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    हमें गर्व है उन पर, जिन्होंने झुकने नहीं दिया देश का 'ताज', ज्यादातर शूरवीरों ने जम्मू-कश्मीर में आतंकियों को चटाई धूल

    Updated: Sun, 26 Jan 2025 07:28 AM (IST)

    गणतंत्र दिवस के अवसर पर जिन शूरवीरों को कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र से सम्मानित करने की घोषणा की गई है उनमें से अधिकतर ने जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से लड़ते हुए वीरता दिखाई है। इन जांबाजों में कइयों ने देश की आन-बान और शान के लिए अपना बलिदान तक दे दिया लेकिन दुश्मन के मंसूबों को कामयाब नहीं होने दिया।

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    मेजर मंजीत (लेफ्ट) और कैप्टन दीपक सिंह (राइट) (फोटो- एक्स)

     राज्य ब्यूरो जागरण, जम्मू। गणतंत्र दिवस के अवसर पर जिन शूरवीरों को कीर्ति चक्र और शौर्य चक्र से सम्मानित करने की घोषणा की गई है, उनमें से अधिकतर ने जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से लड़ते हुए वीरता दिखाई है। इन जांबाजों में कइयों ने देश की आन-बान और शान के लिए अपना बलिदान तक दे दिया, लेकिन दुश्मन के मंसूबों को कामयाब नहीं होने दिया।

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    मेजर रंजीत

    लोकतंत्र के यज्ञ को भंग नहीं होने दिया

    जम्मू-कश्मीर में बीते वर्ष लोकसभा चुनाव में स्थानीय लोगों के उत्साह से हताश आइएसआइ और उसके पाले हुए आतंकी संगठनों ने उत्तरी कश्मीर में मतदान में खलल डालने का षड्यंत्र रचा। इसके तहत दो विदेशी आतंकी 25 अप्रैल 2024 की रात सोपोर के पास एक गांव में दाखिल हुए। इससे पहले कि वह अपने मंसूबे में कामयाब होते, सेना की 22 आरआर के मेजर मंजीत सिंह के नेतृत्व में सैन्य दल ने उन्हें घेर लिया।

    गोलीबारी की आड़ में 26 अप्रैल की सुबह एक आतंकी निकटवर्ती बाग में दाखिल हो गया। आतंकी ने वहां गोशाला में फंसे नागरिक व उसके दो बच्चों को बंधक बनाना चाहा, लेकिन मेजर मंजीत ने न सिर्फ सुरक्षित बाहर निकाला बल्कि आतंकी को भी मार गिराया। उन्हें उनके अदम्य साहस के लिए कीर्ति चक्र प्रदान किया गया है।

    दिलवर खान

    सांस उखड़ने दी, लेकिन घुसपैठियों को नहीं छोड़ा

    सेना की 28 आरआर में नायक दिलवर खान 23 जुलाई 2024 की रात एलओसी से सटी लोलाब घाटी में नाका पार्टी के साथ तैनात थे। रात को उन्हें दो आतंकी दिखे। नाका पार्टी ने ललकारा तो आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी।

    दिलवर खान ने जान की परवाह किए बिना एक आतंकी को पकड़ लिया और दोनों आपस में गुत्थम गुत्था हो गए। दूसरे आतंकी ने गोली चलानी जारी रखी और दिलवर खान गोली लगने से जख्मी हो गए। इसके बावजूद उन्होंने अपनी गिरफ्त में आए आतंकी को नहीं छोड़ा और उसे मार गिराने के बाद ही अंतिम सांस ली। नायक दिलवर खान को कीर्ति चक्र (मरणोपरांत) प्रदान किया जाएगा। वह हिमाचल के ऊना के रहने वाले थे।

