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    जम्मू-कश्मीर की आर्थिक तस्वीर बदल देगी नीली क्रांति, जानें क्या है केंद्र की योजना

    Updated: Thu, 03 Jul 2025 02:20 PM (IST)

    जम्मू कश्मीर में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए 100 करोड़ रुपये की लागत से एकीकृत एक्वा पार्क बनाया जाएगा। अनंतनाग को शीत जल मत्स्य पालन क्लस्टर के रूप में विकसित किया जाएगा जिसमें शोपियां और कुलगाम भी शामिल होंगे। सरकार ने डेनमार्क से ट्राउट मछलियों के आनुवंशिक रूप से उन्नत अंडे आयात किए हैं जिससे उत्पादन में 266 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

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    ताजे ठंडे पानी की मछली ट्राउट के कुल राष्ट्रीय उत्पादन में जम्मू कश्मीर की हिस्सेदारी 90 प्रतिशत है।

    श्रीनगर, जागरण, नवीन नवाज। केंद्र शासित जम्मू कश्मीर प्रदेश में मत्स्य पालन क्षेत्र में आय व रोजगार की संभावनाओं के दोहन के लिए एक एकीकृत एक्वा पार्क बनाया जाएगा। इसके अलावा अनंतनाग को शीत जल मत्स्य पालन कस्टर के रूप में विकसित किया जाएगा। इस कलस्टर में दक्षिण कश्मीर के दो अन्य जिले शोपियां व कुलगाम भी शामिल रहेंगे। उल्लेखनीय है कि ताजे ठंडे पानी की मछली ट्राउट के कुल राष्ट्रीय उत्पादन में जम्मू कश्मीर की हिस्सेदारी 90 प्रतिशत है।

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    केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह ने जम्मू कश्मीर में 100 करोड़ रूपये की लागत से एक एकीकृत एक्वा पार्क विकसित किए जाने की पुष्टि करते हुए बताया कि यह समग्र शीत जलीय कृषि विकास के लिए एक माडल के रूप में काम करेगा। उन्होंने बताया कि प्रस्तावित पार्क धानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई) के द्वितीय चरण के तहत बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि नीली क्रांति, मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि अवसंरचना विकास निधि (एफआईडीएफ) और पीएमएमएसवाई जैसी प्रमुख योजनाओं ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में मत्स्य पालन प्रणाली को मजबूत करने में एक परिवर्तनकारी भूमिका निभाई है, जो बड़ी उपलब्धि है।

    इस बीच, कृषि उत्पादन और मत्स्य पालन विभाग से जुड़े अधिकारियों ने बताया कि बीते कुछ वर्ष में जम्मू कश्मीर में कृषि, बागवानी, पशुपालन, पोल्ट्री, डेयरी और मत्स्य पालन के क्षेत्र में व्यापक सुधार हुआ है। जम्मू कश्मीर में नीली क्रांति का व्यापक असर नजर आ रहा है और मत्स्य पालन क्षेत्र में जम्मू कश्मीर अन्य हिमालयाई राज्यों की तुलना में कहीं आगे है। उन्होंने बताया कि मछलियों के गुणवत्तापूर्ण बीज सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर सरकार के लिए डेनमार्क से रेनबो और ब्राउन ट्राउट मछलियों के 13.40 लाख आनुवंशिक रूप से उन्नत अंडे (ओवा) के आयात की सुविधा प्रदान की। इससे ट्राउट मत्स्य पालकों के लिए उच्च गुणवत्ता वाले मछली बीज की उपलब्धता में काफी सुधार हुआ है। इसका उत्पादन 2020-21 में 650 मीट्रिक टन से बढ़कर 2023-24 में 2,380 मीट्रिक टन हो गया है, जो 266 प्रतिशत की वृद्धि है।

    उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर का वार्षिक मछली उत्पादन 2013-14 में 20,000 मीट्रिक टन से बढ़कर 2024-25 में 29,000 मीट्रिक टन हो गया है, जबकि ट्राउट मछली उत्पादन 262 मीट्रिक टन से बढ़कर 2,380 मीट्रिक टन हो गया है, जो 800 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि है। उन्होंने कहा कि ट्राउट मछली बीज का उत्पादन 9 मिलियन से बढ़कर 15.2 मिलियन हो गया है, जबकि कार्प मछली बीज उत्पादन 40 मिलियन से बढ़कर 63.5 मिलियन हो गया है।

    जम्मू कश्मीर के दौरे पर आए केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह ने कहा कि युवाओं को सूक्ष्म और लघु स्तर के पशुधन एवं मत्स्य पालन उद्यम शुरू करने के लिए प्रोत्साहित करने से रोजगार सृजन एवं समावेशी विकास किया जा सकता है। इसी संभावना के दोहन के लिए भारत सरकार ने हिमालयी और पूर्वोत्तर राज्यों के लिए पीएमएमएसवाई के अंतर्गत 852 करोड़ रुपये देने की प्रतिबद्धता जताई है, जिसमें विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर के लिए 300 करोड़ रुपये शामिल हैं। इससे उत्पादन, उत्पादकता, बुनियादी ढांचे और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा दिया जा सकेगा। जम्मू कश्मीर में एफआईडीएफ के माध्यम से शीत जल मत्स्य पालन में 120 करोड़ रुपये से अधिक के निजी निवेश का समर्थन किया गया है।