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    'कभी घुसपैठ, कभी गोलीबारी... अब बर्दाश्त नहीं', बॉर्डर पर रहने वाले लोग बोले- PoK भी वापस लाओ

    Updated: Tue, 06 May 2025 04:15 PM (IST)

    Pahalgam Terror Attack पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सीमावर्ती क्षेत्रों के ग्रामीण भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव से चिंतित हैं। वे पाकिस्तान के ...और पढ़ें

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    सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले ग्रामीण चाहते हैं पाकिस्तान पर निर्णायक प्रहार

    राजिंदर माथुर, हीरानगर। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच बने तनाव से सीमावर्ती ग्रामीण अब पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक प्रहार चाहते हैं। सीमावर्ती क्षेत्र के ग्रामीणों का कहना है कि अब पाकिस्तान की गिदड़भभकी बर्दाश्त करने की जरुरत नहीं है, क्योंकि कभी आतंकियों का घुसपैठ कराने की कोशिश करता है तो सीमावर्ती क्षेत्र में तेजी से हो रहे विकास कार्यों को प्रभावित करने के लिए आए दिन गोलीबारी कर अपने नापाक इरादे को बताने की कोशिश करता है।

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    लोगों के बीच एक ही चर्चा- अब आगे क्या होगा

    दरअसल, आतंकी हमले के बाद बने तनाव के बीच सीमावर्ती क्षेत्र में सिर्फ एक ही चर्चा हो रही है अब आगे क्या होगा। सीमावर्ती क्षेत्र के ग्रामीण गेहूं की कटाई करने के उपरांत अनाज को घरों में पहुंचाकर निश्चिंत होकर अब चौपाल पर बैठकर पाकिस्तान की नापाक इरादों को लेकर ही चर्चा करते नजर आ रहे हैं। सोमवार को भी सीमावर्ती क्षेत्र चकडा में एक दुकान पर लगी चौपाल में वर्तमान हालात पर बड़े बुजुर्ग से लेकर युवा तक चर्चा करते दिखे।

    सीमावर्ती लोगों पर पड़ता है भारत-पाक तनाव का असर

    इस दौरान ग्रामीणों का मानना है कि भारत-पाकिस्तान के बीच बने तनाव का सीधा असर सीमावर्ती क्षेत्र के लोगों पर ही पड़ता है, क्योंकि जंग हो या न हो,लेकिन ग्रामीणों को सामाजिक और आर्थिक रूप में काफी नुकसान हो जाता है।

    चौपाल में बैठे कुछ लोगों का कहना था कि पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से कभी भी बाज नहीं आने वाला है, कभी वह घुसपैठ करवा कर तो कभी ड्रोन से हथियार गिराने के अलावा नशीले पदार्थों को भेजकर देश को खोखला करने का प्रयास करते रहता है।

    क्या बोले चौपाल में बैठे लोग?

    वहीं, चौपाल पर बैठे कुछ लोग कहते नजर आए कि जिस तरह वर्ष 2002 में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने पाकिस्तान को सबक सिखाया था। वैसे ही दोबारा सबक सिखाने की जरूरत है। चौपाल में बैठे प्रेमनाथ का कहना था कि जंग के बादल छाए हुए हैं।

    उन्होंने कहा कि अगर दोनों देशों के बीच जंग होती है तो नुकसान ज्यादा हो सकता है। पाकिस्तान को अपनी जनता की कोई फिक्र नहीं, लेकिन भारत को अपने लोगों की ज्यादा चिंता है।

    'अब आर-पार की जंग होनी चाहिए'

    वहीं कृष्ण चंद, शाम लाल, अजय कुमार का कहना है कि पहलगाम में आतंकी हमले में जिस तरह से आतंकियों ने निर्दोष लोगों का खून बहाया है, इससे देश की जनता में भारी रोष व्याप्त है। अगर पाकिस्तान में चल रहे आतंकी शिविरों को खत्म नहीं किया तो आतंकी ऐसी घटनाएं फिर भी कर सकते हैं। अब आर-पार की जंग हो जानी चाहिए।

    अगर इस बार पाकिस्तान जंग के लिए भारत को मजबूर किया तो उसका नामों निशान मिट जाएगा, क्योंकि 1971 के बाद अब काफी बदलाव आ चुका है। अब दो-दो हाथ हो जाने चाहिए और पीओके को अपने कब्जे में करना चाहिए। तभी अगले कुछ वर्षों में शांति कायम रह सकती है।

    जम्मू कश्मीर का माहौल शांत हो चुका था। सीमा पर शांति कायम होने पर किसान फिर से अपनी बंजर हो चुकी भूमि को आबाद करने में जुट गए थे, लेकिन पाकिस्तान की शह पर आतंकियों ने पहलगाम में घटना को अंजाम देकर जंग जैसे हालात पैदा कर दिए हैं। आतंकी हमले का जरूर बदला लिया जाना चाहिए। अगर पाकिस्तान जंग करने के लिए मजबूर कर रहा है तो उसे करारा जवाब देकर पीओके को अपने कब्जे में कर लेना चाहिए।

    नागर सिंह, लोंडी।

    पहलगाम हमले के बाद एक बार फिर युद्ध के बादल मंडराने लगे हैं। सरकार ने लोगों की सुरक्षा के लिए घरों में बंकर तो बना दिए हैं, जिनमें अभी बिजली, पानी, शौचालय आदि सुविधाओं की कमी है। सीमावर्ती लोगों का हौसला बुलंद है। अन्य विभागों को बंकरों में सुविधाएं मुहैया करवानी चाहिए, ताकि लोग अपने गांवों में ही रहकर सेना के साथ डटकर मुकाबला कर सकें।

    चंदन शर्मा, स्थानीय निवासी।

    जम्मू कश्मीर में यूटी बनने के बाद हालात सामान्य हो गए थे। विकास में भी तेजी आई थी, लेकिन पाकिस्तान को यह सब रास नहीं आया। फिर से आतंकी हमले करवा कर अशांति फैलाना चाहता है। जब तक उसे मुंहतोड जवाब नहीं मिलता वह नापाक हरकतें करता रहेगा। समय आ गया है कि अब उसे सबक सिखाया जाए।

    विक्रम सिंह, पूर्व सरपंच, महाराजपुर।

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