मां चंडी के लिए यात्रा शुरू... अब महज तीन KM रह जाएगा 30 किलोमीटर का सफर, सितंबर तक जारी रहेगी यात्रा
किश्तवाड़ में मचैल माता की यात्रा शुक्रवार से शुरू हो गई है। इस यात्रा में लाखों श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। जिला प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। पहले श्रद्धालुओं को 30 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था लेकिन अब यह दूरी घटकर 7 किलोमीटर रह गई है। पुल बनने के बाद यह दूरी और कम हो जाएगी।

बलवीर सिंह जम्वाल, किश्तवाड़। लाखों श्रद्धालुओं की आस्था की प्रतीक मचैल यात्रा दरबार खुलते और मां चंडी के जयघोष के साथ शुक्रवार को शुरू हो जाएगी। करीब सवा महीना चलते वाली इस यात्रा में जम्मू-कश्मीर के अलावा अन्य राज्यों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है।
किश्तवाड़ जिला प्रशासन ने सभी प्रबंध पूरे कर लिए हैं और सुरक्षा के भी कड़े इंतजाम किए गए हैं। इस बार विशेष बात यह है कि वर्ष 2011 तक श्रद्धालुओं को करीब 30 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था, जो अब सात किलोमीटर रह गया है। मौजूदा समय में यात्रा मार्ग पर पाडर के चशोती गांव में पुल का निर्माण कार्य अंतिम चरण में हैं।
उम्मीद है कि यह पुल भी 15 से 20 दिन में तैयार हो जाएगा और इसी बार यात्रा के दौरान ही पैदल सफर सिमटकर मात्र तीन किलोमीटर रह जाएगा।
तीन लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने किए दर्शन
मचैल यात्रा 25 जुलाई से शुरू होकर पांच सितंबर तक चलेगी। पवित्र छड़ी 17 अगस्त को जम्मू से प्रारंभ होकर 22 अगस्त को दरबार पहुंचेगी, जहां विधिवत पूजन होगा। पिछले बार तीन लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने मंदिर में माथा टेका था।
इस बार यह आंकड़ा पांख लाख पार करने की उम्मीद की जा रही है। मचैल गांव जिला किश्तवाड़ से 95 किलोमीटर और गुलाबगढ़ से 30 किलोमीटर दूर है। वर्ष 2011 तक गुलाबगढ़ तक वाहन जाता था। मौजूदा समय में निजी वाहन गुलाबगढ़ तक जाता है। उससे आगे 23 किलोमीटर चशोती गांव तक प्रशासन की ओर से वाहनों का प्रबंध किया गया है।
इससे आगे मात्र सात किलोमीटर ही पैदल चलना पड़ता है। चशोती में पुल का निर्माण पूरा होते ही यात्रा और सुगम हो जाएगी। शेष तीन किलामीटर में भी कच्चा रास्ता बन चुका है। बता दें कि सुरक्षा कारणों से इस बार श्रद्धालुओं को हेलीकाप्टर सेवा उपलब्ध नहीं होगी।
दुर्गम पहाड़ियों में बसा है मां चंडी का स्वरूप
मां चंडी पिंडी रूप में विराजमान मचैल गांव दुर्गम पहाड़ियों के बीच प्रकृति की गोद में बसा हुआ है। यहां का प्रसिद्ध मचैल माता का मंदिर लकड़ी से बना है, जिसमें समुद्र मंथन का आकर्षक दृश्य अंकित है।
मंदिर के बाहर पौराणिक देवी-देवताओं की कई मूर्तियां लकड़ी की पटीकाओं पर बनी हुई हैं। गर्भगृह में मां चंडी एक पिंडी के रूप में विराजमान हैं, जिनके साथ चांदी की मां महाकाली की मूर्ति भी है।
सलाह जारी: किश्तवाड़ से मचैल के बीच विभिन्न पड़ाव पर सुबह पांच से शाम पांच बजे के बीच ही यात्रा की अनुमति होगी। प्रतिदिन आठ हजार तीर्थयात्रियों को गुलाबगढ़ से मंदिर तक जाने की अनुमति होगी। इनमें से छह हजार तीर्थयात्रियों को आनलाइन और दो हजार को आफलाइन अनुमति दी जाएगी। श्रद्धालु सरकूट, गुलाबगढ़ और चशोती में पंजीकरण करा सकते हैं।
यात्रा के लिए फोन नंबर जारी
- नियंत्रण कक्ष (डीसी कार्यालय, किश्तवाड़): 9484217492, 9697610972 l
- पुलिस नियंत्रण कक्ष (पीसीआर किश्तवाड़): 91 9906154100 l वेबसाइट: www shrimachailmatayatra.com
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