Jagran Exclusive: मलबा बन चुके घर... समझ नहीं आ रहा कहां से शुरू करें जिंदगी का सफर, सीमावर्ती लोगों ने बयां किया दर्द
पाकिस्तानी गोलाबारी से तबाह हुए ग्रामीणों ने अपना दर्द बयां किया। संघर्ष विराम के बावजूद गोलाबारी से लोगों के घर और मवेशी मारे गए। ग्रामीणों ने मोदी सरकार से पाकिस्तान को सबक सिखाने की मांग की है। पीड़ितों ने बताया कि कैसे पाकिस्तानी गोलाबारी ने उनकी जिंदगी बर्बाद कर दी और उन्हें बेघर कर दिया। वे सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं।
विजय शर्मा, खौड़ (जम्मू)। 'आतंकवाद को शह देने वाले पाकिस्तान पर कभी विश्वास नहीं किया जा सकता। यह एक ऐसा देश है, जिसकी सेना संघर्ष विराम की घोषणा के बाद भी निहत्थे ग्रामीणों पर गोलाबारी करती है।' जम्मू के सीमांत गांव के कई ग्रामीणों ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि पाकिस्तानी गोलाबारी ने उनके सिर से रहने के लिए छत भी छीन ली है, रोजी-रोटी कमाने का साधन माल-मवेशी भी मारे गए हैं, ...अब समझ नहीं आ रहा कि जिंदगी कहां से शुरू करें। इसलिए हमारी मोदी सरकार से मांग है कि संघर्ष विराम तोड़कर पाकिस्तान को और कड़ा सबक सिखाया जाए।
चंद घंटे में ही असली चेहरा दिखाया पाकिस्तान
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने जब पाकिस्तान और गुलाम जम्मू-कश्मीर में आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया तो दुश्मन घुटनों पर आ गया और संघर्ष विराम की गुहार करने लगा।
10 मई, शनिवार को शाम पांच बजे दोनों देशों के बीच संघर्ष विराम लागू हुआ, लेकिन पाकिस्तान ने तीन घंटे में ही अपना असली चेहरा दिखा दिया।
इस समझौते को तोड़ते हुए जम्मू के अखनूर के खौड़ व ज्यौड़ियां सेक्टर में भारी गोलाबारी की, जिसका भारतीय सुरक्षाबलों ने मुंहतोड़ जवाब दिया। पाकिस्तानी रेंजरों ने अपनी गोलाबारी की रेंज बढ़ाते हुए रिहायशी इलाकों को निशाना बनाया, जिससे खौड़ में कई घर तबाह हो गए।
'उस रात घर आ जाता तो परिवार का कोई सदस्य जिंदा नहीं होता'
खौड़ के पहाड़ी वाला गांव के निवासी अजय सिंह अब भी मोदी सरकार से संघर्ष विराम तोड़कर पाकिस्तान को सबक सिखाने की मांग कर रहे हैं। दस मई की रात पाकिस्तानी गोलाबारी में अजय सिंह का मकान क्षतिग्रस्त हो गया और उनकी तीन गाय भी गोली लगने से मारी गई थीं।
अजय ने बताया कि संघर्ष विराम की घोषणा के बाद भी वह सुरक्षित स्थान से अपने परिवार को लेकर घर नहीं लौटे थे, क्योंकि उन्हें पाकिस्तान पर यकीन नहीं था। रात में जब उनका परिवार राहत शिविर में सो रहा था तो पाकिस्तान ने गोलाबारी शुरू कर दी थी।
अजय कहते हैं कि अगर उस रात वह परिवार को लेकर घर आ जाते तो शायद आज उनके परिवार का कोई सदस्य जिंदा नहीं होता। अजय सिंह दिहाड़ी लगाकर अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं।
'पाकिस्तानी गोलाबारी ने सब बर्बाद कर दिया, सरकार करे मदद'
पहाड़ी वाला गांव के रहने वाले कर्ण सिंह ने कई साल की मेहनत के बाद एक पक्का कमरा बनाकर तीन भैसें और एक गाय खरीदी थी। इनका दूध बेच कर वह अपने परिवार का भरण-पोषण करते थे, लेकिन पाकिस्तानी गोलाबारी ने सब बर्बाद कर दिया।
पाकिस्तानी की तरफ से दागे गए मोर्टार शेल ने उनका कमरा उड़ाने के साथ तीनों भैंसों को भी खत्म कर दिया। गाय भी गंभीर रूप से घायल है। पशुओं का शेड बनाने के लिए कर्ण सिंह ने बैंक से कर्ज लिया था। सोचा कि थोड़ा-थोड़ा बचत कर वह कर्ज चुका देंगे, लेकिन अब उसे हर तरफ अंधकार ही नजर आ रहा है।
अकेली वैष्णो देवी कहां जाए, एक कमरा था वह तबाह हो गया
पहाड़ी वाला गांव की रहने वाली वैष्णो देवी का इस दुनिया में कोई नहीं है। वह पूरी तरह से गांव के लोगों की मदद पर निर्भर थी। ग्रामीणों की मदद से ही उसने सिर छिपाने के लिए एक कमरा बनाया था। उनकी मदद से ही उन्हें दो वक्त की रोटी मिल जाती थी, लेकिन पाकिस्तानी गोलाबारी में वैष्णो देवी का भी सब कुछ उजाड़ दिया।
पाकिस्तानी गोला उसके कमरे की छत पर गिरा और सब कुछ ध्वस्त हो गया। अब वह गांव में कभी किसी तो कभी किसी के घर में रात बिताने को मजबूर हैं। सुरक्षाबलों ने उन्हें राहत शिविर में भेजा था तो उसने कभी नहीं सोचा था कि जब वह लौटेगी तो उसके कमरे का मलबा देखने को मिलेगा।
11 मई की सुबह जब उसे गांव में पाकिस्तानी गोलाबारी से लोगों के घरों को हुए नुकसान के बारे में सुना तो अन्य लोगों के साथ वह भी गांव पहुंची। जब उसने अपने कमरे की जगह उसका मलबा देखा तो वह बेसुध हो गई।
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