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    जम्मू-कश्मीर से जुड़ी थी इरफान खान की कई यादें, कश्मीरी वॉजवान के भी थे शौकीन

    By Rahul SharmaEdited By:
    Updated: Thu, 30 Apr 2020 03:06 PM (IST)

    नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में इरफान के बैचमेट कश्मीर के बशीर यासीर भवानी ने कहा कि इरफान के निधन के साथ एक स्कूल ऑफ एक्टिंग समाप्त हो गया है। ...और पढ़ें

    जम्मू-कश्मीर से जुड़ी थी इरफान खान की कई यादें, कश्मीरी वॉजवान के भी थे शौकीन

    जम्मू, अशोक शर्मा। अपनी अदायगी से किरदार को जीवंत बनाने वाले अभिनेता इरफान जिनकी बड़ी-बड़ी आंखों के लिए कहा जाता है कि अफसाने कहती हैं, गत बुधवार को सदा के लिए बंद हेा गई। इरफान बेशक आज हमारे बीच नहीं रहे लेकिन अभिनय की परिपक्वता के लिए वह हमेशा दर्शकों के दिलों में रहेंगे। उनके निधन के समाचार ने देश दुनिया के कला प्रेमियों की तरह जम्मू-कश्मीर के कला प्रेमियों को भी गहरे सदमें में डाल दिया। जम्मू-कश्मीर से जुड़ी उनकी यादों ने अहसास करवाया कि वह जम्मू के कलाकारों के करीबियों में से थे।

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    कई फिल्मों में अभिनय कर चुके संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित नाट्य निर्देशक मुश्ताक ने इरफान के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि उनसे हुई हर मुलाकात की यादें आज आंसू बन कर छलक रही हैं। उनसे मेरी पहली मुलाकात अपने जम्मू शहर के अभिनव थियेटर में ही हुई थी जब वह दिल्ली से लाइक हुसैन के निर्देशन में मंचित नाटक ‘शहर-ए-मातम’ का मंचन करने आए थे। नाटक देखने के बाद उनसे जो मुलाकात हुई। उससे लगा एक अच्छा कलाकार दुनिया को मिलने वाला है। बाद में एनएसडी में जेएन कौशल ने उनसे मुलाकात करवाई। जब भी मिले हमेशा लगा कि यह व्यक्ति तो पूरी तरह से कला काे ही समर्पित है। कला के प्रति उनकी निष्ठा उन्हें मेरे दिल में हमेशा जिंदा रखेगी। ‘यकीन नहीं हो रहा कि आज इरफान हमारे बीच नहीं है।’

    इरफान के निधन के साथ एक स्कूल ऑफ एक्टिंग समाप्त हो गया:  नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में इरफान के बैचमेट कश्मीर के बशीर यासीर भवानी ने कहा कि इरफान के निधन के साथ एक स्कूल ऑफ एक्टिंग समाप्त हो गया है। वह अपने आप में एक संस्थान थे। वर्ष 1984-87 एनएसडी बैच में वह उनके साथ थे। उन्होंने अभिनय में डिग्री की तो मैं निर्देशन में पास आउट हूं। वह मेरे छोटे भाई की तरह था। वर्ष 1987 में इरफान ने उनकी डिप्लोमा प्रोडक्शन ‘मोटोकार’ में मुख्य भूमिका निभाई थी। उसके बाद फिल्म हैदर में मुझे उनके साथ काम करने का मौका मिला। वहीं फिल्म सात खून माफ में भी उनके साथ कुछ दिन के लिए काम करने का मौका मिला। वर्ष 2010 में हम उनसे 25 साल के बाद मिले थे और फिल्म सात खून माफ में काम किया। वर्ष 2014 में जब मैंने ‘एकता स्कूल ऑफ ड्रामा’, श्रीनगर शुरू किया तो उसके उद्घाटन के लिए इरफान श्रीनगर आए थे। अपने साथियों सहित पूरा दिन हमारे साथ बिताया। उसकी महानता का शब्दों में व्याख्यान कर पाना शायद मेरे लिए संभव नहीं।

    कश्मीरी वाॅजवान के शौकीन थे इरफान: वरिष्ठ कलाकार अरविंद आनंद लक्की ने बताया कि जब इरफान एनएसडी कर रहे थे, तो वह दिल्ली में ट्रेनिंग के लिए गए हुए थे। उन्हीं दिनों उनका नाटक ‘लाेर डेप्थ’ देखा था। उसके बाद इरफान जब एनएसडी फेस्टिवल में अभिनव थियेटर में नाटक का मंचन करने आए तो उन्होंने कश्मीरी वाजवान खाने की इच्छा व्यक्त की। फिर मुश्ताक काक, इरफान खान, सुतापा, इदरीस मलिक और मैंने नाज होटल में एक साथ डिनर किया था। आज जब इरफान के निधन का समाचार मिला तो सभी यादें ताजा हो गई।