं। यह घोषणा कश्मीर में अलगाववाद के कमजोर होने और राष्ट्रीय मुख्यधारा की ओर बढ़ते कदमों का संकेत है।
नवीन नवाज, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी टीम का गुरुवार को एक बड़ा विकेट गिर गया। जम्मू-कश्मीर मास मूवमेंट की अध्यक्ष फरीदा बहनजी ने आज हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के दोनों गुटों समेत देश-विदेश में सक्रिय किसी भी राष्ट्रविरोधी संगठन से खुद को अलग करने का एलान किया।
उन्होंने हलफनामा देकर कहा कि वह ऐसे किसी भी संगठन से प्रत्यक्ष परोक्ष रूप से कोई नाता नहीं है, जो किसी भी स्तर पर कश्मीर को भारत का अविभाज्य अंग मानने से इनकार करते हुए इसे किसी भी तरह से विवादित बताता हो।
उल्लेखनीय है कि कश्मीर घाटी में पांच अगस्त 2019 के बाद से परिस्थितियां लगातार बदल रही हैं। अलगाववादियों और आतंकियों से आम कश्मीरियों ने पूरी तरह मुंह मोड़ लिया है। कश्मीर की आजादी और कश्मीर बनेगा पाकिस्तान का नारा देने वालों की अब कोई बात नहीं करता।
अलगाववादी खेमा बदल रहा अपनी नीतियां
अधिकांश अलगाववादी नेता जेलों में बंद हैं और उनके समर्थकों ने उनसे किनारा कर लिया है। पाकिस्तान ने भी कश्मीर में अलगाववादी खेमे से मुंह मोड़ लिया है। आम कश्मीरी अब राष्ट्रीय मुख्यधारा की बात कर रहा है। इससे अलगाववादी खेमा भी अपनी नीतियां बदल रहा है।
विगत कुछ महीनों में 11 अलगाववादी संगठनों ने अलगाववाद से तौबा की है। गत मंगलवार को जब केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह श्रीनगर में थे, दो अलगाववादी संगठनों ने खुद को भारतीय संविधान में आस्थावान बताते हुए राष्ट्रीय एकता अखंडता को बनाए रखने के लिए अपनी संकल्पबद्धता जताई थी।
फरीदा बहनजी खुद जा चुकी है जेल
जम्मू-कश्मीर मास मूवमेंट और उसकी अध्यक्ष फरीदा बहनजी जिसका असली नाम फरीदा डार है, कश्मीर के सबसे पुरानी महिला अलगाववदी नेताओं में एक है। जम्मू-कश्मीर मास मूवमेंट कश्मीर में महिलाओं में विशेषकर छात्राओं में अलगाववादी भावनाओं को भड़काने और उन्हें भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के लिए तैयार करने का काम करती रही है।
मास मूवमेंट की कई कार्यकर्ताओं को पुलिस ने आतंकियों के लिए बतौर कूरियर काम करते हुए, उनके लिए मुखबिरी करते हुए और उनके लिए पैसे जुटाने जैसी गतिविधियों में सलिप्तता के आधार पर भी पकड़ा है। फरीदा बहनजी खुद भी कई बार अलगाववादी गतिविधियों के लिए जेल जा चुकी है।
पाकिस्तान में छुपा है भाई
फरीदा बहनजी का एक भाई बिलाल बेग बीते कई वर्ष से पाकिस्तान में छिपा हुआ है। वह जम्मू-कश्मीर इस्लामिक फ्रंट नामक आतंकी संगठन का कमांडर है और दिल्ली, मुंबई, कोलकाता समेत देश के विभिन्न शहरों में सिलसिलेवार बम विस्फोट की वारदातों में लिप्त रहा है।
उनका एक रिश्तेदार हिलाल बेग जम्मू-कश्मीर स्टूडेंट्स लिबरेशन फ्रंट का कमांडर रहा है। वह 1996 में अपने एक साथी संग श्रीनगर में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारा गया था।
हिलाल और बिलाल दोनों ही कश्मीर के शुरुआती आतंकी कमांडरों में एक हैं। श्रीनगर के अलूचीबाग की रहने वाली फरीदा बहनजी का एक बेटा रूमा डार है और दक्षिण अफ्रीका में रह रहा है।
लड़कियों को दिलाती थी मजहबी तालीम
कश्मीर की अलगाववादी सियासत में फरीदा बहनजी के दबदबे का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी हो या उदारवादी हुर्रियत प्रमुख मीरवाइज मौलवी उमर फारूक या कोई अन्य अलगाववादी नेता या फिर कोई आतंकी कमांडर उनकी उपेक्षा नहीं कर सकता था। वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए भी बड़ा महत्व रखती थी। फरीदा बहनजी ने लड़कियों को मजहबी तालीम देने के लिए भी एक संस्था बना रखी थी।
फरीदा बहन का हर्रियत से नाता तोड़ना बड़ी बात
कश्मीर मामलों के जानकार सलीम रेशी ने कहा कि अब तक जितने भी संगठनों ने अलगाववाद से नाता तोड़ने का एलान किया है, उनमें अभी तक सिर्फ फरीदा बहनजी और उनका संगठन ही सबसे अहम माना जा सकता है। उनका हुर्रियत से अलग होना, कश्मीर में अलगाववादी खेमे पर आईएसआई की पकड़ ढीली होने का भी या फिर यूं कह सकते हैं कि आईएसआई ने भी कश्मीरी अलगाववादियों से नाता तोड़ना शुरू कर दिया है।
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