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    आतंकी हमले के बाद बढ़ते तनाव के बीच गेहूं की कटाई जोरों पर, सीमा से सटे किसानों को सता रही है फसल बेचने की चिंता

    पहलगाम हमले (Pahalgam Terror Attack) के बाद सीमा पर तनाव बढ़ने से किसान जल्द से जल्द गेहूं की कटाई में लगे हैं। सरकारी मंडियों के शुरू न होने से वे चिंतित हैं कि अपनी फसल कहां बेचें। सरकार ने समर्थन मूल्य 2425 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है लेकिन मंडियां अभी तक शुरू नहीं हुई हैं जिससे किसानों को व्यापारियों के पास कम दाम पर बेचने का डर है।

    By guldev raj Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Sun, 27 Apr 2025 09:36 AM (IST)
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    जम्मू-कश्मीर में सीमा से सटे इलाकों पर गेहूं की कटाई तेज।

    जागरण संवाददाता, जम्मू। पहलगाम आतंकी हमले (Pahalgam Terrorists Attack) के बाद सीमा पर बढ़ रहे तनाव को देखते हुए किसान गेहूं की फसल शीघ्रता से समेटने में जुट गए हैं। वे अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहते हैं। इस बार किसान जल्दी काम निपटा कर कृषि उत्पादन बेचने की फिराक में हैं।

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    हालांकि, फसल समेटने का क्रम कुछ दिन पहले ही शुरू हो गया है। मगर सरकारी मंडियां स्थापित होने की सुगबुगाहट अभी तक शुरू नहीं देने से किसान परेशान हैं।

    किसान तेजी से समेट रहे फसल 

    किसानों का कहना है कि दिन प्रतिदिन खेतों में दाने के ढेर लग जाएंगे। मगर किसान इसे बेचने कहां जाए? किसानों से गेहूं खरीदने के लिए सरकार ने जम्मू जिले में 11 मडियां खोलने की बात कही थी, मगर मंडियां किसानों को दिखाई नहीं पड़ रही।

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    कंडी क्षेत्रों में तो गेहूं की कटाई का काम तकरीबन निपट चुका है। जबकि नहरी क्षेत्रों में कंबाइन मशीनें पहुंचने के बाद फसल समेटने का काम तेज हो गया है। अगले दस दिन के भीतर जिले में सारी फसल समेट ली जाएगी। अगर ऐसे में इन किसानों को सरकारी मंडियां नहीं दिखी तो उनको व्यापारियों के पास जाकर माल बेचने को मजबूर होना पड़ेगा।

    किसानों का कहना है कि अगर फसल समेटने का काम कुछ दिन पहले शुरू हो गया है, तो उसी हिसाब से कृषि विभाग अपनी मंडियों को सुचारु कर दे ताकि किसान वहां पर माल बेच सकें। सरकार ने इन सरकारी मंडियों को इस बार प्रति क्विंटल 2425 रुपये का समर्थन मूल्य निर्धारित किया है, लेकिन किसानों को लाभ तभी मिलेगा, जब सरकारी मंडियां सुचारू हो जाए।

    फसल बेचने को लेकर चिंतित हैं किसान

    सौहांजना के उन्नत किसान कुलभूषण खजूरिया का कहना है कि वर्तमान में बने हालात को लेकर किसान कृषि का काम जल्दी से जल्दी निपटाने में जुटे हुए है। इस बार कुछ दिन पहले ही गेहूं की फसल समेटने का काम शुरू हो गया। अब सभी किसान कंबाइन मशीन से ही फसल समेटने में लगे हैं।

    इस समय क्षेत्र में 20 प्रतिशत गेहूं की फसल निपटा ली गई है। आने वाले चंद दिनों में सारा काम पूरा हो जाएगा। मगर फसल बेचने की चिंता है। अरनिया के किसान महेश सिंह का कहना है कि उनके क्षेत्र में काफी किसानों ने गेंहू की फसल समेट ली है। कुछ किसान तो माल बचने के लिए व्यापारियों के पास भी जाने लगे हैं।

    जिले में 11 जगहों पर मंडियां खोलने की पूरी तैयारी हो चुकी है। मंडियों पर कर्मियों की तैनाती कर दी गई है और जरूरी साज सामान भी पहुंचाया जा रहा है। पहली मई को हर मंडी सुचारु हो जाएगी। चूंकि जम्मू जिले में अपेक्षाकृत गेहूं कुछ देरी से पकती रही है। उसी हिसाब से मंडियों को खोलने का समय कुछ आगे बढ़ाया गया था। अब पहली मई को जिले की सभी 11 मंडियां खुल ही जाएंगी। किसान इन मंडियों पर पहुंचे और अपनी गेहूं सरकार के समर्थन मूल्य पर बेचे।

    -विनोद कुंडल, मुख्य कृषि अधिकारी जम्मू

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