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    Year Ender 2025: भावी युद्धों की तैयारी में मील का पत्थर रहा 2025, ऑपरेशन सिंदूर से विश्व ने पहचानी भारत की ताकत

    By VIVEK SINGHEdited By: Rahul Sharma
    Updated: Thu, 25 Dec 2025 05:09 PM (IST)

    वर्ष 2025 भावी युद्धों की तैयारी में मील का पत्थर रहा। ऑपरेशन सिंदूर ने सेना को युद्ध स्तर पर सैन्य तैयारियां करने को नई दिशा दी। इस वर्ष भारतीय सेना ...और पढ़ें

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    ऑपरेशन सिंदूर ने भारतीय सेना की आधुनिक, बहुआयामी व तकनीक-आधारित युद्ध की तैयारियों को बल दिया।

    विवेक सिंह, जम्मू। भावी युद्धों की तैयारी करने में वर्ष 2025 मील का पत्थर साबित हुआ। आतंकवाद को शह देने वाले पाकिस्तान के खिलाफ छेड़े गए ऑपरेशन सिंदूर ने सशस्त्र सेनाओं को युद्ध स्तर पर सैन्य तैयारियां करने को नई दिशा  दी।

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    वर्ष 2025 को भारतीय सेना के इतिहास में एक ऐसे निर्णायक वर्ष के रूप में दर्ज किया जाएगा। इस वर्ष 22 अप्रैल को पाकिस्तान की शह पर हुए पहलगाम हमले का बदला लेने के लिए मई महीने में चले एतिहासिक ऑपरेशन सिंदूर ने भारतीय सेना की आधुनिक, बहुआयामी व तकनीक-आधारित युद्ध की तैयारियों को बल दिया।

    आधुनिक मिसाइलों व ड्रोन से दुश्मन पर सटीक प्रहार कर उसे एक रणनीतिक चेतावनी दी गई जिसका अच्छा आसार दिखा। कुशल रणनीति से अंजाम दिए गए ऑपरेशन सिंदूर से विश्व को भारत की मजबूत सैन्य क्षमता व त्वरित निर्णय लेने की ताकत का भी अंदाजा हुआ।

    Army in Kashmir Railway route

    साइबर स्पेस, अंतरिक्ष, सूचना युद्ध, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में सैन्य क्षमताओं को और सुदृढ़ करने पर दिया गया विशेष ध्यान सशस्त्र सेनाओं ने बेहतर समन्वय से आपरेशन सिंदूर के दौरान अपनी सैन्य क्षमता का प्रदर्शन    किया। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मजबूत एयर डिफेंस के कामयाब प्रदर्शन के बाद अगले छह महीने सशस्त्र सेनाओं की ड्रोन ताकत को बढ़ाने के साथ एंटी ड्रोन तकनीक को और कारगर बनाने को समर्पित रहे।

    ड्रोन संचालन में दक्ष बने सैनिक

    सेना ने अपने सैनिक को ड्रोन संचालन में दक्ष बनाने के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में तेजी से काम कर जमीन के साथ हवा में भारतीय सेना की ताकत को कई गुणा बढ़ा दिया। वर्ष 2025 में सीमांत क्षेत्रों में दुश्मन को पुलों व सड़कों का जाल बिछाकर घेरने की दिशा में बहुत अधिक काम हुआ। एक साल में सीमांत क्षेत्रों में तैयार हुए 200 से अधिक रणनीतिक प्रोजेक्टों में से अधिकतर जम्मू कश्मीर व लद्दाख में बने।

    जारी वर्ष में रक्षामंत्री द्वारा वास्तविक नियंत्रण रेखा पर श्योक टनल समेत देश को समर्पित किए गए 125 विकास प्रोजेक्टों में से भी अधिकतर जम्मू कश्मीर व लद्दाख में थे। इनमें से देश को समर्पित किए गए 93वें पुलों में 47 पुल जम्मू कश्मीर व लद्दाख में देश की उत्तरी सीमाओं की सुरक्षा के लिए बने हैं। अच्छी सड़कों, रियल टाइम संचार, सेटेलाइट स्पोर्ट, सर्वेलांस नेटवर्क से सीमा पर सैनिक मजबूत हुए।

    Ladakh border

    रक्षा उत्पादन को भी नई ऊर्जा दी

    ऑपरेशन सिंदूर ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत रक्षा उत्पादन को भी नई ऊर्जा दी। स्वदेशी हथियार प्रणालियों, संचार उपकरणों व निगरानी तकनीकों के उपयोग ने यह सिद्ध हुआ कि भारत अब रक्षा क्षेत्र में आयात पर निर्भरता कम कर रहा है। देश के रक्षा क्षेत्र में उत्पादन में 174 प्रतिशत वृद्धि हुई जबकि निर्यात में 34 गुणा वृद्धि हुई।