    मेजर आशीष दाहिया

    लश्कर के रियाज और रईस को मार गिराया

    दक्षिण कश्मीर में लश्कर के दो कमांडर रियाज डार और रईस अहमद सभी के लिए सिरदर्द बने हुए थे। दो जून 2024 की रात वे पुलवामा में फंस गए। मेजर दाहिया के नेतृत्व में सैन्य दल ने उन्हें घेर लिया। आतंकियों द्वारा फेंके ग्रेनेड से दाहिया का एक साथी गंभीर घायल हो गया।

    दाहिया ने जान की परवाह न करते हुए पहले अपने साथी को सुरक्षित आड़ में पहुंचाया, फिर रेंगते हुए एक आतंकी के पास पहुंच उसे मार गिराया। उन्होंने दूसरे आतंकी को भी मार गिराया। मेजर दाहिया को शौर्य चक्र प्रदान किया गया है।

    मेजर कुणाल

    कश्मीर को टीआरएफ कमांडर बासित डार से मुक्ति दिलाई

    कश्मीर में आतंक का पर्याय बने लश्कर के मुखौटा संगठन द रजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) के कमांडर बासित डार सुरक्षाबलों के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ था। 10 लाख का इनामी बासित छह मई को साथी संग जिला कुलगाम आया। इसका पता चलते ही आरआर की प्रथम वाहिनी के दस्ते ने उसे पकड़ने के लिए अभियान चलाया। मेजर कुणाल भी एक टुकड़ी का नेतृत्व कर रहे थे।आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर गोली चलाई। सुरक्षाबलों ने जवाबी फायर किया, लेकिन आतंकी मकान में छिप गए।

    मेजर कुणाल अपने साथी संग आतंकी ठिकाना बने मकान की तरफ गोलियों की बौछार के बीच बढ़े। उन्होंने जान की परवाह किए बिना एक आतंकी को मार गिराया। यह आतंकी कोई और नहीं टीआरएफ का आपरेशनल कमांडर बासित डार था। कश्मीर को बासित डार के आतंक से मुक्ति दिलाने के लिए मेजर कुणाल को शौर्य चक्र प्रदान किया जा रहा है।

    मेजर सतिंदर धनखड़

    डोडा में आतंकियों को बताई सेना की ताकत

    जैश के मुखौटा संगठन पीपुल्स एंटी फासिस्ट फ्रंट (पीएएफएफ) के तीन आतंकी गत वर्ष जम्मू के डोडा में दाखिल हो गए। छह जून 2024 को वे जंगल में ढोक में छिपे थे कि मेजर सतींदर धनखड़ ने अपने दस्ते के साथ उन्हें घेर लिया और एक आतंकी को ढेर कर दिया। इस दौरान वह अन्य आतंकियों की फायरिंग रेंज में आ गए और एक गोली उनकी जांघ पर लगी।

    उन्होंने अपने साथियों को वहां से निकालते हुए अदम्य साहस का परिचय देते राकेट लांचर को उठाया और दूसरे आतंकी पर दाग दिया। दूसरा आतंकी भी मारा गया और तीसरा आतंकी जख्मी हो गया। जो कुछ ही देर में अन्य जवानों की फाय¨रग में मारा गया। अनुकरणीय नेतृत्व और अदम्य साहस का परिचय देने के लिए मेजर सतिंदर धनखड़ को शौर्य चक्र प्रदान किया जा रहा है।

    कैप्टन दीपक सिंह

    बलिदान दे दिया लेकिन आतंकी को नहीं छोड़ा

    डोडा के अस्सर में 13 अगस्त 2024 को आतंकियों की मौजूदगी की सूचना पर कैप्टन दीपक सिंह की कमान में दो टीमें तुरंत रवाना हुईं। उन्होंने पूरी रात आतंकियों की घेराबंदी रखी। सुबह होते ही उन्होंने आतंकियों को तलाश शुरू की और इस दौरान उन्होंने एक एम 4 एसाल्ट राइफल, गोला-बारूद और ग्रेनेड को बरामद किया।

