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    चुनावों में निष्क्रिय जम्मू-कश्मीर के 12 राजनीतिक दलों का पंजीकरण होगा रद, जानिए कौन-कौन से पार्टियां हैं शामिल

    By Surinder Raina Edited By: Rahul Sharma
    Updated: Thu, 25 Dec 2025 01:26 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर में निष्क्रिय 12 राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द हो सकता है। इन दलों ने चुनाव आयोग के नियमों का पालन नहीं किया है। राज्य चुनाव आयोग ने इन द ...और पढ़ें

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    चुनाव आयोग के इस कदम से जम्मू-कश्मीर की राजनीति में बदलाव आ सकता है।

    जागरण संवाददाता, जम्मू। भारत निर्वाचन आयोग ने पिछले लंबे समय से निष्क्रिय पंजीकृत राजनीतिक दलों को लेकर एक बड़ा कदम उठाया है।

    आयोग ने ऐसे दलों की डीलिस्टिंग (सूची से हटाने) की प्रक्रिया शुरू की है।देश भर में निर्वाचन आयोग ने ऐसे 474 दलों को चिन्हित किया है जिनमें बारह राजनीति दल जम्मू कश्मीर के भी है, जिनकी अब तक चुनावों में न तो कोई सक्रियता नजर आई है और न ही उन्होंने निर्धारित नियमों और शर्तों का पालन किया है।

    आयोग की ओर से जारी आदेश के अनुसार, नियमों और वैधानिक शर्तों का पालन न करने वाले दलों को सूची से हटाया जा रहा है।

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    यह हैं हटाए गए राजनीतिक दल

    जारी सूची के अनुसार जम्मू-कश्मीर से जिन दलों के नाम डीलिस्टिंग प्रक्रिया में शामिल हैं, उनमें आल जेएंडके किसान मजदूर पार्टी, बैकवर्ड क्लासेज डेमोक्रेटिक पार्टी (जम्मू-कश्मीर), डुग्गर प्रदेश पार्टी, फ्रंट आफ रेवोल्यूशनाइज्ड क्रिएटिव एफर्ट्स, जम्मू एंड कश्मीर नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, जम्मू कश्मीर पीपुल्स पार्टी (सेक्युलर), जम्मू कश्मीर सेव पार्टी, जम्मू स्टेट मोर्चा (प्रोग्रेसिव), कश्मीर डेवलपमेंट फ्रंट, नेचर मैनकाइंड फ्रेंडली ग्लोबल पार्टी, सेक्युलर पार्टी आफ इंडिया और सोशल मूवमेंट पार्टी शामिल हैं।

    निर्वाचन आयोग के अनुसार इन दलों द्वारा लंबे समय से आवश्यक दस्तावेज, लेखा-जोखा, चुनावी गतिविधियों की जानकारी और अन्य वैधानिक औपचारिकताओं का पालन नहीं किया गया, जिसके चलते यह सख्त कदम उठाया गया है। आयोग का कहना है कि यह कार्रवाई चुनावी व्यवस्था में पारदर्शिता, निष्पक्षता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की जा रही है।

    केवल कागजों तक सीमित दलों पर लगेगी रोक

    राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस कदम से निष्क्रिय और केवल कागजों तक सीमित दलों पर रोक लगेगी तथा चुनावी प्रक्रिया अधिक सुव्यवस्थित और विश्वसनीय बनेगी।

    वहीं चुनाव आयोग का कहना है कि बहुत से राजनीतिक दल चुनावों में भाग नहीं ले रहे हैं जबकि नियम कहता है कि पंजीकरण के साथ ही पांच वर्षों में पार्टी को चुनावों में भाग लेना होता है और अगर कोई दल ऐसा नहीं करता तो उसे सूची से हटा दिया जाता है। इसके अलावा भी इन दलों को अपनी गतिविधियों का लेखा जेखा चुनाव आयोग को देना होता है, जाे इन दलों ने नहीं दिया।