बच्चे को किटाणु, विषाणु, और जीवाणु तीनों से बचाता है मां का दूध, जानिए स्तनपान क्यों है शिशुओं के लिए महत्वपूर्ण?
जम्मू-कश्मीर में स्तनपान को लेकर जागरूकता बढ़ी है लेकिन जन्म के एक घंटे के भीतर स्तनपान कराने वाली महिलाओं की संख्या अभी भी केवल 57% है। डॉक्टरों का कहना है कि पहले घंटे में स्तनपान कराने से बच्चा कीटाणुओं विषाणुओं और जीवाणुओं से सुरक्षित रहता है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सर्वेक्षण-5 अनुसार जन्म के पहले दिन 91% बच्चे स्तनपान करते हैं लेकिन पहले घंटे में केवल 57% ही करते हैं।
राज्य ब्यूरो, जागरण, जम्मू। इन दिनों महिलाओं को स्तनपान से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर को लेकर जागरूकता सप्ताह चल रहा है। हर दिन कई अस्पतालों में कार्यक्रम कर महिलाओं को स्तनपान पर डाक्टर व अन्य स्वास्थ्य कर्मी जागरूक कर रहे हैं।
लेकिन जम्मू-कश्मीर में महिलाएं स्तनपान को लेकर जागरूक तो हुई हैं लेकिन बच्चे के जन्म के एक घंटे बाद स्तनपान करवाने वाली महिलाओं की संख्या आधी ही है। डाक्टरों का कहना है कि अगर एक घंटे के भीतर स्तनपान करवाया जाए तो बच्चा किटाणु, विषाणु, और जीवाणु तीनों से बचा रहता है।
वर्तमान में प्रदेश में जन्म के एक घंटे के भीतर नवजात को स्तनपान कराने वाली महिलाओं की संख्या सिर्फ 57 प्रतिशत है। नेशनल हेल्थ एंड फैमिली सर्वे-5 की रिपोर्ट के अनुसार जम्मू कश्मीर में बच्चे के जन्म के पहले दिन 91 प्रतिशत बच्चों को माताएं स्तनपान करवाती हैं, लेकिन जन्म के एक घंटे के भीतर सिर्फ 57 प्रतिशत का ही आंकड़ा है।
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हालांकि इसमें बढ़ोतरी हुई है। इससे पहले हुए सर्वे में सिर्फ 44.2 प्रतिशत ग्रामीण और 46.6 प्रतिशत शहरी क्षेत्रों के बच्चों को ही जन्म के एक घंटे के भीतर मां का दूध मिला था। डाक्टरों का कहना है कि अभी महिलाओं में जागरूकता बढ़ रही है। अगर इस समय सर्वे हो तो यह संख्या 65 से 70 प्रतिशत के बीच हो सकती है।
डाक्टरों के अनुसार, बच्चे को ए घंटे के भीतर स्तनपान करवाने के अलावा उसके जन्म के तीन दिन तक मां के दूध के अलावा कुछ भी नहीं देना चाहिए। लेकिन नेशनल हेल्थ फैमिली सर्वे के अनुसार 18 प्रतिशत बच्चों को पहले तीन दिन में मां के दूध के अलावा भी कुछ दे दिया जाता है। सर्वे के अनुसार, 88 प्रतिशत बच्चों को एक वर्ष तक स्तनपान करवाया जाता है।
श्री महाराजा गुलाब सिंह अस्पताल में बाल रोग विभाग के एचओडी डा. संजीव ढिंगरा का कहना है कि महिलाओं में स्तनपान को लेकर जागरूकता बढ़ी है। पहले शहरी क्षेत्रों में महिलाएं कम स्तनपान करवाती थी लेकिन अब ऐसा नहीं है। बदलाव आया है।
उनका कहना है बच्चे को पहले छह माह मां का दूध, फिर खिचड़ी, फल और सब्जियां दी जानी चाहिए। इससे बच्चा कुपोषण से पीडि़त नहीं होगा। अगर मां बच्चे के जन्म के छह महीने तक सिर्फ उसे स्तनपान करवाए तो बच्चा कुपोषण से पीडि़त नहीं होगा। मां का दूध बच्चे के स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।
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हर दिन कई कार्यक्रम : जम्मू कश्मीर के सभी अस्पतालों में हर दिन स्तनपान जागरूकता सप्ताह के तहत कार्यक्रम हो रहे हैं। गांधीनगर अस्पताल, सरवाल अस्पताल से लेकर राजौरी, पुंछ, कठुआ, सांबा तक में कार्यक्रम हो रहे हैं। महिलाओं को बाल रोग और महिला रोग विशेषज्ञ स्तनपान के बारे में जागरूक कर रही है।
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