    एक आतंकी वहीं छिपा हुआ था, जिसने जवानों को मुठभेड़ में उलझाते हुए अपने साथियों को भागने में मदद की थी। उसने सैन्य टुकड़ी पर गोलीबारी शुरू कर दी। कैप्टन दीपक सिंह अपने साथियों को बचाने में बुरी तरह जख्मी हो गए, लेकिन उन्होंने आतंकी को मार गिराया। बाद में वह भी अपने जख्मों के ताव न सहते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए। असाधारण बहादुरी और पराक्रम के लिए कैप्टन दीपक सिंह को शौर्य चक्र (मरणोपरांत) प्रदान किया जा रहा है।

    सूबेदान विकास तोमर

    जंगल में घुसे पाकिस्तानी आतंकी को मार गिराया

    कठुआ में मच्छेडी के जंगल में छिपे पाकिस्तानी आतंकियों को पकड़ने के लिए 11 सितंबर 2024 को सेना के पैरा कमांडो दस्ते ने एक विशेष अभियान चलाया। इसमें सूबेदार विकास तोमर भी शामिल हुए। वह मच्छेड़ी के दागड़ी इलाके में घेराबंदी कर रहे थे कि आतंकियों ने हमला कर दिया।

    सूबेदार विकास तोमर ने तुरंत जवाबी फायर किया और अपने दस्ते को सुरक्षित किया। उन्होंने सटीक निशाना लगाते एक आतंकी के सिर को उड़ा दिया। असाधारण नेतृत्व, दृढ़ निश्चय और गोलीबारी के बीच भी सूझबूझ का परिचय देने के लिए विकास तोमर को शौर्य चक्र प्रदान किया जा रहा है।

    हवलदार रोहित

    हिम स्खलन की परवाह न कर लिख दी वीरता की गाथा

    हाई अल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल में हवलदार प्रशिक्षक के पद पर तैनात हवलदार रोहित कुमार को समुद्रतल से 7077 मीटर की ऊंचाई पर स्थित कुना चोटी की खतरनाक ढलान पर रास्ता तैयार करने का जिम्मा मिला। उन्होंने आपरेशन क्लाइं¨बग दल का नेतृत्व किया और अपने जीवन की परवाह किए बिना हिमस्खलन की आशंका वाली ढलानों में माउंट कुन चोटी तक जाने का रास्ता खोला। आठ अक्टूबर 2023 को जब वह ऊपर चढ़ रहे थे तो 850 ढलान पर हिमस्खलन हुआ और हवलदार रोहित और उनकी टीम को अपनी चपेट में ले लिया। हवलदार रोहित कुमार ने भारतीय सेना की सर्वश्रेष्ठ परंपराओं के अनुसार अपना कर्तव्य निभाते हुए बलिदान दे दिया। उन्हें शौर्य चक्र (मरणोपरांत) प्रदान किया जा रहा है।

    हवलदार प्रकाश

    नहीं छोडा मैदान

    नौ जून 2024 को बारामुला में विदेशी आतंकियों का एक दल सैन्य शिविर पर हमले की योजना बना रहा था। पता चलते ही सेना की 32 आरआर के जवानों ने उन्हें पकड़ने के लिए अभियान चलाया। हवलदार प्रकाश तमांग भी एक टुकड़ी का नेतृत्व कर रहे थे, वह आतंकियों का ठिकाना बने मकान तक पहुंचने में कामयाब रहे।

    आतंकियों ने टुकड़ी पर ताबड़तोड़ फायरिंग की। प्रकाश ने सूझबूझ का परिचय देते टुकड़ी की सुरक्षा को सुनिश्चित बनाया। एक गोली उनकी दाहिनी जांघ पर लगी, लेकिन उन्होंने मुठभेड़ स्थल से हटने के बजाय एक आतंकी के पास पहुंच उसे मार गिराया। उन्हें शौर्य चक्र प्रदान किया जा रहा है।

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