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    Kishtwar Cloudburst: चार दिन बाद घर पहुंचा करण, रोते हुए बोला- आंखों के सामने बह गए उसकी जान बचाने वाले

    Updated: Sat, 16 Aug 2025 02:27 PM (IST)

    जम्मू के कृष्णा नगर के करण ने किश्तवाड़ में बादल फटने से हुई त्रासदी में अपनी आँखों के सामने एक दंपति को बहते हुए देखा। वह अपनी माँ के साथ मचैल माता के दर्शन करने गया था। लौटते समय बादल फटने से आई बाढ़ में उसे बचाने वाले अंकल-आंटी मलबे में बह गए। करण सुरक्षित है उसकी मां घायल हो गई और उसका अस्पताल में इलाज चल रहा है।

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    करण गत वीरवार सुबह कुछ लोगों के साथ जम्मू पहुंचा।

    सुरेंद्र सिंह, जागरण, जम्मू। जम्मू के कृष्णा नगर में रहने वाला दस ग्यारह वर्षीय करण ने मौत का वह मंजर अपनी आंखों के सामने देखा, जिसे उसके लिए पूरी जिंदगी भुला पाना अब नामुमकिन है।किश्तवाड़ के चशौटी में बादल फटने के बाद आई त्रासदी में करण तो बच गया लेकिन उसने अपनी आंखों के सामने उसे बचाने वाले दंपति को बाढ़ में बहते हुए देखा, जिनका वह नाम भी नहीं जानता।

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    करण वीरवार सुबह जम्मू पहुंचा और उसके बाद वह सीधे जीएमसी अस्पताल पहुंचा, जहां उसकी मां भर्ती है। करण अपनी मां के साथ मचैल माता के दर्शन करने गया था। करण ने बताया कि वह बारह अगस्त को अपने मोहल्ले के ही कुछ लोगों के साथ मचैल माता की यात्रा के लिए गए थे।

    मंगलवार को वह दर्शन कर लौट रहे थे। वह अपनी मां के साथ ही वापस आ रहा था कि उसे वहां एक व्यक्ति टोपियां बेचते दिखा। वह उस टोपी वाले के पास खड़ा हो गया जबकि मां कुछ कदम आगे पुल पार कर गई। तभी पीछे से लोगों के चिल्लाने की आवाज आने लगी कि बादल फट गया है। सब लोग भागो।

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    मैंने भागने का प्रयास किया लेकिन पीठ पर बैग लटका होने के कारण मैं भाग नहीं पा रहा था। तभी एक अंकल आंटी मेरे पास पहुंचे। उन्होंने मेरा बैग उतार फेंक दिया और मेरा हाथ पकड़ कर वे भागने लगे। इस दौरान आंटी नीचे गिर गई। अंकल मुझे कुछ आगे खड़ा कर आंटी को उठाने लगे लेकिन तब तक बहता हुआ मलबा उनके पास पहुंच चुका था।

    आंटी उठ नहीं पा रही थी और अंकल ने उनके बाल पकड़ कर घसीटने का प्रयास किया लेकिन तेजी से आ रहा था मलबा दोनों को बहाकर ले गया।करण ने बताया कि वह ताे बच गया लेकिन उसे बचाने वाले अंकल आंटी मलबे में ही कहीं खो गए।

    इस त्रासदी में पुल के दूसरी ओर करण की मां भी घायल हो गई थी। उसे उसी दिन चौशटी से जीएमसी अस्पताल पहुंचा दिया गया लेकिन करण वीरवार सुबह जम्मू बस में कुछ अन्य लोगों के साथ जम्मू पहुंचा।

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    करण ने बताया कि इस दौरान वह अपने मामू को लगातार लोगों से फोन लेकर अपने बारे लगातार जानकारी देता आ रहा था ताकि घर वाले परेशान न हो। करण काे सुरक्षित पाकर घर वाले खुश हैं लेकिन उन्हें इस बात का दुख है कि उनके मोहल्ले के कुछ लोग इस त्रासदी में काल का ग्रास बन गए हैं।