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    'स्थानीय सरकार के पास सुरक्षा की जिम्मेदारी होती तो नहीं होता पहलगाम हमला', फारूक अब्दुल्ला ने फिर केंद्र से की बड़ी मांग

    Updated: Sun, 27 Jul 2025 11:17 PM (IST)

    नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा बहाल किया जाना चाहिए ताकि देश के संविधान का सम्मान किया जा सके। उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था पर चिंता जताते हुए कहा कि अगर स्थानीय सरकार के पास जिम्मेदारी होती तो पहलगाम हमला रोका जा सकता था। अब्दुल्ला ने अनुच्छेद 370 हटाने के बाद आतंकवाद बढ़ने की बात भी कही और केंद्र सरकार से जवाब मांगा।

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    जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल किया जाना चाहिए: फारूक अब्दुल्ला

    राज्य ब्यूरो, जम्मू। नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि अगर देश के संविधान का सम्मान किया जाना है तो जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि अगर स्थानीय सरकार के पास सुरक्षा की जिम्मेदारी होती तो हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले को रोका जा सकता था।

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    उन्होंने समाचार एजेंसी से बातचीत करते हुए केंद्र शासित प्रदेश में राज्य का दर्जा बहाल करने की बढ़ती मांग के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि यह आशावादी होने का सवाल नहीं है। अगर भारत के संविधान का सम्मान किया जाना है तो राज्यों को कभी भी केंद्र शासित प्रदेशों में नहीं बदला जाएगा। त्रासदी यह है कि उन्होंने एक राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया। उन्होंने ऐसा कर क्या हासिल किया।

    अब्दुल्ला ने याद दिलाया कि छह साल पहले 5 अगस्त 2019 को जब अनुच्छेद 370 को निरस्त किया गया था तब वादे किए गए थे कि आतंकवाद समाप्त हो जाएगा। क्या आतंकवाद समाप्त हो गया है या यह बढ़ गया है। केंद्र को संसद में इसका जवाब देना चाहिए।

    अब्दुल्ला ने कहा कि लोग उम्मीद कर रहे थे कि जम्मू-कश्मीर को जल्द ही राज्य का दर्जा देने की घोषणा की जाएगी। पहले से ही सभी विपक्षी दल संसद में भी हमारे लिए लड़ रहे हैं।

    आपने हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र देखा है जिसमें राज्य का दर्जा बहाल करने का अनुरोध किया गया है।अब्दुल्ला ने याद दिलाया कि केंद्र सरकार ने संसद में हमसे वादे किए हैं और सुप्रीम कोर्ट में भी अपनी प्रतिबद्धता जताई है।

    पूर्ववर्ती राज्य के तीन बार मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं फारूक ने राज्य को डाउनग्रेड करने के पीछे केंद्र की मंशा पर सवाल उठाया। वर्तमान स्थिति पर अब्दुल्ला ने सुरक्षा और प्रशासनिक मामलों पर निर्वाचित सरकार के नियंत्रण की कमी पर दुख जताया और कहा कि हाल ही में पहलगाम आतंकवादी हमले को रोका जा सकता था यदि स्थानीय सरकार सुरक्षा के प्रभारी होती।

    पहलगाम में सुरक्षा में चूक की उपराज्यपाल की स्वीकारोक्ति का हवाला देते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि मुझे खुशी है कि उपराज्यपाल ने अपनी नाकामी स्वीकार कर ली है। उन्हें इस्तीफा देने का साहस दिखाना चाहिए था।

    अब्दुल्ला ने राज्यसभा में चार सीटें खाली रहने पर जम्मू-कश्मीर की खामोशी की ओर इशारा करते हुए इसे एक त्रासदी बताया। जम्मू-कश्मीर को राज्यसभा के लिए चुनाव से क्यों वंचित रखा गया। विधानसभा में भी दो सीटें खाली हैं। चुनाव आयोग क्या कर रहा है।

    उन्होंने पार्टी में अंदरूनी कलह की बात को खारिज कर दिया।यह पार्टी एक लोकतांत्रिक पार्टी है। यह भाजपा जैसी नहीं है जो एक निरंकुश पार्टी बन गई है। यहां लोगों को अपनी बात कहने का अधिकार है। उन्होंने पार्टी और श्रीनगर के सांसद आगा रुहुल्लाह मेहदी के बीच मतभेद के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा।

    पाकिस्तान की भूमिका पर अब्दुल्ला का रुख कड़ा था। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान हार मानने वाला नहीं है। इसलिए आगे का रास्ता क्या है। युद्ध कभी किसी समस्या का समाधान नहीं होता। उन्होंने एक ऐसे शांतिपूर्ण समाधान की वकालत की जो भारत के लिए, पाकिस्तान के लिए और जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए सम्मानजनक हो।

    अलगाववादी नेता बिलाल लोन के मुख्यधारा में शामिल होने की घोषणा के बारे में पूछे गए एक सवाल पर उन्होंने कहा कि मुझे बहुत खुशी है कि उन्हें एहसास हो गया है कि जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा है और उम्मीद जताई कि यह नेता वर्षों तक जंगल में रहने के बाद अब लोगों के कल्याण में योगदान दे सकेंगे