Symbol of Brotherhood: एक ही घर में राम और रहीम, हिंदू के घर में है भाईचारे का प्रतीक ख्वाजा पीर बाबा की तपोस्थली
एक ही घर में राम तथा रहीम होने से हिंदू हो या मुस्लिम सबके लिए यह स्थान आस्था का केंद्र है। रियासी के वार्ड नंबर 10 में अशोक बमोत्रा के घर में स्थित इस स्थान की देखरेख लगभग 25 वर्ष से अशोक बमोत्रा तथा उनका परिवार कर रहा है।

रियासी, राजेश डोगरा : रियासी में एक हिंदू घर में पीर बाबा का स्थान ना केवल भाईचारे का प्रतीक है, बल्कि उन लोगों के लिए भी एक सबक है जो जाति और धर्म के नाम पर लोगों को बांटने का प्रयास करते हैं। एक ही घर में राम तथा रहीम होने से हिंदू हो या मुस्लिम सबके लिए यह स्थान आस्था का केंद्र है। रियासी कस्बे के वार्ड नंबर 10 में स्थानीय निवासी अशोक बमोत्रा के घर में स्थित इस स्थान की देखरेख लगभग 25 वर्ष से अशोक बमोत्रा तथा उनका परिवार कर रहा है। यह स्थान ख्वाजा पीर की तपोस्थली तथा लगभग 480 वर्ष पुराना बताया जाता है।
बताते हैं कि पुराने समय में वार्ड नंबर 10 में स्थित इस स्थान पर एक बुजुर्ग महिला का कच्चा मकान हुआ करता था। उस समय ख्वाजा पीर इस स्थान पर तप किया करते थे। जब वह खुदा को प्यारे हो गए तो रियासी के रैड़ा इलाके में उनकी जियारत बनाई गई। लोगों में विश्वास है कि उनकी तपोस्थली पर भी ख्वाजा पीर की विशेष कृपा है। इसी धारणा के चलते उनकी जियारत के साथ तपोस्थली पर भी लोग माथा टेकने आते रहे। समय के साथ बुजुर्ग महिला की उस जगह को कई लोग खरीदते व बेचते रहे। वर्ष 1995 में इस जगह को अशोक बमोत्रा ने खरीदा। वह अपने परिवार सहित खरीदे गए स्थान पर आकर वहां बने कच्चे मकान में रहने लगे।
अशोक बमोत्रा ने बताया कि उनसे पहले यह जगह चार बार बेची व खरीदी गई और पांचवी बार उन्होंने इस जगह को खरीदा। उन्होंने बताया कि इस जगह को खरीदने से पहले भी वह अन्य लोगों की तरह तपोस्थली पर दीपक जलाने व माथा टेकने आते थे। जब पीर बाबा का स्थान उनके घर में आ गया तो वह और उनका परिवार रोजाना वहां दीपक जलाने और पूजा करने लगे। उन्होंने बताया कि अपने कच्चे मकान को पक्का कराने से पहले उन्होंने तपोस्थली के कमरे को पक्का बनवाया। उसके बाद ही बाकी भाग को बनाने का काम शुरू किया। चुंकि इस स्थान से अन्य लोगों की श्रद्धा भी जुड़ी है, इसीलिए उन्होंने मकान बनाते समय भक्तों के पहुंचने के लिए यहां अलग से रास्ता बनवा दिया ताकि लोग पहले की तरह यहां माथा टेकने आ सके। यहां रोज कई भक्त माथा टेकने आते हैं, लेकिन वीरवार को भक्तों की संख्या अधिक रहती है।
सभी समुदाय के लोग टेकते हैं माथा : अशोक बमोत्रा के इस घर में एक तरफ ख्वाजा पीर का स्थान है, जिन्हें लोग पीर बाबा भी कहते हैं। तो दूसरी तरफ भगवान श्रीराम, वैष्णो माता व अन्य देवी-देवताओं का पूजा स्थान भी है। विभिन्न समुदाय के भक्त यहां माथा टेकने आते हैं, जिससे समाज में भाईचारा भी मजबूत होता है। अशोक बमोत्रा तथा उनकी धर्मपत्नी निर्मला कुमारी ने बताया कि वह और उनका परिवार जिस तरह नवरात्र में वैष्णो माता और भगवान श्री राम की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। उसी तरह रोजे के दिनों में भी पूरे भक्ति भाव से पीर बाबा की पूजा अर्चना करते हैं। यहां प्रत्येक वीरवार को प्रसाद बांटा जाता है। यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। उन्होंने बताया कि 25 फरवरी को पीर बाबा भंडारा किया जाएगा।
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