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    Kishtwar Cloudburst: अभी तक 46 शव बरामद, 120 लोग घायल और 200 से ज्यादा लापता; रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

    Updated: Fri, 15 Aug 2025 07:36 AM (IST)

    जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में माता चंडी के मंदिर के मचैल यात्रा मार्ग पर बादल फटने से भारी तबाही हुई। इस घटना में 46 शव बरामद किए गए हैं और 120 लोग घायल हैं जबकि 200 से ज्यादा लापता हैं। बचाव कार्य जारी है और यात्रा को निलंबित कर दिया गया है। गृह मंत्री ने हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया है। स्वतंत्रता दिवस समारोह रद्द कर दिया गया है।

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    Kishtwar Cloudburst: अभी तक 46 शव हुए बरामद (जागरण फोटो)

    जागरण टीम, जम्मू। Kishtwar Cloudburst: उत्तरकाशी के धराली में आपदा के दर्द से देश अभी उबर भी नहीं पाया था कि जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में माता चंडी के मंदिर के मचैल यात्रा मार्ग पर गुरुवार को बादल फटने से भारी तबाही आ गई। घर, लंगर स्थल, वाहन तिनके की तरह बहते नजर आए। अभी तक 46 शव बरामद किए जा चुके हैं और करीब 120 लोग घायल हैं।

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    200 से ज्यादा लापता बताए जा रहे हैं। इसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु, लंगर वाले और सुरक्षाकर्मी बताए जा रहे हैं। समाचार एजेंसी प्रेट्र के अनुसार मलबे के ढेर के नीचे से 167 लोगों को बाहर निकाला गया है। पुलिस-प्रशासन, सेना व सुरक्षाबलों ने बड़े स्तर पर राहत और बचाव अभियान शुरू किया है। रात को यात्रा मार्ग पर अंधेरा होने के कारण अभियान रोकना पड़ा।

    रेस्क्यू ऑपरेशन जारी

    शुक्रवार सुबह इसे फिर शुरू किया जाएगा। वहीं, पांच सितंबर तक चलते वाली मचैल यात्रा को फिलहाल निलंबित कर दिया गया है। हालांकि इस यात्रा में अन्य राज्यों से भी श्रद्धालु आते हैं, लेकिन प्रारंभिक जांच में अधिकतर मृतक व घायल जम्मू-कश्मीर के ही निवासी हैं।

    भयंकर बाढ़ की चपेट में आया आधा गांव

    जम्मू से करीब 115 किलोमीटर दूर किश्तवाड़ जिला और उससे 95 किलोमीटर आगे मचैल गांव है। 25 जुलाई को मचैल यात्रा शुरू हुई थी, जो 43 दिन तक चलनी थी। यात्रा निरंतर जारी थी और बीच-बीच में वर्षा हो रही थी।

    मौसम विभाग की ओर से भी भारी बारिश, बाढ़ व भूस्खलन का अलर्ट जारी किया गया था। गुरुवार दोपहर करीब 12:30 बजे वर्षा के बीच मचैल माता के मंदिर से करीब आठ किलोमीटर पहले चशोती क्षेत्र के ऊपरी पहाड़ों पर अचानक बादल फटा। इससे चशोती नाले में भयंकर बाढ़ आ गई, जो अपने साथ मिट्टी और मलबा लेकर आ गई। इससे आधा चशोती गांव चपेट में आ गया।

    श्रद्धालुओं के लिए चल रहा लंगर पूरी तरह तबाह

    जहां तबाही मची वहां श्रद्धालुओं के लिए लंगर चल रहा था, जो पूरी तरह तबाह हो गया। हादसे के समय बारिश जारी थी और लंगर में दोपहर के भोजन का समय था। लंगर में सेवादार, खाना बनाने वाले कारीगर और बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।

    चशोती में यह लंगर ऊधमपुर के लोगों की ओर से संचालित किया जा रहा था। पानी के तेज बहाव में कई वाहन बह गए और बड़ी संख्या में लोग लापता हो गए। आपदा में 10 घर, चार मंदिर, चार सरकारी कार्यालय और तीर्थयात्रियों से भरा एक पुल बह गया।

    सबसे पहले मदद को जुटे स्थानीय लोग

    आपदा के बाद हालात इतने विकट हो गए कि चशोती में अफरातफरी का माहौल बन गया। इस पर मचैल यात्रियों को मोटरसाइकिल पर लाने-ले जाने का काम करने वाले स्थानीय चालक राहत और बचाव कार्य में सबसे पहले जुटे। चालकों ने बिना समय गंवाए घायलों को पांच किलोमीटर दूर हमोरी लंगर तक पहुंचाया।

