Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Mehbooba Mufti: 'तानाशाही लंबे समय तक नहीं चलती, हमारे देश को सबक लेने की जरूरत', बांग्लादेश मामले पर बोलीं महबूबा मुफ्ती

    बांग्लादेश में इस समय राजनैतिक संकट व्याप्त है शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ दिया है। वहीं बांग्लादेश के हालातों पर पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने कहा कि बांग्लादेश के हालातों को अनदेखा नहीं किया जा सकता है। तानाशाही लंबे समय तक नहीं चलती है। जब आप ऐसे कानून लाते हैं जो लोगों के खिलाफ हो तो ऐसे हालात पैदा होते हैं।

    By Deepak Saxena Edited By: Deepak Saxena Updated: Wed, 07 Aug 2024 03:13 PM (IST)
    Hero Image
    बांग्लादेश मामले पर बोलीं पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती।

    डिजिटल डेस्क, श्रीनगर। बांग्लादेश के मामले में पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के हालातों को लेकर हमारे देश को भी सबक लेना चाहिए। जब महंगाई और बेरोजगारी हावी होती है तो ऐसे हालात पैदा होते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बांग्लादेश मुद्दे पर पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि बांग्लादेश में जो कुछ भी हुआ और हो रहा है, मुझे लगता है कि हमारे देश को इससे सबक लेना चाहिए। जब ​​आपके पास बड़ी युवा आबादी होती है और आप उन्हें अनदेखा करने की कोशिश करते हैं।

    तानाशाही लंबे समय तक नहीं चलती- महबूबा मुफ्ती

    उन्होंने कहा कि जब महंगाई और बेरोजगारी उन पर हावी होती है, तो ऐसे हालात पैदा होते हैं... आरक्षण कमजोर वर्ग के लिए अच्छा है, लेकिन यह आबादी के अनुपात में होना चाहिए। हमें सबक लेना चाहिए कि तानाशाही लंबे समय तक नहीं चलती। जब आप ऐसी नीतियां और कानून लाते हैं जो लोगों के खिलाफ हों और धैर्य की सीमा टूट जाए, तो आपको शेख हसीना की तरह बचकर निकलना पड़ता है।

    ये भी पढ़ें: जम्मू-कश्मीर में चुनाव की तैयारियों का जायजा लेना आएंगे EC के सदस्य, राजनीतिक दलों के साथ करेंगे बैठक

    जम्मू-कश्मीर के मामले में बांग्लादेश से लें सबक- महबूबा मुफ्ती

    पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि खास तौर पर जम्मू-कश्मीर के मामले में हमें बांग्लादेश से सबक लेना चाहिए, जहां युवाओं के पास बहुत सारी समस्याएं हैं, साथ ही युवा खुद को असहाय महसूस करते हैं, जैसा कि बांग्लादेश में हुआ था। दबाव, शोषण और यूएपीए, ये सब इसमें इजाफा करते हैं। मुझे लगता है कि इसे बदलने की जरूरत है... मुझे उम्मीद है कि बांग्लादेश जैसी स्थिति यहां नहीं दोहराई जाएगी।

    ये भी पढ़ें: 5700 से अधिक सरकारी नौकरी, आयुष्मान गोल्डन की सुविधा... विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं के सवाल पर नित्यानंद का जवाब