लश्कर हैंडलर अब्दुल राउफ को एनआईए कोर्ट से झटका, जमानत याचिका खारिज
जम्मू में एनआईए कोर्ट ने लश्कर-ए-तैयबा के हैंडलर अब्दुल राउफ बदान की जमानत याचिका खारिज कर दी है। राउफ पर मादक पदार्थों की तस्करी आतंकवाद और अलगाववाद को वित्तीय सहायता देने का आरोप है। अदालत ने कहा कि राउफ पर गंभीर आरोप हैं और उसे रिहा करना देश की सुरक्षा के लिए खतरा होगा। वह सीमा पार से हेरोइन व हथियारों की तस्करी करता था।

जेएनएफ, जम्मू। एनआईए कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर में मादक पदार्थों की तस्करी का नेटवर्क चलाने व आतंकवाद और अलगाववाद का वित्तीय पोषण करने के आरोपित लश्कर-ए-तैयबा के हैंडलर अब्दुल राउफ बदान को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि राउफ पर संगीन आरोप है और ऐसे व्यक्ति को जमानत पर रिहाई देने का मतलब देश की सुरक्षा के साथ युवा पीढ़ी के भविष्य को खतरे में डालने के समान होगा।
राउफ के खिलाफ पांच साल पहले एनडीपीएस एक्ट, आईपीसी व अनलाफुल एक्टीविटीज एक्ट के तहत केस दर्ज हुए थे और अगस्त 2022 में उसे गिरफ्तार किया गया। कोर्ट ने पाया कि आरोपित सीमा पार से हेरोइन व हथियारों की तस्करी करने के साथ जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए पैसा भी एकत्रित करता है।
वह एक कुरियर की तरह काम करता था। कोर्ट ने पाया कि आरोपित के खिलाफ एनआईए ने जो गवाह पेश किए हैं, उनमें से 30 गवाहों के बयान अभी दर्ज होना शेष है। आरोपित पाकिस्तान में बैठें हैंडलरों का महत्वपूर्ण लिंक है और उसे मादक पदार्थों व हथियारों की तस्करी के बदले में पाकिस्तान से मोटा पैसा मिलता था। इससे आरोपित ने करोड़ों रुपये की संपत्ति भी बनाई है।
एनआईए कोर्ट ने पाया कि अगर इस समय आरोपित को जमानत पर रिहाई दी जाती है, तो इससे केस की जांच प्रभावित होने के साथ इस नेटवर्क को तोड़ने के प्रयासों को भी झटका लगेगा, लिहाजा एनआईए कोर्ट ने जमानत अर्जी को खारिज कर दिया।
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