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    ठिठुर रहे जम्मू-कश्मीर में गहराया बिजली संकट, लाचार लोग ऐसे भगा रहे सर्दी; कई जगहों पर पारा शून्य से नीचे

    Updated: Tue, 24 Dec 2024 07:20 AM (IST)

    कड़ाके की ठंड में जम्मू-कश्मीर में बिजली संकट गहरा गया है। स्मार्ट मीटरिंग और बेहतर राजस्व वसूली के बाद भी बिजली कटौती जारी है। जम्मू के ग्रामीण इलाकों में 8-10 घंटे और शहरों में 4-6 घंटे तक बिजली कटौती हो रही है। कश्मीर में तापमान जमाव बिंदु से नीचे है जिससे लोग ठंड से बचने के लिए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं।

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    पर्यटकों को खूब लुभा रही है कश्मीर में पहाड़ों पर बर्फबारी ( फोटो- जागरण)

    राहुल शर्मा, जम्मू। जम्मू व कश्मीर में रिकॉर्ड तोड़ ठंड के बीच बिजली कटौती ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। स्मार्ट मीटरिंग और बेहतर हो रही राजस्व वसूली के बाद भी यह संकट जारी है। बिजली आपूर्ति की कमी के कारण जम्मू के ग्रामीण इलाकों में आठ से दस घंटे तो वहीं शहरों में चार से छह घंटे तक तक घोषित-अघोषित कटौती हो रहा है।

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    कश्मीर में तापमान जमाव बिंदु से नीचे चल रहा है, ऐसे में वहां के लोग इस कदर लाचार हैं कि घोषित-अघोषित कटौती की वजह से वे ठंड से बचने के लिए इलेक्ट्रानिक उपकरणों तक इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं।

    राज्य सरकार भी कर रही है अतिरिक्त बिजली की मांग

    जम्मू-कश्मीर सरकार भी लोगों को राहत देने के लिए केंद्रीय विद्युत मंत्रालय से अतिरिक्त बिजली की मांग कर रही है। हालात किस कदर गंभीर बन गए हैं, आप इसका अंदाजा इस बात से भी लगा सकते हैं कि बर्फीले इलाकों में बिजली की खपत दोगुना हो गई है।

    इस पर जम्मू व कश्मीर में बढ़ते बिजली कट की वजह से गर्म रहने के लिए कई लोग पुरानी विधियों का उपयोग कर रहे हैं। घाटी की बात करें तो यहां दिसंबर के प्रारंभ से ही कांगड़ी, हमाम और चिमनी आदि का प्रयोग अधिक बढ़ गया है। बिजली पर निर्भर होने के बजाय अधिकतर लोगों ने ठंड से बचने के लिए अपने घरों में सुखी लकड़ी, कोयले आदि का भंडारन शुरू कर लिया है।

    3500 मेगावाट पहुंची बिजली की मांग

    ठिठुर रहे जम्मू-कश्मीर में बिजली की मांग 3500 मेगावाट तक पहुंच गई है। बिजली बजट को नियंत्रित रखने के लिए ही बिजली निगम घोषित के साथ अघोषित कटौती करने को मजबूर है। जम्मू में इस समय बिजली मांग 1700 मेगावाट तक पहुंची गई जबकि आपूर्ति 1200 से 1300 मेगावाट तक ही हो पा रही है।

    इसी तरह घाटी में तीन दिन से जारी चिल्लेकलां के दौरान बिजली की मांग 2200 मेगावाट पहुंच गई है जबकि आपूर्ति 1600-1700 मेगावाट के बीच की जा रही है। यानी अभी भी प्रदेश में 500 से 600 मेगावाट बिजली की कमी बनी हुई है।

    बिजली की मांग पर काबू पाने के लिए ही जेपीडीसीएल ने जम्मू व श्रीनगर के लोगों को पीक डिमांड यानी सुबह व शाम के समय इलेक्ट्रानिक उपकरणों का कम से कम इस्तेमाल करने की अपील की है।

    चार सालों में 13 प्रतिशत से भी अधिक बढ़ी बिजली खपत

    बिजली निगम के अनुसार प्रदेश में बिजली की खपत पिछले चार वर्षों में 13 प्रतिशत से भी अधिक बढ़ी है। आंकड़ों के अनुसार 2020-21 से 2023-24 तक जहां पहले प्रति व्यक्ति बिजली खपत 1322 किलोवाट प्रति घंटा हुआ करता था, वह अब बढ़कर 1507 किलोवाट प्रतिघंटा हो गया है।

    इसका एक कारण जनसंख्या में वृद्धि भी है जो 13.41 मिलियन से 13.70 मिलियन करीब है। इस अवधि में कुल खरीदी और उपभोग की गई बिजली यूनिट की संख्या भी 17,721.76 मिलियन से बढ़कर 20,644.47 मिलियन हो गई है।

    जम्मू और कश्मीर में इस समय कुल 23.45 लाख बिजली कनेक्शन हैं। सरकार का लक्ष्य वर्ष 2026 तक 14 लाख स्मार्ट मीटर लगाना है। अभी तक प्रदेश में 5.78 लाख स्मार्ट मीटर ही लगे हैं। मार्च 2025 तक 7.27 लाख मीटर लगाए जाने हैं।

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    पनबिजली परियोजनाओं में बिजली उत्पादन 80 प्रतिशत गिरा

    हिमाश्रित जम्मू-कश्मीर के दरियाओं में जलस्तर गिर जाने की वजह से प्रदेश की अपनी व केंद्र प्रायोजित पनबिजली परियोजनाओं में बिजली उत्पादन 80 प्रतिशत तक कम हो गया है। केंद्र प्रायोजित पनबिजली परियोजनाएं जिनमें सलाल, दुल हस्ती, उरी और किशनगंगा आदि शामिल है कि कुल उत्पादन क्षमता 2300 मेगावाट के करीब है।

    इस समय ये परियोजनाएं 400 से 450 मेगावाट बिजली ही बना पा रहे हैं। इसी तरह प्रदेश की अपनी पनबिजली परियोजनाएं जिनमें 900 मेगावाट बगलिहार-1-2, 110 मेगावाट लोअर झेलम, 110 मेगावाट अपर सिंध सहित अन्य शामिल हैं कि कुल उत्पादन क्षमता 1140 मेगावाट के करीब है, परंतु इन परियोजनाओं से प्रदेश को 200-230 मेगावाट बिजली ही मिल रही है।

    बिजली निगम के प्रवक्ता ने बताया कि वर्ष 2026 तक 3014 मेगावाट की बिजली उत्पादन क्षमता वाली 4 बिजली परियोजनाएं जिनमें 1000 मेगावाट पाकल-डुल, 850 मेगावाट रत्तले, 624 मेगावाट किरू और 540 मेगावाट क्वार शामिल है, को शुरू कर बिजली उत्पादन क्षमता को दोगुना कर दिया जाएगा।

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