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    'नहीं जाना पाकिस्तान...', 1983 को भारत में दो भाइयों से किया निकाह; अब 42 साल बाद जमीरा और सगीर फातिमा भेजी गईं वापस

    Updated: Wed, 30 Apr 2025 07:56 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले से दो बुजुर्ग बहनों जमीरा बेगम और सगीर फातिमा को बुधवार को बाघा बॉर्डर भेजा गया। 1983 में वे शाहदरा शरीफ गांव में अपने रिश्तेदारों के साथ रहने आई थीं और दो भाइयों से शादी कर ली थी। पहलगाम हमले के बाद सरकार के आदेश पर उन्हें वापस भेजा जा रहा है जबकि बहनों का कहना है कि पाकिस्तान में उनका कोई नहीं है।

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    दो भाइयों के साथ ब्याही बहनों को बाघा ब\र्डर भेजा

    जागरण संवाददाता, राजौरी। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत व पाक दोनों देशों के बीच दिन ब दिन तनाव बढ़ता जा रहा है। इस तनाव के बीच भारत सरकार ने देश के बसे हुए हर पाकिस्तानी को वापस लौटने का आदेश जारी कर दिया है।

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    राजौरी जिले से मंगलवार को छह लोगों को वापस किया था। जबकि बुधवार को दो बुजुर्ग बहनों को राजौरी से बाघा बॉर्डर भेजा गया है, जो वहां से पाकिस्तान जाएंगी। जिन दो बहनों को वापस किया गया है, वह राजौरी जिले की थन्ना मंडी तहसील के शाहदरा शरीफ गांव में 1983 में आई थीं।

    यहां पर अपनी रिश्तेदारी में दो भाइयों के साथ निकाह कर लिया। इनकी मां की मौत भी कुछ वर्ष पहले शाहदरा शरीफ में ही हो गई थी। जबकि दोनों पोते-पोतियां वाली है। दोनों बहनों का कहना था कि हमारा वहां पर यानी पाकिस्तान में अब कोई भी नहीं दो भाई थे वह भी मर चुके है।

    'हमें यहीं रहने दो हम अपने जीवन के अंतिम चरण में हैं'

    जमीरा बेगम व सगीर फातिमा 1983 में अपनी मां के साथ अपने चाचा के घर पहुंचीं और वहां से वापस नहीं लौटीं। दोनों बहनों का निकाह दोनों चाचा के बेटों के साथ हो गया और दोनों के बच्चे हुए और अब पोते-पोतियां।

    दोनों बहनें अपने परिवार के साथ खुशी के पल गुजार रही थीं और दोनों बहने कई बीमारियों से ग्रस्त हैं और दोनों सही से चल भी नहीं पा रही हैं। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद देश के बसे सभी पाकिस्तानियों को वापस जाने का आदेश जारी हुआ।

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    'पाकिस्तान में हमारा कोई नहीं'

    इसके बाद बुधवार को इन्हें शाहदरा शरीफ से बाघा बार्डर पंजाब के लिए रवाना कर दिया गया। दोनों के परिवार के सदस्यों का रो-रो कर बुरा हाल था। दोनों बहनों का कहना था कि अब पाकिस्तान में हमारा कोई भी नहीं है। वहां पर हम किसके पास जाएंगे कोई पता नहीं।

    सरकार हमें यहीं रहने दे ताकि हम अपने जीवन के अंतिम पल परिवार के साथ गुजार सके। वहीं पूरे गांव दोनों बहनों को विदा करने के लिए सड़क तक आया हुआ था।

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