Amarnath Yatra: भक्तिमय हो गया बालटाल, बाबा बर्फानी के भक्तों के लिए सजे लंगर; सुरक्षाबल भी मुस्तैद
श्रीनगर से 93 किलोमीटर दूर बालटाल में बाबा बर्फानी की यात्रा शुरू हो गई है। यहाँ भक्तों के लिए शिविर और लंगर लगाए जा रहे हैं जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया है। सेवादार श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए तैयार हैं और सुरक्षा बल मुस्तैदी से ड्यूटी कर रहे हैं। जिला प्रशासन भी सुविधाओं का निरीक्षण कर रहा है।

जागरण संवाददाता, श्रीनगर। श्रीनगर से 93 किलोमीटर तथा गांदरबल टाउन से 75 किलोमीटर दूर हिमालय पर्वत की गोद में स्थित बालटाल जहां वर्ष के शेष हिस्सों में सन्नाटा पसरा रहता है,इन दिनों बाबा बर्फानी की भक्ति में डूबा हुआ है। हरे-भरे घास के मैदानों में दूर दूर तक बाबा बर्फानी के भक्तों के लिए अस्थाई शिविर व लंगर सजने लगे हैं। इस स्थल पर छाए रहने वाले सन्नाटे को भक्तों के लिए सजाए जाने वाले शिविरों व लंगरों से गूंजने वाली बाबा अमरनाथ के भजन व जयघोष से सारा वातावरण भक्तिमय हो गया है।
श्रद्धालुओं की सेवा के लिए सेवादार भी बालटाल पहुंच गए हैं और श्रद्धालुओं के स्वागत की तैयारियों में लग गए हैं। इधर बालाटाल और इसके इर्द-गिर्द सुरक्षाबल भी मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी निभाते नजर आ रहे हैं। जिला प्रशासन के अधिकारी भी भक्तों के लिए उपलब्ध रखी जाने वाली मौलिक सुविधाओं का भी बारीकी से निरीक्षण करते नजर आ रहे हैं।
हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी इस स्थल पर जहां सर्दियों में तो यह स्थल 7-8 फीट बर्फ की चादर से ढका रहता है जबकि गर्मी के मौसम में अधिकांश तौर पर चरवाहे व पर्वतारोही ही नजर आते हैं,में आज खूबचहल पहल है और यह स्थल एक टेंट वेली(खीनों की वादी) में तब्दील हो गई है।
बता दें कि बालटाल श्री अमरनाथ जी की पवित्र गुफा तक पहुंचने वाला एक मुख्य यात्रा मार्ग है। बालटाल से पवित्र गुफा 8.7 मील यानी 14 किलोमीटर दूर है। पवित्र गुफा तक पहुंचने के लिए पहलागम एक पारंपरिक यात्रा मार्ग है जहां से पवित्र गुफा 48 किलोमीटर की दूरी पर है।
रास्ता लम्बा होने के चलते अधिकांश श्रद्धालु इसी बालटाल मार्ग को तरजीह देते हैं क्योंकि पवित्र गुफा तक पहुंचने वाला यह शॉर्टकट लेकिन दुर्गम रास्ता है लेकिन इसके बावजूद अधिकांश अमरनाथ श्रद्धालु पवित्र गुफा तक पहुंचने के लिए इसी रास्ते को चुनते हैं ताकि वह जलद बाबा बर्फानी के दर्शन कर सकें।
अधिकांश श्रद्धालुओं द्वारा पवित्र गुफा तक पहुंचने के लिए इसी रास्ते के चुनाव के कारण बालटाल में श्रद्धालुओं की भारी संख्या जमा हो जाती है और ऐसे में इन श्रद्धालुओं के ठहरने तथा उनके खानपान की व्यवस्था के लिए यहां सैकड़ों की संख्या में आधार शिविर व लंगर लगाए जाते हैं और यह खामोश स्थल एक विशाल खेमों वाले शहर की सूरत धारण कर लेता है। इस वर्ष भी यहां ऐसे ही दृश्य देखने को मिल रहे हैं। यहां दर्जनों की संख्या में शिविर व लंगर स्थापित किए गए हैं। कुछ लंगर व शिवर सजाए गए हैं जबकि कुछ में साजसजा का काम अपने अंतिम चरण पर है।
