सीमावर्ती स्कूलों में लौट आई रौनक, गांवों के मंदिरों में होने लगा भजन-कीर्तन; भारत-पाक तनाव के चलते वीरान था सबकुछ
पहलगाम हमले के बाद तनाव के चलते बंद हुए हीरानगर के स्कूल फिर खुल गए हैं। सीमा पर स्थिति सामान्य होने से बच्चों में उत्साह है पर स्थानीय लोग पाकिस्तान पर अविश्वास जता रहे हैं। स्कूलों में बंकरों की कमी अब भी बनी हुई है जिससे ग्रामीणों में चिंता है। वे सरकार से स्कूलों में बंकर निर्माण को प्राथमिकता देने की मांग कर रहे हैं।

संवाद सहयोगी, हीरानगर। पहलगाम में आंतकी हमले के बाद भारत पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के कारण सात मई से बंद सरकारी व निजी स्कूल अंतरराष्ट्रीय सीमा पर हालत सामान्य होने के बाद सोमवार को दोबारा खुल गए। दरअसल हीरानगर मढीन शिक्षा जोन के 193के करीब स्कूल 7 मई के बाद बंद कर दिए गए थे।
जिस से बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हुई। सोमवार को जैसे ही स्कूलों की घंटियां बजनी शुरू हुई। बच्चे बैग उठाए स्कूलों में पंहुच गए। जिस से गांवों में फिर से रौनक लौट आई। इतना ही नहीं सीमा से सटे गांवों के मंदिरों में भी सुबह शाम फिर से पूजा अर्चना, भजन कीर्तन होने लगे हैं।
स्थानीय लोगों ने कहा- पाकिस्तान का कोई भरोसा नहीं
स्थानीय लोगों का कहना है कि पाकिस्तान का कोई भरोसा नहीं है। अभी भी खतरा बना हुआ है। जब तक पाकिस्तान के साथ कोई स्थाई समझौता नहीं होता लोगों को सतर्कता बरतनी पड़ेगी।
वहीं सीमा से सटे अधिकांश सरकारी स्कूलों में अभी तक पक्के बंकर नहीं बने हैं और जिन तीन चार स्कूलों में सामुदायिक बंकरों का निर्माण हुआ है उन का निर्माण भी अधूरा पड़ा हुआ है।
ग्रामीणों का कहना है कि जब भी सीमा पर गोलीबारी चलने से हालात तनाव पूर्ण हो जाते हैं। सीमा से सटे गांवों के बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होती है।
सीमावर्ती लोगों की क्या है मांग?
सरकार ने सीमावर्ती युवाओं को सरकारी नौकरियों में चार फीसद आरक्षण तो दिया है लेकिन उस में भी 6 किलोमीटर तक के गांव शामिल कर दिए गए हैं। जिस का जीरो लाइन के प्रभावित गांवों को कोई खास लाभ नहीं होता। लोग सरकार से सीमा से सटे गांवों को प्राथमिकता देने की मांग करते रहे हैं।
लोगों का कहना है कि सीमा से सटे गांवों के स्कूलों में सामुदायिक बंकरों का होना जरूरी है। क्यों की पाकिस्तान कई बार दिन में गोलीबारी करता रहा है। ऐसे में बच्चे स्कूलों में सुरक्षित नहीं रह पाते। प्रशासन को नए बंकर बनवाते समय पहले स्कूलों में बंकरों का निर्माण करवाना चाहिए।
क्या कहते हैं लोग
सीमावर्ती क्षेत्र में भले ही गोलीबारी नहीं हो रही और हालात धीरे धीरे सामान्य होने लगे हैं। लेकिन पाकिस्तान पर कोई भरोसा नहीं किया जा सकता। क्या की पूर्व में भी कई बार पाकिस्तान सीजफायर का उलंघन करता रहा है। सरकार ने सरकारी स्कूल तो खोल दिए हैं। अधिकांश स्कूलों में अभी तक बंकर नहीं बनवाए गए। बच्चों की सुरक्षा के लिए स्कूलों में बंकरों का निर्माण जल्द होना चाहिए। ताकि जरूरत पड़ने पर बच्चे बंकरों में सुरक्षित रह सकें। प्रदीप कुमार स्थानीय निवासी।
हीरानगर के पानसर तथा रठुआ मिडिल स्कूलों में अभी तक बंकर नहीं बनाए गए हैं। जिस तरह सरकार ने गांवों में बंकरों का निर्माण करवाया है।भैसे ही सीमा से सटे गांवों के स्कूलों में बंकरों का निर्माण करवाना चाहिए क्योंकि अचानक गोलीबारी के दौरान बच्चे घरों में नहीं पंहुच पाते और न ही शिक्षक।
सुरेन्द्र कुमार निवासी रठुआ।
कडियाला हाई स्कूल में अभी तक सामुदायिक बंकर नहीं बना है। स्कूल में आस पास के गांवों के 90 के करीब बच्चे पड़ते हैं। अगर अचानक गोलीबारी शुरू हो जाए तो बच्चे कमरों में सुरक्षित नहीं रह सकते। सरकार अब नए बंकर बनवाने जा रही है। स्कूलों में सब से पहले बंकर बनने चाहिए ताकि तनाव पूर्ण हालात में भी बच्चे अपनी पढ़ाई जारी रख सकें।
पुरूषोत्तम लाल स्थानीय निवासी।
क्या कहते हैं प्रतिनिधि
गांवों के स्कूलों तथा कुछ लोगों के अभी तक बंकर नहीं बने हैं। सरकार ने 600 नए बंकर बनाने की मंजूरी दी है।जिन स्कूलों में अभी तक बंकर नहीं बने हैं। वहां भी बनाए जाएंगे। निर्माणधीन बंकरों को जल्द मुकम्मल करवाने के लिए भी अधिकारियों को कहा गया है। विजय शर्मा विधायक हीरानगर।
इन स्कूलों में नहीं बंकर
- प्राइमरी स्कूल महाराज पुर,
- मिडिल स्कूल छन्न लाल दीन
- मिडिल स्कूल रठुआ
- मिडिल स्कूल नौंचक
- मिडिल स्कूल मनियारी
- हाई स्कूल कडियाला
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