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    श्रीनगर की हजरतबल दरगाह में अशोक स्तंभ तोड़ा, वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष बोलीं- 'ये लोग आतंकवादी से कम नहीं...'

    Updated: Fri, 05 Sep 2025 07:12 PM (IST)

    श्रीनगर के हजरतबल दरगाह में राष्ट्रीय प्रतीक तोड़े जाने की घटना पर वक्फ बोर्ड की चेयरपर्सन डॉ. द्रख्शां अंद्राबी ने दुख जताया। उन्होंने इसे मुस्लिम समुदाय की भावनाओं का अपमान बताया। ईद-ए-मिलाद पर दरगाह में भीड़ ने रिनोवेशन के बाद लगाए गए राष्ट्रीय प्रतीक को तोड़ दिया क्योंकि उनका मानना था कि मस्जिद में कोई प्रतिमा नहीं लगाई जा सकती।

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    डॉ. अंद्राबी ने दोषियों को आतंकवादी बताते हुए गिरफ्तारी की मांग की।

    डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की नेता और चेयरपर्सन डॉ द्रख्शां अंद्राबी ने शुक्रवार को श्रीनगर में हजरतबल दरगाह में राष्ट्रीय प्रतीक तोड़े जाने की घटना को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि यह दरगाह का ही नहीं बल्कि मुस्लिम समुदाय की भावनाओं का भी अपमान है।

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    आपको बता दें कि ईद-ए-मिलाद के मौके पर शुक्रवार को श्रीनगर की हजरतबल में एकत्र हो रहे मुस्लिम समुदाय के लोगों के बीच अचानक से बवाल पैदा हो गया। कुछ लोगों ने भीड़ की शक्ल में दरगाह के रिनोवेशन के बाद लगाए गए राष्ट्रीय प्रतीक को तोड़ना शुरू कर दिया।

    मस्जिद प्रबंधन ने भीड़ पर काबू पाने का प्रयास किया परंतु संख्या अधिक होने की वजह से उन्हें शांत नहीं किया जा सका। गुस्साई भीड़ ने राष्ट्रीय प्रतीक को तोड़ दिया। उनका कहना था कि मस्जिद के अंदर कोई प्रतिमा नहीं लगाई जा सकती।

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    इस बवाल का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ। वीडियो में कुछ लोग शिलापट्ट पर उकेरी गई अशोक स्तंभ की आकृति को पत्थर से तोड़ते साफ दिख रहे हैं। आपको बता दें कि गत तीन सितंबर को वक्फ बोर्ड की चेयरपर्सन डॉ द्रख्शां अंद्राबी ने ही इसका उद्घाटन किया था। शिलापट्ट पर अंद्राबी का नाम भी लिखा है।

    राष्ट्रीय प्रतीक तोड़ने वाले आतंकवादी से कम नहीं

    वीडियो वायरल की घटना के बाद दरगाह परिसर में एक प्रेस वार्ता में डॉ. अंद्राबी ने कहा कि इस कृत्य को अंजाम देने वाले किसी आतंकवादी से कम नहीं हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और कानून प्रवर्तन एजेंसियों से अपील की कि उन्हें बिना देरी गिरफ्तार किया जाए। उन्होंने इस घटना को एक व्यक्तिगत आघात बताते हुए कहा कि जब मैंने प्रतीक चिन्ह को नष्ट होते देखा तो ऐसा लगा जैसे मुझ पर बादल फट पड़ा हो।

    हमलावर एक राजनीतिक दल के गुंडे हैं। इन लोगों ने पहले भी कश्मीर को बर्बाद किया और अब खुलेआम दरगाह शरीफ के अंदर आ गए हैं। हमारे प्रशासक भी इस हमले में बाल-बाल बचे। भीड़ ने उन पर भी हमला किया।

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    आजीवन दरगाह प्रवेश पर लगेगा प्रतिबंध

    इस भीड़ ने राष्ट्रीय प्रतीक को कलंकित करके बहुत बड़ा अपराध किया है। उन्होंने दरगाह की गरिमा को ठेस पहुंचाई है और उनकी पहचान होते ही उन्हें आजीवन दरगाह में प्रवेश करने से प्रतिबंधित कर दिया जाएगा और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी।

    उन्होंने कहा कि यह अराजकता राजनीतिक कार्यकर्ताओं और उनके समर्थकों द्वारा जानबूझकर फैलाई गई थी। अंद्राबी ने कहा कि उन्होंने पहले ही चेतावनी दी थी कि ऐसी गड़बड़ी पैदा की जा सकती है। सभी जिम्मेदार लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी। जिसमें वह विधायक भी शामिल है जिसके ट्वीट ने आग में घी डालने का काम किया।"

    जीर्णोद्वार का उद्​देश्य पवित्रता-विश्वास बढ़ाना

    अपने रुख की पुष्टि करते हुए, डॉ. अंद्राबी ने कहा कि हज़रतबल के जीर्णोद्धार का उद्देश्य इसकी पवित्रता और जनता के विश्वास को बढ़ाना है। उन्होंने आगे कहा कि हम इस तरह की शर्मनाक हरकतों से डरकर अपने प्रयास कम नहीं करेंगे। दरगाहें इबादत और सम्मान की जगह हैं और किसी को भी यहां राजनीति करने की इजाज़त नहीं दी जाएगी।

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    नेकां नेता ने दरगाह में प्रतीक को इस्लाम के विपरीत बताया

    हजरतबल दरगाह में अशोक चिह्न की स्थापना को लेकर एक नया विवाद छिड़ गया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता तनवीर सादिक ने कहा है कि यह कदम इस्लामी मूल मान्यता तौहीद के विपरीत है। एक्स पर एक पोस्ट में, सादिक ने कहा कि हालांकि यह कोई धार्मिक विद्वान नहीं हैं फिर भी इस्लाम मूर्ति पूजा की सख़्त मनाही करता है। इसे सबसे बड़ा पाप बताता है। उन्होंने लिखा, "हमारे धर्म का आधार तौहीद है।"

    उन्होंने तर्क दिया कि दरगाह के अंदर अशोक चिह्न, जिसे एक मूर्ति के रूप में वर्णित किया गया है, रखना इसी सिद्धांत के विरुद्ध है। सादिक ने आगे कहा, "पवित्र स्थानों में केवल तौहीद की पवित्रता झलकनी चाहिए और कुछ नहीं।"

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