लद्दाख में पांच नए जिलों के संचालन की प्रक्रिया शुरू, LG कविंद्र गुप्ता बोले 'शासन जनता के और करीब आएगी'
लद्दाख के उपराज्यपाल कविंद्र गुप्ता ने बताया कि पांच नए जिलों के सुचारु संचालन के लिए प्रशासनिक और बुनियादी ढांचे की व्यवस्था की जा रही है। इन जिलों क ...और पढ़ें

लद्दाख में पांच नए जिलों के संचालन की प्रक्रिया शुर: कविंद्र गुप्ता। फोटो-एक्स
राज्य ब्यूरो, जम्मू। लद्दाख के उपराज्यपाल कविंद्र गुप्ता ने कहा कि प्रदेश में गठित किए पांच नए जिलों के सुचारु संचालन के लिए आवश्यक प्रशासनिक, बुनियादी ढांचे और मानव संसाधन की व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।
लंबे समय से प्रतीक्षित इन पांच नए जिलों के गठन से शासन व्यवस्था जनता के और करीब आएगी, आवश्यक सेवाओं तक पहुंच बेहतर होगी और लद्दाख के कठिन भौगोलिक क्षेत्र में लंबे समय से चली आ रही विकास संबंधी असमानताओं को दूर करने में मदद मिलेगी।
25 अगस्त को केंद्र सरकार ने लोगों की मांग के अनुरूप लद्दाख के लिए चांगथांग, जांस्कर, नुब्रा, शाम और द्रास—इन पांच नए जिलों को मंजूरी दी थी, जिससे केंद्र शासित प्रदेश में जिलों की संख्या बढ़कर सात हो गई है। काउंसलर छे स्टैनजिन लाक्पा के नेतृत्व में आए एक प्रतिनिधिमंडल से बातचीत के दौरान उपराज्यपाल ने कहा कि यूटी प्रशासन लद्दाख के लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि इन क्षेत्रों के लोगों को लंबी दूरी, कठोर जलवायु और सीमित प्रशासनिक पहुंच के कारण गंभीर कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। प्रतिनिधिमंडल ने जोर देते हुए कहा कि पूर्ण विकसित जिलों की स्थापना से जमीनी स्तर पर शासन सुदृढ़ होगा, सार्वजनिक सेवाओं की डिलीवरी में सुधार होगा, आपदा प्रबंधन तंत्र मजबूत होगा और लद्दाख की विशिष्ट सांस्कृतिक व पारिस्थितिक पहचान को सुरक्षित रखते हुए समावेशी विकास को बढ़ावा मिलेगा।
उपराज्यपाल गुप्ता ने दोहराया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार लद्दाख के समग्र विकास के लिए प्रतिबद्ध है और विशेषकर दूरदराज व सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की आकांक्षाओं के प्रति संवेदनशील है।
उन्होंने कहा कि पांच नए जिलों का गठन विकेन्द्रीकृत प्रशासन, बेहतर सेवा वितरण और संतुलित व समावेशी विकास सुनिश्चित करने के केंद्र सरकार के संकल्प को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि नए जिलों का गठन स्थानीय समुदायों के सशक्तिकरण, क्षेत्रीय संतुलित विकास और सीमावर्ती क्षेत्रों के प्रशासन को मजबूत करने के उद्देश्य से किया गया है।
साथ ही, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह परिवर्तन जन-केंद्रित और स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप सुनिश्चित करने के लिए हितधारकों के साथ परामर्श की प्रक्रिया जारी रहेगी।

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