Year Ender 2025: जम्मू-कश्मीर में सड़क हादसों का काला साल 2025, 4800 से अधिक हादसों में गई 620 की जान
वर्ष 2025 जम्मू-कश्मीर के लिए सड़क सुरक्षा के लिहाज से बेहद चिंताजनक रहा। नवंबर तक 4,800 से अधिक सड़क हादसों में लगभग 620 लोगों की मौत हुई और 4,000 से ...और पढ़ें

यातायात विभाग के दावों के बावजूद जमीनी हकीकत गंभीर बनी रही, जिससे प्रदेश में सड़क सुरक्षा पर सवाल खड़े हो गए।
दिनेश महाजन, जम्मू। वर्ष 2025 जम्मू-कश्मीर के लिए सड़क सुरक्षा के लिहाज से बेहद चिंताजनक रहा। पूरे वर्ष भर प्रदेश की सड़कें मानो हादसों का गवाह बनी रहीं। राष्ट्रीय राजमार्गों से लेकर ग्रामीण और पहाड़ी सड़कों तक छोटे-बड़े सड़क हादसे लगातार होते रहे।
इन दुर्घटनाओं में सैकड़ों लोगों ने अपनी जान गंवाई, जबकि हजारों घायल हुए। यातायात विभाग, ट्रैफिक पुलिस और अन्य जिम्मेदार एजेंसियां सड़क हादसों को कम करने के दावे करती रहीं, लेकिन आंकड़े यह साबित करते हैं कि जमीनी हकीकत कुछ और ही रही।
लगभग 620 लोगों की मौत हुई
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2025 में नवंबर माह तक जम्मू-कश्मीर में करीब 4,800 से अधिक सड़क हादसे दर्ज किए गए। इनमें लगभग 620 लोगों की मौत हुई, जबकि 4,000 से अधिक लोग घायल हुए। जम्मू संभाग में एनएच-44 पर सबसे अधिक हादसे हुए, वहीं कश्मीर घाटी में पहाड़ी इलाकों में वाहन खाई में गिरने की घटनाएं बढ़ती रहीं।
विशेषज्ञों का कहना है कि तेज रफ्तार, ओवरलोडिंग, खराब सड़कों की हालत, नशे में वाहन चलाना और ट्रैफिक नियमों की अनदेखी हादसों के मुख्य कारण रहे। कई मामलों में दुर्घटना के बाद समय पर एंबुलेंस और चिकित्सा सुविधा नहीं मिलने से मौतों की संख्या बढ़ गई।
ट्रैफिक पुलिस ने वर्ष भर अभियान चलाकर हजारों वाहनों के चालान काटे और जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए, लेकिन इनका असर सीमित ही रहा। खासतौर पर बस और टैक्सी चालकों द्वारा नियमों की अनदेखी आम बात बनी रही।
सड़क हादसों के मुख्य कारण
जम्मू-कश्मीर में सड़क हादसों के पीछे कई गंभीर और आपस में जुड़े कारण सामने आते रहे हैं। सबसे बड़ा कारण तेज रफ्तार है, जहां चालक पहाड़ी और घुमावदार सड़कों पर भी गति नियंत्रण नहीं रखते। ओवरलोडिंग, खासकर बसों और टैक्सियों में, हादसों की आशंका कई गुना बढ़ा देती है।
ट्रैफिक नियमों की अनदेखी, जैसे सीट बेल्ट और हेलमेट न पहनना, गलत ओवरटेकिंग और मोबाइल फोन का इस्तेमाल भी दुर्घटनाओं का बड़ा कारण बना। इसके अलावा कई इलाकों में सड़कों की खराब हालत, गड्ढे, फिसलन और पर्याप्त संकेतक न होना यात्रियों की जान के लिए खतरा बना हुआ है।
नशे में वाहन चलाना और लंबी दूरी तय करने वाले चालकों की थकान भी गंभीर दुर्घटनाओं की वजह बनी। पहाड़ी क्षेत्रों में क्रैश बैरियर की कमी, खराब रोशनी और मौसम की मार हालात को और खतरनाक बना देती है। समय पर चिकित्सा सहायता न मिलना भी कई मामलों में मौत का कारण बनता रहा है।
वर्ष 2025 में तिथि अनुसार प्रमुख सड़क हादसे
- 16 जुलाई 2025- डोडा
- यात्रियों से भरी बस खाई में गिरी, 8 लोगों की मौत, 25 घायल।
- 3 मई 2025 - रामबन (एनएच-44)
- सैन्य वाहन खाई में गिरा तीन जवान बलिदान।
- 18 अप्रैल 2025 - पुलवामा
- में बस पलटने से 4 लोगों की मौत, 28 घायल।
- 7 अगस्त 2025 - उधमपुर
- सेना का वाहन दुर्घटनाग्रस्त, 4 जवान बलिदानी।
- 3 अगस्त 2025 - कठुआ
- कठुआ में कार गिरी, 3 यात्रियों की मौत।
- 7 दिसंबर 2025 - किश्तवाड़
- कार खाई में गिरी, 4 लोगों की जान गई।
सड़क हादसे को रोकने के लिए विधानसभा द्वारा बनाई गई कमेटी के सुझाव
- राष्ट्रीय व राज्य राजमार्गों पर स्पीड कैमरे और सख्त निगरानी।
- बस और टैक्सी चालकों की नियमित मेडिकल जांच व ड्राइविंग टेस्ट।
- पहाड़ी सड़कों पर क्रैश बैरियर और चेतावनी संकेत बढ़ाना।
- ओवरलोडिंग और नशे में ड्राइविंग पर जीरो टॉलरेंस नीति।
- दुर्घटना संभावित क्षेत्रों (ब्लैक स्पाट) की पहचान कर सुधार कार्य।
- स्कूलों, कालेजों और पंचायत स्तर पर सड़क सुरक्षा जागरूकता अभियान।
- हादसे के बाद तुरंत मदद के लिए एम्बुलेंस और ट्रामा सेंटर की उपलब्धता।

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