कितने सुरक्षित हैं स्कूल: अनदेखी का खामियाजा...कमरे टूटते गए, ग्रेड कम होता गया, अब मात्र चार कमरों में चल रहा गर्ल्स मिडिल स्कूल बिश्नाह
जम्मू के बिश्नाह में कभी एक लोकप्रिय सरकारी गर्ल्स हाई स्कूल था जिसकी इमारत अब जर्जर हो चुकी है। कमरे ढह गए हैं और शेष कमरों की हालत भी खराब है जिससे छात्राओं में डर का माहौल है। स्कूल में 65 छात्राएं और आठ शिक्षक हैं लेकिन इमारत की वजह से हादसे का अंदेशा बना रहता है।

सतीश शर्मा, जागरण, बिश्नाह। कस्बा बिश्नाह के बीचों कभी एक सरकारी गर्ल्स हाई स्कूल हुआ करता था, जिसमें दाखिला लेना बिश्नाह की छात्राओं की प्राथमिकता रहती थी।
यह लड़कियों का एक मात्र हाई स्कूल था, जहां कस्बा बिश्नाह के अलावा आसपास के दर्जनों गांवों की लड़कियां दसवीं तक शिक्षा ग्रहण करती थीं और बाद में सरकारी हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ाई करती थीं। शायद ही बिश्नाह या उसके आसपास के गांवों में कोई ऐसा घर हो, जहां की बेटियां इस स्कूल में न पढ़ी हों।
कभी इस स्कूल में दाखिला लेना लड़कियों के लिए सपना होता था, लेकिन आज इस स्कूल में पढ़ाई तो दूर, लोग अपनी लड़कियों को भेजने से भी डरते हैं। इतना ही नहीं, जो कभी दस कमरों का हाई स्कूल था, अब मात्र चार कमरों तक सिमट गया है। कक्षाएं भी यहां दस से घटाकर आठ कर दी गई हैं, क्योंकि इस स्कूल के छह कमरे ढह चुके हैं और शेष जो चार बचे हैं वे भी किसी समय गिर सकते हैं।
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इस स्कूल में पढ़ रही छात्राओं का कहना है कि स्कूल में पढ़ते हुए मन में भय बना रहता है कि कहीं स्कूल की इमारत गिर न जाए। हमारा ध्यान किताबों में कम, कमरे की छत पर ज्यादा रहता है। स्कूल में दस कमरे हैं जिसमें से छह कमरे क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। कुछ की छत क्षतिग्रस्त है और कुछ की दयनीय हो चुकी है।
आधी छुट्टी के समय बना रहता है हादसे का अंदेशा
मौजूदा समय स्कूल में 65 छात्राएं हैं और आठ के करीब शिक्षक हैं। जब बच्चे खेलने या आधी छुट्टी में खाना खाते हैं तो अध्यापकों को डर बना रहता है कि कहीं छात्राएं स्कूल के क्षतिग्रस्त हिस्से में खेलने न चले जाएं, क्योंकि यहां अक्सर छत से ईंटें गिरती रहती हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसा लगता है कि शिक्षा विभाग शायद इस स्कूल को भूल चुका है। कई बार अधिकारियों को स्कूल की मरम्मत के लिए कहा भी गया, लेकिन किसी ने अभी तक इसकी सुध नहीं ली।
यह स्कूल पहले हाई स्कूल हुआ करता था, एक हजार के करीब छात्राएं यहां पढ़ती थीं, लेकिन स्कूल के कमरों के क्षतिग्रस्त होने के साथ ही बच्चों की संख्या में कमी आती गई। इस स्कूल का डिमोशन हुआ। इस हाई स्कूल को मिडिल स्कूल घोषित कर दिया गया। अब सिर 65 बच्चियां ही यहां पढ़ाई करती हैं। -जगदीश राज, स्थानीय निवासी
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इस स्कूल की हालत को सुधारने को लेकर हम कई नेताओं और प्रशासन से मिले। प्रशासनिक लोगों से भी बात की, पर कुछ नहीं हुआ। लोग पहले ही सरकारी स्कूलों की तरफ से हटकर निजी स्कूलों में बच्चों को एडमिशन दिला रहे हैं। हम लोगों से अपील कर बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ने के लिए डालने को बोलते हैं पर स्कूलों की ऐसी हालत देखकर डर लगता है कहीं राजस्थान जैसा हादसा न हो जाए। -जय भारती, पूर्व उपाध्यक्ष, म्यूनिसिपल कमेटी
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