बालटाल में शिव शक्ति लंगर समिति कानपुर नामक अपने लंगर को सजवाने के लिए सेवादारों को हिदायत दे रहे लंगर समिति के अध्यक्ष रतनीश वर्मा ने कहा, यात्रा अवधि के दौरान हमारे लंगर में प्रतिदिन 1500-2000 श्रद्धालुओं के लिए खाना तैयार होता है।
लंगर के लिए खाद्य सामग्री व अन्य सामान पहुंच चुका है,उसे स्टाक भी किया हमनें। हमारे सभी सेवादार भी आ चुके हैं। अब इस लंगर व उसक साथ सटे शिविर को सजाने का काम बाकी है। यह कल शाम तक हो जाएगा और उसके बाद हम 2 जुलाई से अपने लंगर का चूल्हा जलाए रखंगे।
रतनीश जोकि हर वर्ष बालटाल में लंगर लगा बाबा बर्फाबीर के भक्तों की सेवा करते हैं, उन्होंने कहा कि हमारे लंगर के साथ 62 सेवारदार जुड़े हैं(इनमें से 20 लोग समिति द्वारा बालटाल से दोमेल तक के साढ़े तीन किलोमीटर के रास्ते पर श्रद्धालुओं के लिए उपलब्ध रखे निशुल्क रिक्क्षा सेवा के लिए उपलब्ध रहेंगे) सभी यहां पहुंच गए हैं और भक्तों के स्वागत व सेवा की तैयारों में जुटे हुए हैं। रतनीश ने कहा,यात्रा अवधि के दौरान श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कोई दिकक्त न हो, इसे सुश्चित करने के लिए हम प्रयासरत है।
रतनीश के लंगर से आधे किलोमीटर दूर श्रद्धालुओं की सेवा के लिए स्थापित किए गए एक और लंगर के सेवादार माधव राम ने कहा,हमारा लंगर तैयार है। हमारे इस लंगर में 1200-1500 श्रद्धालुओं के लिए प्रति दिन खाना बनेगा। हमने सारी तैयारी मुकम्मल की है। मेन्यू भी सेट कर दिया है। पहले दिन हमारे लंगर में बाबा बर्फानी के भक्तों को लोकी की सब्जी,अरहर की दाल,पुदीने की चटनी और मीठे में खीर परोसी जाएगी।
माधव ने कहा कि हम लंगर में 19 सेवादार हैं। हमारी कोशिश रहेगी कि हमेशा की तरह इस बार भी हम तालमेल के साथ काम कर सके ताकि यहां आने वाले हमारे श्रद्धालु यहां से संतुष्ट होकर जाए। सनद रहे कि बालटाल में 44 लंगर व आधार शिविर स्थापित हो चुके हैं जबकि बाकी लंगरों व आधार शिविर स्थापित किए जा रहे हैं।
इधर डीसी गांदरबल जतिन किशोर ने आगामी यात्रा की तैयारियों के हवाले से बात करते हुए कहा,जिला प्रशासन की सारी मशीनरी यात्रा को सुचारू ,शांचिपूर्वक व सफल तरीके से आयोजित करने में लगी हुई है। हमारे सभी संबंधित विभाग जिनमें बिजली, परिवहन, पेयजल,संचार,मौसम आदि शामिल हैं,आपसी तालमेल के साथ काम कर रहे हैं। सुरक्षा व्यवस्था के जबरदस्त बंदोबस्त है।
किशोर ने कहा कि हमारी कोशिश रहेगी कि सुरक्षा तथा श्रद्धालुओं के लिए उपलब्ध रखी गई सुविधाओं में कोई चूक न हो और यात्रा संपन्न होने तक बालटाल यात्रा मार्ग से यह पवित्र यात्रा सकुशल जारी रहे। बता देते हैं कि श्री अमरनाथ जी की वार्षिक यात्रा 3 जुलाई से शुरू हो रही है और 9 अगस्त को समाप्त होगी। यात्रा के उपलक्ष्य में समूची घाटी विशेषकर दोनों यात्रा मार्गों पहलगाम व बालटाल में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई है।
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