    वहीं लंगर संचालकों और यात्रियों में शामिल कई स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों ने घायलों को प्राथमिक उपचार देना शुरू किया। हमोरी लंगर में 25 घायलों को लाया गया। हादसे के करीब ढाई घंटे बाद दो डॉक्टरों और पैरामेडिकल टीम ने मौके पर पहुंचकर राहत कार्य शुरू किया, लेकिन उनके पास न तो पर्याप्त दवाएं थीं और न ही उपचार के जरूरी उपकरण।

    इस बीच, चशोती पुल से लगभग 200 मीटर की दूरी तक 12 शव बरामद कर लिए गए। देर शाम तक 46 शव बरामद किए जा चुके थे। घायलों की संख्या भी करीब 120 पहुंच गई।

    सुरक्षा चौकी पर तैनात जवानों का भी कोई पता नहीं

    मचैल यात्रा मार्ग पर चशोती क्षेत्र वाहन से पहुंचने का अंतिम पड़ाव है। इसके आगे आठ किलोमीटर की पैदल यात्रा या मोटरसाइकिल से सफर किया जाता है।

    स्थानीय युवा कुछ शुल्क लेकर श्रद्धालुओं को लाते व आगे ले जाते हैं। हादसे वाली जगह ही वाहनों का ठहराव और सुरक्षा जांच चौकी थी। वहां सेना, सीआइएसएफ और एसडीआरएफ के जवान तैनात थे। लेकिन तबाही के बाद से इनके बारे में भी कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है। मृतकों व घायलों का आंकड़ा और भी अधिक होने की आशंका है, क्योंकि कई लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं।

    गृह मंत्री ने हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया

    इस बीच, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला से बात तक स्थिति जानी और हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया। उपराज्यपाल व मुख्यमंत्री ने आपदा पर गहरा दुख जताते हुए प्रशासन को राहत व बचाव कार्य के लिए जरूरी निर्देश दिए। प्रशासन के अधिकारी भी अपनी टीमों के साथ मौके पर पहुंच चुके हैं।

    स्वतंत्रता दिवस समारोह रद सिर्फ ध्वजारोहण होगा

    आपदा को देखते हुए जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने स्वतंत्रता दिवस पर होने वाले सभी समारोह को रद कर दिया है। सिर्फ ध्वजारोहण तक कार्यक्रम को सीमित किया गया है।

    बाक्स 3कंट्रोल रूम बनाया, पांच अधिकारी तैनातचशोती गांव में आपदा के बाद पद्दार में कंट्रोल रूम बनाया गया है। इसमें पांच अधिकारियों को तैनात किया गया है। लोग 9858223125, 6006701934, 9797504078, 8492886895, 8493801381, और 7006463710 पर संपर्क कर सकते हैं। जिला नियंत्रण कक्ष के नंबर 01995-259555 और 9484217492 हैं तथा किश्तवाड़ के पुलिस नियंत्रण कक्ष का नंबर 9906154100 है।

    चार जगह और फटा बादल

    जम्मू-कश्मीर में चार और जगह बादल फटे। दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिला में पहलगाम के पास फ्रिसलन और बटकूट इलाके में शाम को दो जगह बादल फटा। इससे पूरे इलाके में मूसलधार वर्षा हुई और स्थानीय नदी नालों का जलस्तर बढ़ गया।

    बादल फटने के बाद हुई वर्षा के कारण शेषनाग नाले में भी जलप्रवाह बढ़ गया। शेषनाग झील के पास भी बादल फटने की सूचना है। उधर, मध्य कश्मीर के जिला गांदरबल में नारानाग कंगन में भी मूसलधार वर्षा होने से कई इलाकों में नालों का पानी दाखिल हो गया। कंगन के ऊपरी हिस्से में भी एक बादल फटा है।

    स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी के अनुसार, बादल फटने वाली जगह के पास एक उप-ज़िला अस्पताल में 13 डॉक्टरों और 31 पैरामेडिक्स की अतिरिक्त तैनाती के साथ महत्वपूर्ण स्वास्थ्य बुनियादी ढाँचे को मज़बूत किया गया है।

    उन्होंने बताया कि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी पड्डर में तैनात हैं और बचाव और चिकित्सा कार्यों की निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने आगे बताया कि किश्तवाड़ के ज़िला अस्पताल को डोडा के सरकारी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) से सामान्य और हड्डी रोग विशेषज्ञों और एनेस्थेटिस्टों की अतिरिक्त तैनाती के साथ तैयार किया गया है।