'मोदी सरकार की आतंकवाद पर निर्णायक कार्रवाई से J&K में लौटी शांति', कश्मीरी पंडितों की वापसी पर क्या बोले जितेंद्र सिंह?
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई से जम्मू-कश्मीर में सामान्य स्थिति बहाल हु ...और पढ़ें
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केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह। फाइल फोटो
राज्य ब्यूरो, जम्मू। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने शनिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई से जम्मू और कश्मीर में सामान्य स्थिति बहाल हुई है।
उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडितों की विरासत कश्मीर की मिली-जुली संस्कृति का केंद्र है और मोदी सरकार समुदाय की मांगों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।
मोदी सरकार ने पिछले 11 सालों में जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक और लगातार कार्रवाई की है जिसके परिणामस्वरूप आतंकी घटनाओं, पत्थरबाजी और लक्षित हत्याओं में काफी कमी आई है।
केंद्रीय मंत्री ने शनिवार काे यहां एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि यह मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति को दर्शाता है और आतंकवाद से निपटने के पिछले तरीकों से यह बिल्कुल अलग है जिनमें दृढ़ता की कमी थी।यह कार्यक्रम पंडित प्रेम नाथ भट्ट की पुण्यतिथि के अवसर पर आयोजित किया गया था जो एक जाने-माने वकील और पत्रकार थे जिनकी 1989 में इसी दिन कश्मीर में आतंकियों ने हत्या कर दी थी।
भट्ट को श्रद्धांजलि देते हुए मंत्री ने कहा कि उनका बलिदान आतंकवाद और लक्षित हिंसा के कारण कश्मीरी पंडित समुदाय द्वारा झेली गई पीड़ा का प्रतीक है।समुदाय की सांस्कृतिक और भाषाई पहचान के लगातार कमजोर होने पर चिंता व्यक्त करते हुए सिंह ने कश्मीरी पंडित विरासत को संरक्षित करने के लिए लगातार प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया।
सिंह ने कहा कि समुदाय की सांस्कृतिक, भाषाई और सभ्यतागत पहचान को संरक्षित करना कश्मीर की मिश्रित संस्कृति को बनाए रखने के लिए आवश्यक है जो कश्मीरी पंडितों के बिना अधूरी है।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद ने गंभीर मानवीय पीड़ा पहुंचाई और कश्मीर की सामाजिक सद्भाव को गंभीर रूप से बाधित किया। कई सालों तक आतंकवाद के पीड़ितों, विशेष रूप से कश्मीरी पंडितों के मानवाधिकारों को आतंकवाद की एक चयनात्मक और असंगत परिभाषा के कारण नजरअंदाज किया गया।
उन्होंने कहा कि इससे उन लोगों के साथ हुए अन्याय को और बढ़ा दिया गया जिन्हें अपने घर छोड़ने और अपनी पैतृक जड़ों को छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था।
उन्होंने कहा कि कश्मीरी पंडित समुदाय ने दशकों के विस्थापन और कठिनाइयों के बावजूद असाधारण लचीलापन और जीवित रहने और फलने-फूलने की जन्मजात क्षमता का प्रदर्शन किया है। कश्मीर की सदियों पुरानी मिश्रित और बहुलवादी संस्कृति पर प्रकाश डालते हुए मंत्री ने कहा कि कश्मीरी पंडित घाटी की सभ्यतागत ताने बाने का एक अविभाज्य हिस्सा रहे हैं।उन्होंने कहा कि शिक्षा, साहित्य, प्रशासन और सामाजिक मूल्यों में उनके योगदान ने एक स्थिर और तर्कसंगत प्रभाव डाला जिससे पूरे समाज को फायदा हुआ।
उन्होंने कहा कि सरकार कश्मीरी पंडित समुदाय की लंबे समय से चली आ रही मांगों को पूरा करने के लिए ईमानदार, भरोसेमंद और पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि समुदाय सरकार द्वारा पूरी की गई मांगों को संकलित करने और बाकी मुद्दों की स्पष्ट रूप से पहचान करने के लिए एक व्यवस्थित अभ्यास करे। उन्होंने कहा इस समेकित प्रतिनिधित्व को फिर विचार के लिए गृह मंत्रालय को सौंपा जा सकता है।
सिंह ने कहा कि सरकार का दृष्टिकोण न केवल पुनर्वास पर बल्कि घाटी के सांस्कृतिक और सामाजिक ताने-बाने को संरक्षित करने पर भी केंद्रित है। यह सुनिश्चित करते हुए कि कश्मीरी पंडित समुदाय के योगदान को भविष्य की पीढ़ियों के लिए मान्यता दी जाए और बनाए रखा जाए।
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रोहित

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