कठुआ औद्योगिक क्षेत्र में कई बड़ी कंपनियां सब्सिडी के अभाव में बंद होने की कगार पर, विभाग मानने को तैयार नहीं
जम्मू-कश्मीर के कठुआ औद्योगिक क्षेत्र में सब्सिडी की कमी के कारण कई बड़ी कंपनियां बंद होने की कगार पर हैं। वित्तीय सहायता के अभाव में इन कंपनियों का भ ...और पढ़ें

कठुआ औद्योगिक क्षेत्र की यह स्थिति क्षेत्र के आर्थिक विकास पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
अजय मीनिया, कठुआ। जिले के औद्योगिक क्षेत्र में लगाई गई इकाइयां सब्सिडी के अभाव में बंद होने की कगार पर हैं। कई बड़ी कंपनियां इसकी वजह से शुरू होने से पहले की बोरी विस्तर बांध कर वापस चली गईं। लेकिन उद्योग विभाग के रिकार्ड में सब्सिडी और सरकारी सुविधा न मिलने के अभाव ऐसी कोई इंडस्ट्री बंद नहीं हुई।
विभाग ने सूचना के अधिकार में इसकी जानकारी दी। जबकि अक्तूबर महीने में ही 4500 करोड़ रुपये निवेश के साथ उतरी चिरीपाल ग्रुप की ग्रयू इनर्जी कंपनी ने निवेश से हाथ पीछे खींच लिए थे। सब्सिडी पैकेज के अलावा निजी जमीन विवाद भी कंपनी के प्रदेश से पैकअप की बड़ी वजह बना था।
ग्रयू इनर्जी कंपनी ने निवेश से हाथ पीछे खींचे
कंपनी कठुआ जिले में 3.2 गीगावॉट क्षमता वाला सोलर मॉड्यूल निर्माण संयंत्र स्थापित करने के लिए सामने आई थी। दो अलग-अलग इकाइयों में कुल 640 कनाल (लगभग 80 एकड़) भूमि भागथली इलाके में कंपनी को जम्मू कश्मीर सरकार की ओर से आवंटित की गई थी। इसमें कंपनी ने हर साल 3.2 गीगावॉट उच्च दक्षता वाले सोलर मॉड्यूल और 2.8 गीगावॉट इनगॉट्स, वेफर्स और सोलर सेल्स का उत्पादन करना था।
सूत्रों का कहना है कि इंडस्ट्री पैकेज के लिए जारी कुल राशि का अब भी 12 हजार करोड़ रुपये सब्सिडी का बकाया है। यह पैसा सरकार के पास पड़ा है, बावजूद जारी नहीं किया जा रहा। यहीं नहीं, विभाग ने सूचना के अधिकार में कुल 832 औद्योगिक इकाइयों के संचालन की जानकारी दी है। इस पर कठुआ औद्याेगिक एसोसिएशन के प्रधान का दावा है कि इतनी इकाइयां नहीं चल रही। ज्यादा से ज्यादा 500 इकाइयां होंगी। बाकी तो सरकारी उपेक्षा के कारण बंद हो गईं।
नई इकाइयों पर विभाग की चुप्पी
अगले एक वर्ष में कठुआ जिले में कौन सी बड़ी फर्मों और कंपिनयों को नई इकाइयां स्थापित करने की अनुमति दी गई है। इसकी जानकारी विभाग ने नहीं दी है। इस रिकार्ड पर अमल करें तो यह एक बड़ा झटका है कि जिले में अगले एक वर्ष में कोई भी बड़ा उद्योग नहीं लगने जा रहा। जिससे कठुआ को उत्तर भारत का सबसे बड़ा औद्योगिक हब बनाने के सपने को झटका है।
जिले में चल रही 832 इकाइयां
जानकारी केअनुसार मौजूदा समय में कठुआ जिले में कुल 832 औद्योगिक इकाइयां चल रही हैं। बीते दो वर्ष 99 नई इकाइयों को स्थापित करने की अनुमति दी गई है। इसके लिए 2698 कनाल जमीन आवंटित की गई है। एक्सिआन फूड एंड विरजेस, एजियोस पालीफिल्म, इनोवा कैपटैब, कंधारी विवरेज और चिरिपाल पालीफिल्म को अनुमित मिली। जबकि चिरीपाल वापस जा चुकी है।
सब्सिडी जारी करने के लिए बनी कमेटी
सूत्रों का कहना है कि औद्योगिक पैकेज को लेकर केंद्र सरकार ने एक कमेटी गठित की है। ये कमेटी जांच करेगी कि पैकेज कितने का है। कितना बकाया है। कितने लोग इससे वंचित हैं। लंबित पैकेज आवंटित न होने का कारण क्या है। इंडस्ट्री एसोसिएशन के अध्यक्ष अजीत बाबा का कहना है कि वे उमर अब्दुल्ला से भी मिले थे। पैकेज का लाभ पूरी तरह से नहीं मिला है। अब पता चला है कि 15 दिन पहले ही सरकार ने कमेटी बनाई है। संभव है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इसकी समीक्षा कर रहे हैं।
उज्ज दरिया के किनारे बड़ा खेल
सूत्रों का कहना है कि इंडस्ट्री को लेकर एक बड़ा माफिया भी सक्रिय है। दरिया के किनारे सैकड़ों कनाल जमीन पर कब्जा कर इसे उद्योग लगाने वालों को बेचा जा रहा है। सूत्रों का यह भी कहना है कि भू माफिया घाटी क्षेत्र में सस्ती जमीन लेकर बड़े उद्योगपितयों को लाखों रुपये में बेच रहे हैं। ऐसा घाटी औद्योगिक को स्थापित करने के वक्त भी सामने आया था।
विभाग की जानकारी में सच्चाई नहीं
विभाग गलत जानकारी दे रहा है। अभी दो महीने पहले ही चिरीपाल कंपनी निवेश से हाथ पीछे खींचे चुकी है। विभाग 832 इकाइयों का दावा कर रहा है, जबकि इतनी इकाइयां नहीं चल रही। सच तो यह है कि इंडस्ट्री पैकेज का करीब 12 हजार करोड़ रुपये पर सरकार कुंडली मार कर बैठी हुई है। उनकी अपनी यूनिट तीन से चल रही है और उनको सब्सिडी नहीं मिली। ऐसी कई बड़ी कंपनियां हैं, जो चल तो रही हैं लेकिन सब्सिडी न मिलने की वजह से बंद होने की कगार पर खड़ी हैं। -अजीत बाबा, अध्यक्ष कठुआ इंडस्ट्री एसोसिएशन

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