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    Terrorism in Jammu Kashmir: तो ये है आतंकियों के घुसपैठ का रास्ता, 30 सालों से इसी रास्ते घुसकर फैला रहे दहशत

    Updated: Tue, 29 Oct 2024 01:57 PM (IST)

    केरी बट्टल के रास्ते आतंकियों की घुसपैठ का पुराना इतिहास रहा है। बीते सोमवार को तीन आतंकियों ने सेना की एंबुलेंस पर हमला किया था। इस क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियां घुसपैठ के लिए अनुकूल हैं और आतंकी इसका फायदा उठाते हैं। सुरक्षा एजेंसियां आतंकियों की घुसपैठ से इंकार करती रही हैं लेकिन हाल की घटनाओं ने उनके दावों की पोल खोल दी है।

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    केरी बट्टल आतंकियों की घुसपैठ का है पुराना रास्ता

    राज्य ब्यूरो, जम्मू। सीमावर्ती अखनूर के केरी बट्टल में एलओसी पर स्वचलित हथियारों से लैस तीन आतंकी घुसपैठरोधी तंत्र को तोड़ भारतीय इलाके में दाखिल होने में सफल रहे। तीनों आतंकियों को सेना ने मार गिराया है, लेकिन इस घटना ने सुरक्षा एजेंसियों के केरी बट्टल के रास्ते घुसपैठ बंद होने के सभी दावों की बखिया उधेड़ कर रख दी है।

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    अत्यंत संवेदनशील है यह क्षेत्र

    यह क्षेत्र घुसपैठ की दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है और बीते 30 वर्ष से आतंकी इसका समय समय पर इस्तेमाल करते आए हैं। केरी बट्टल की भौगोलिक परिस्थितियां घुसपैठ की दृष्टि से आतंकियों के लिए अनुकूल हैं।

    एक तरफ मनावर तवी है और दूसरी तरफ नाला। इसके अलावा कम ऊंचाई वाले पहाड़ और जंगल व झाड़ियों के साथ विभिन्न आवासीय बस्तियां।

    अक्सर इस क्षेत्र से आतंकियों की घुसपैठ की सूचनाएं आती हैं और कई बार सुरक्षाबलों ने इन सूचनाओं के आधार पर तलाशी अभियान भी चलाया है। इसके बावजूद संबधित सुरक्षा एजेंसियां आतंकियों की घुसपैठ से इंकार करती आ रही हैं।

    पहले भी इस इलाके में हुई है घुसपैठ

    संबधित सूत्रों ने बताया कि केरी बट्टल इलाके में सीमा पार से दो तरीके से आतंकी घुसपैठ करते हैं। एक वह जिन्हें राजौरी, कालाकोट, रियासी के आगे कश्मीर जाना हो और दूसरे वह जिन्हें अखनूर, सुंदरबनी या जम्मू के आस पास कोई आत्मघाती हमला करना हो,किसी सैन्य प्रतिष्ठान पर हमला कर वापस लौटना हो।

    उन्होंने बताया कि आज से करीब 20 वर्ष पहले जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों के एक दल ने इसी इलाके से घुसपैठ की थी और अखनूर के निकट मारे गए थे। उन्होंने कहा कि ज्यादा दूर जाने की जरुरत नहीं है कि 18 जनवरी 2021 को भी इसी रास्ते से अफगानिस्तान में ट्रेनिंग प्राप्त करने वाले पांच आतंकियों ने (जिनमें से तीन के तालिबानी होने का दावा किया जाता है) ने घुसपैठ की थी।

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    किसी सैन्य प्रतिष्ठान को निशाना बना सकते थे आतंकी

    इसी वर्ष 10 मई को भी इस क्षेत्र में घुसपैठ हुई थी,जिसकी पुष्टि से संबधित एजेंसियों ने इंकार किया था। रियासी में श्रद्धालुों पर हमले में लिप्त आतंकियों के भी इसी रास्ते घुसपैठ करने की सूचनाएं आयी थी। सोमवार को जो आतंकी दाखिल हुए हैं, उनका इरादा वहीं कहीं आस पास में किसी बड़े सैन्य प्रतिष्ठान पर हमला करने का रहा होगा।

    अगर स्कूली छात्र उनहें नहीं मिलते या वहां से सैन्य वाहनों का काफिला नहीं गुजरता तो जरूर कोई बड़ा हमला होता,वह नागरिकों का नरसंहार करने के अलावा किसी सैन्य प्रतिष्ठान को निशाना बना सकते थे। जनवरी 2019 में केरी बट्टल में ग्रेफ के शिविर पर भी ऐसी ही परिस्थितियों में आतंकी हमला हुआ था इस हमले में ग्रेफ के तीन श्रमिक मारे गए थे।

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