    वर्ष 2025 में सेना की आपरेशनल तैयारियां युद्ध स्तर पर रही है। ऐसे में लद्दाख व देश की अन्य सीमाओं पर एकिकृत युद्ध अभ्यासों में सशस्त्र सेनाओं ने मिलकर अभ्यास करने के साथ सेना की सभी फारमेशनों ने भी एक साथ अभ्यास कर अपनी युद्ध क्षमता को लगातार बढ़ाया।

    Air Force In Ladakh

    पूर्वी लद्दाख में युद्घ अभ्यासों के दौरान दुश्मन पर सटीक वर करने वाले ड्रोनों के साथ एंटी ड्रोन तकनीकों को भी परखा गया। पूरा साल सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने सीमांत क्षेत्रों के दौरे कर न सिर्फ रणनीतिक तैयारियों को तेजी दी अपितु कठिन हालात में देशसेवा कर रहे सैनिकों का मनोबल भी बढ़ाया।

    मजबूत हुई सैन्य ताकत

    जारी वर्ष में शक्ति’ जैसे अत्याधुनिक इलेक्ट्रानिक वारफेयर सिस्टम, उन्नत रक्षा प्रणालियों के विकास व तैनाती के साथ भविष्य के मुख्य युद्धक टैंकों में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस ने भारत की तकनीकी क्षमता को सशक्त बनाया। जारी वर्ष में रणनीतिक रक्षा निर्यात में अभूतपूर्व वृद्धि हुई।

    रक्षा निर्यात ऐतिहासिक स्तर पर पहुंच कर 100 से अधिक देशों तक फैल गया। तोपखाने से लेकर विमान प्रणालियों तक महत्वपूर्ण रक्षा उपकरणों से आत्मनिर्भरता को मजबूती मिली। हिंदोस्तान एयरोनाटिकल लिमिटेड व सहयोगी संस्थानों के 3डी प्रिंटिंग अपनाने से एयरो-इंजन के जटिल धातु पुर्जों के प्रोटोटाइप का उत्पादन संभव हुआ। इससे नवाचार की गति तेज हुई।

    Ladakh Army in Jammu Kashmir

    बनी श्योक टनल, आपरेशनल हुआ न्योमा एयरबेस

    देश की उत्तरी सीमाओं की सुरक्षा के लिण् पूर्वी लद्दाख में पूर्वी लद्दाख में न्योमा एयरबेस को आपरेशन बनाने व श्योक टनल के निमार्ण ने सैन्य ताकत को कई गुणा बढ़ा दिया। बारह नवंबर को वायु सेना प्रमुख एयर मार्शल एपी सिंह ने न्योमा में सी 130 विमान उताकर लड़ाकु विमानों के लिए पूर्ण रूप से विकसित एयरबेस का उद्घाटन किया।

    न्याेमा में 123, 700 फुट की उंचाई पर 2.7 किलोमीटर लंबे इस रनवे से वास्तविक नियंत्रण रेखा की दूरी मात्र 23 किलोमीटर है। इसके बनने से चीन से सटे पूर्वी लद्दाख के इलाकों में सैन्य ताकत में कई गुणा वृद्धि हुई है। वहीं दिसंबर में पूर्वी लद्दाख में देश को श्योक टनल समर्पित हुई।

    बर्फबारी व हिमस्खलन भी नही रोक पाएंगे कदम

    पूर्वी लद्दाख में भारतीय सेना के बढ़ते कदमों को अब भारी बर्फबारी व हिमस्खलन भी नही रोक पाएंगे। भारतीय सेना अपने बड़े टैंकों, तोपों के साथ दुश्मन को घेरने के लिए श्योक टनल से होकर सीधी पूर्वी लद्दाख के दौलत बाग ओल्डी व नियंत्रण रेखा के अन्य हिस्सों तक पहुंचेगी।

    पूर्वी लद्दाख में 12,523 फुट की उंचाई पर बनी अति महत्वपूर्ण श्योक टनल 21 मीटार चोढ़ी व करीब 12 मीटर उंची है। इसमें से वाहन 40 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से वास्तविक नियंत्रण रेखा की ओर जाएंगे।

    Army in Ladakh

    मजबूत हुआ बुनियादी ढांचा

    सीमा सड़क संगठन सीमा से सटे इलाकों में सेना की गतिशीलता बढ़ाने के लिए क्लास माडयूलर 70 पुल बना रहा है। इन पुलों से बड़े से बड़ा टैंक व तोपें गुजर सकती हैं। बीआरओ ने गार्डन रीच शिप बिल्डर्स के साथ मिलकर स्वदेशी रूप से विकसित ये पुल बनाएं हैं। बीआरओ ने सीमावर्ती क्षेत्रों में जिस गति और दक्षता के साथ इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया है। हमारा घरेलू रक्षा उत्पादन वर्ष 2014 केे 46,000 करोड़ रुपये से बढ़कर आज रिकार्ड 1.5 लाख