जम्मू में अब नहीं चल पाएंगे माडिफाइड वाहन, संज्ञान में लाने के बाद जिला प्रशासन ने अपनाया सख्त रुख
जम्मू जिला प्रशासन ने मॉडिफाइड वाहनों पर सख्ती दिखाई है। उपायुक्त जम्मू ने धारा 163 के तहत अवैध एक्सेसरीज की बिक्री और खरीद पर तत्काल रोक लगा दी है। यह फैसला एसएसपी ट्रैफिक की रिपोर्ट के बाद लिया गया क्योंकि कई प्रतिष्ठान मोटर वाहन अधिनियम का उल्लंघन कर रहे थे।

जागरण संवाददाता, जम्मू। जिला जम्मू में वाहनों में गैरकानूनी रूप से की जा रही माडिफिकेशन पर प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया है।
उपायुक्त जम्मू सचिन कुमार वैश्य ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 163 के तहत एक आदेश जारी कर जिला में अवैध वाहन एक्सेसरीज की बिक्री, भंडारण, खरीद-फरोख्त और प्रदर्शन पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है।
यह आदेश एसएसपी, ट्रैफिक जम्मू की रिपोर्ट के आधार पर जारी किया गया है, जिसमें बताया गया कि जिले में कई व्यावसायिक प्रतिष्ठान और विक्रेता बड़े पैमाने पर ऐसी एक्सेसरीज की खरीद-बिक्री में लगे हुए हैं, जो मोटर वाहन अधिनियम 1988 का उल्लंघन कर वाहनों में अवैध बदलाव के लिए उपयोग हो रही हैं।
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इन एक्सेसरीज में ओवरसाइज टायर, प्रेशर हार्न, म्यूजिकल हार्न, मेटलिक बंपर, हाई इंटेंसिटी हैलोजन लाइट्स, टिंटेड या रिफ्लेक्टिव विंडो फिल्म, रूफ रेल स्पायलर, माडिफाइड एक्जास्ट आदि शामिल हैं, जो वाहन के निर्माता द्वारा निर्धारित मूल संरचना को बदलकर यात्री और पैदल यात्रियों की सुरक्षा के लिए खतरा बन जाते हैं।
आदेश में कहा गया है कि ट्रैफिक पुलिस द्वारा कार्रवाई के बावजूद ऐसी एक्सेसरीज की खुलेआम बिक्री जारी है, जिससे गैरकानूनी माडिफिकेशन को बढ़ावा मिल रहा है। इस कारण सड़कों पर दुर्घटनाओं की आशंका बनी हुई है।
आदेश को तुरंत लागू करने के लिए एसएसपी जम्मू, ट्रैफिक एसएसपी, जम्मू और संबंधित फील्ड अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। इसके अतिरिक्त, एक संयुक्त समिति गठित की गई है, जिसमें संबंधित तहसीलदार, थाना प्रभारी, डीटीआई और आरटीओ कार्यालय के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
यह समिति समय-समय पर निरीक्षण कर पालन सुनिश्चित करेगी और हर पंद्रह दिन में रिपोर्ट जिला उपायुक्त कार्यालय को सौंपेगी। इस आदेश का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और मोटर वाहन अधिनियम 1988 के अंतर्गत सख्त कार्रवाई की जाएगी, साथ ही प्रतिबंधित सामग्री को जब्त किया जाएगा।
वाहन माडिफिकेशन के ये हैं नुकसान
वाहन के मूलभूत ढांचे जोकि उसके रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट आरसी में दर्ज होते है को छोड़ कर बाहरी बदलाव, जैसे इलेक्ट्रीकल ट्यूनिंग, नया साइलेंसर लगवाना बड़े इंजन या अन्य प्रकार का बदलाव वाहन की मूल संरचना को कमजोर कर देते हैं। साथ ही दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ाते हैं। जम्मू में ही हाल में थार गाड़ियों को माडिफाइ करवा कर कुछ युवक उसे तेज रफ्तार चला कर स्टंटबाजी के वीडियो बनाते सामने आए थे।
इस मामले के ट्रैफिक पुलिस के संज्ञान में आने के बाद उन्होंने माडिफाइड गाड़ियों के विरुद्ध अभियान चलाते हुए 109 वाहनों को कार्रवाई की थी। कइयों को सीज तो कईयों पर भारी जुर्माना लगाया गया है। माडिफिकेशन से जुड़े सुरक्षा गड़बड़ियों के चलते जिला प्रशासन ने अब वाहनों की मूल संरचना में होने बदलाव को रोकने के लिए वाहन माडिफिकेशन पर रोक लगा दी है।
शोर एवं प्रदूषण बढ़ता है
माडिफाइड साइलेंसर और लाउड एग्जास्ट सिस्टम न केवल सड़क सुरक्षा बल्कि ध्वनि एवं वायु प्रदूषण मानदंडों का उल्लंघन करते हैं। इनका वाहनों में प्रयोग करने से एक हजार से लेकर पांच हजार रुपये तक जुर्माने के साथ साइलेंसर या सिस्टम को जब्त कर लिया जाता है।
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बीमा दावे अस्वीकृत
बिना कानूनी अनुमति किए गए बदलावों से बीमा कंपनियां क्लेम स्वीकार नहीं करतीं, जिससे दुर्घटना या चोरी की स्थिति में मोटा आर्थिक नुकसान हो सकता है।
हिट एंड रन केस में पहचान मुश्किल
वाहन के पंजीकृत रंग और साइलेंसर आदि बदलने से वाहन की पहचान कठिन हो जाती है। हिट एंड रन जैसे मामलों में ट्रेसिंग मुश्किल हो जाती है।
मोटर व्हीकल एक्ट, 1988 के तहत प्रावधान एवं दंड
- धारा 52: मालिक द्वारा वाहन की संरचना में ऐसा परिवर्तन किया जाए कि वह निर्माता के मूल विवरण से मेल न खाता हो, तो मालिक को 14 दिनों के भीतर आरटीओ को सूचना देना जरूरी है। बिना अनुमति परिवर्तनों पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है
- धारा 190 : ऐसे परिवर्तनों से वाहन अन-सेफ घोषित हो सकता है। पहले बार पकड़े जाने पर दस हजार रुपये का जुर्माना या तीन माह की सजा होती है।
- धारा 207 : आवाज बढ़ाने वाले नाल-स्टेडेंट साइलेंसर लगाने पर एक से पांच हजार रुपये तक जुर्माना और साइलेंसर जब्त होता है।
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