Jammu: व्यक्तिगत विवादों को निपटाने के लिए कानून को हथियार नहीं बनाया जा सकता, फास्ट ट्रैक कोर्ट ने किया स्पष्ट
जम्मू में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने दुष्कर्म मामले में एससी-एसटी एक्ट के तहत कार्रवाई की मांग खारिज कर दी यह कहते हुए कि कानून का इस्तेमाल व्यक्तिगत विवादों के लिए नहीं किया जा सकता। दूसरी ओर एनडीपीएस कोर्ट ने मादक पदार्थ तस्करी के मामले में कालू राम को 15 साल और तरसेम लाल को 10 साल की सजा सुनाई क्योंकि नशा समाज को खोखला कर रहा है।

जेएनएफ, जम्मू। फास्ट ट्रैक कोर्ट जम्मू ने दुष्कर्म के एक मामले में पीड़ित की ओर से आरोपित के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत कार्रवाई करने की मांग को ठुकराते हुए कहा है कि व्यक्तिगत विवादों को निपटाने के लिए कानून को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
केस के मुताबिक पीड़ित ने शिकायत दर्ज करवाई थी जिसमें उसने कहा कि आरोपित वरूण सैनी ने वर्ष 2022 में उसके साथ धोखे से शादी की और दिसंबर 2023 में वह गर्भवति हो गई। आरोपित ने धोखे से उसे कोई दवाई खिलाई जिससे गर्भपात हो गया। पीड़ित का आरोप था कि आरोपित फर्जी शादी के नाम पर उसके साथ दो साल तक दुष्कर्म करता रहा।
इस शिकायत के आधार पर पुलिस ने दुष्कर्म का केस दर्ज किया और चार्जशीट दायर होने के बाद केस की सुनवाई शुरू हुई। सुनवाई के दौरान अब पीड़ित के वकील ने दलील दी कि आरोपित ने पीड़ित की जाति को लेकर अपमान किया था, लिहाजा आरोपित पर एससी-एसटी एक्ट के तहत कार्रवाई की जाए और केस संबंधित कोर्ट में ट्रांसफर किया जाए।
फास्ट ट्रैक कोर्ट ने इस मांग को खारिज करते हुए कहा कि आरोपित के सार्वजनिक रूप से ऐसी कोई टिप्पणी या जाति आधारित अपमान किए जाने का ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिसके आधार पर उसके खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के तहत कार्रवाई जाए।
कोर्ट ने कहा कि यह कानून पिछड़े वर्ग के अधिकारों की रक्षा के लिए बना है और अपने व्यक्तिगत विवादों को निपटाने के लिए कानून के इस्तेमाल की अनुमति नहीं दी जा सकती।
एनडीपीएस एक्ट के तहत 15 व 10 साल की सजा
एनडीपीएस विशेष अदालत जम्मू ने एनडीपीएस एक्ट के तहत मादक पदार्थ तस्कर कालू राम को 15 साल व तरसेम लाल को दस साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। पुलिस केस के मुताबिक दो जुलाई 2018 को दोपहर करीब एक बजे जानीपुर पुलिस ने आपशंभू मंदिर मोड़ रूपनगर में नाके के दौरान एक मारुति कार को रोका।
गाड़ी को तरसेम लाल चला रहा था जबकि कालू राम साथ की सीट पर बैठा था। जांच के दौरान गाड़ी से चरस की 88 छलियां बरामद हुई जिसे एक बैग में रखा गया था। बरामद चरस का कुल वजन एक किलो 400 ग्राम निकला। इस आधार पर पुलिस ने एनडीपीएस एक्ट के तहत केस दर्ज कर जांच पूरी की। एनडीपीएस कोर्ट ने पूरे मामले पर गौर करने के बाद पाया कि आरोपितों के कब्जे से व्यवसायिक मात्रा में मादक पदार्थ बरामद हुए है और यह नहीं हो सकता कि इतनी मात्रा में मादक पदार्थ आरोपित स्वयं के सेवन के लिए लाए हो।
कोर्ट ने दोनों आरोपितों को सख्त सजा सुनाते हुए कहा कि नशा आज समाज को खोखला कर रहा है और इससे युवा पीढ़ी विशेष रूप से बर्बाद हाे रही है। नशे की ओवरडोज से मौत होने के मामले आए दिन पेश आ रहे हैं। ऐसे में नशा तस्करों के साथ किसी तरह की नरमी नहीं बरती जा सकती।
कोर्ट ने कहा कि तरसेम लाल का चूंकि कोई पुराना आपराधिक रिकार्ड नहीं है, लिहाजा उसके साथ कुछ नरमी से पेश आया जा सकता है। इस आधार पर कोर्ट ने कालू राम को 15 जबकि तरसेम लाल को दस साल के कठोर कारावास व एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।
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