Maa Vaishno Devi: रोपवे प्रोजेक्ट नहीं छीनेगा लोगों का रोजगार, LG मनोज सिन्हा ने बताया कैसे बढ़ेगा मुनाफा
वैष्णो देवी रोपवे प्रोजेक्ट को लेकर जारी बंद पर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने अपनी नाराजगी जताई है। उन्होंने कहा कि यह परियोजना किसी की आजीविका नहीं छीनेगी बल्कि और भी कई लोगों की आर्थिक खुशहाली का माध्यम बनेगी। यह यात्रा को सुगम बनाने के साथ श्री माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि करेगी।

राज्य ब्यूरो, जम्मू। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने सोमवार को कटड़ा में प्रस्तावित ताराकोट रोपवे परियोजना को लेकर जारी बंद पर अंसतोष जताते हुए कहा कि हड़ताल करना सही नहीं। इसे लेकर जिस तरह से प्रचार किया जा रहा है, वह यथार्थ से परे है। यह परियोजना न्यायालय के निर्देशानुसार स्थानीय भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए व स्थानीय हितधारकों से विचार के बाद ही तैयार की गई है।
'परियोजना आजीविका नहीं छीनेगी'
यह परियोजना किसी की आजीविका को नहीं छीनेगी बल्कि और भी कई अन्य लोगों की आर्थिक खुशहाली का माध्यम बनेगी। यह यात्रा को सुगम बनाने के साथ श्री माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि करेगी।
अगर फिर भी कोई आशंकित है तो वह केंद्रीय सशक्त समिति से बातचीत करे। रोपवे परियोजना को लेकर कटड़ा में एक सप्ताह से जारी बंद को लेकर उपराज्यपाल ने अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि मैं किसी को परियोजना का विरोध करने से मना नहीं कर सकता, लेकिन विरोध व्यावहारिक होना चाहिए। जिन बातों की आशंका जताई जा रही है, वह निराधार हैं।
'विदेश से रोजाना हजारों श्रद्धालु आते हैं'
परियोजना को लेकर किसी को अगर अपने अहित की आशंका है तो वह तभी दूर होगी जब वह उसके समाधान की इच्छा के साथ बातचीत के लिए आगे आएगा।
उपराज्यपाल ने कहा कि माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए देश-विदेश से रोजाना हजारों श्रद्धालु आते हैं, बंद की आड़ में उनके लिए यात्रा को मुश्किल बनाकर हम किसका भला कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण में वर्ष 2017 में गौरी मुलेखी ने एक याचिका दायर की थी। उसी याचिका के फलस्वरूप यात्रा मार्ग पर घोड़ों और खच्चरों को हटाने का निर्णय हुआ।
तय किया गया कि यात्रा मार्ग पर इस्तेमाल होने वाले सभी घोड़ा-खच्चर चरणबद्ध तरीके से हटाए जाएं और इससे प्रभावित होने वाले खच्चर व घोड़े वालों को पुनर्वासित किया जाए।
उनकी आजीविका की वैकल्पिक व्यवस्था हो। पुनर्वास योजना के तहत 50 हजार रुपये व अन्य सहायता का प्रविधान किया गया। इसी बीच मामला सुप्रीम कोर्ट में गया। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर 26 नवंबर 2018 को एक समिति बनाई गई।
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अप्रैल 2022 में रोपवे प्रोजेक्ट को दी गई मंजूरी
समिति ने सभी संबंधित पक्षों से बातचीत के बाद 12 जुलाई 2019 को रोपवे परियोजना के प्रस्ताव के साथ अपनी रिपोर्ट दी। समिति की रिपोर्ट के आधार पर श्राइन बोर्ड ने अप्रैल 2022 में रोपवे परियोजना को मंजूरी दी।
इस योजना की वैधता और सर्वे का जिम्मा राइट्स को सौंपा गया, जिसने कहा कि परंपरागत मार्ग की भौगोलिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए वहां रोपवे का निर्माण अनुचित है, वहां आपात परिस्थिति में राहत कार्य मुश्किल हो जाएगा और जगह भी पर्याप्त नहीं है। इसलिए ताराकोट-सांझीछत के बीच रोपवे को बनाने का निर्णय लिया गया है।
सीमित संख्या में ही श्रद्धालु उठा सकेंगे लाभ
रोपवे परियोजना से बंद नहीं होगी पैदल यात्रा उपराज्यपाल ने कहा कि रोपवे परियोजना से पैदल यात्रा बंद नहीं होगी, क्योंकि सीमित संख्या में ही श्रद्धालु इसका लाभ उठा सकेंगे। इसके अलावा रोपवे से यात्रा का टिकट लेने के लिए श्रद्धालुओं को कटड़ा में निहारिका भवन में ही आना होगा।
अगर अब कोई कहे कि इससे पिट्ठू और पालकी वालों की आजीविका बंद हो जाएगी तो यह सरासर गलत है। इसके बावजूद पिट्ठू और पालकी वालों को वैकल्पिक आजीविका उपलब्ध कराने, उनके आर्थिक पुनर्वास की योजना भी बोर्ड और सरकार के पास विचाराधीन है। चरण पादुका से भी ताराकोट तक एक संपर्क मार्ग विकसित किया जा रहा है।
एक्सप्रेस-वे को लेकर भी दूर होंगी आशंकाएं
उपराज्यपाल ने कहा कि श्राइन बोर्ड परंपरागत यात्रा मार्ग के सुंदरीकरण, यात्रा मार्ग पर स्थित सभी धर्मस्थलों के विकास व संरक्षण के लिए एक बहुआयामी योजना को कार्यान्वित कर रहा है। हम इस पूरे क्षेत्र में स्थित सभी पौराणिक धर्मस्थलों को विकसित करते हुए आपस में जोड़ रहे हैं।
कटड़ा के लोगों को इंटर माडल स्टेशन और एक्सप्रेस-वे परियोजना को लेकर भी कुछ आशंकाएं हैं। उन्हें भी दूर किया जा रहा है। इस विषय में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से भी बातचीत की जाएगी।
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