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    सरकारी आवास खाली कराने के मामले में जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट सख्त, 30 दिसंबर तक दिया अंतिम मौका; क्या है पूरा मामला?

    By Dinesh Mahajan Edited By: Rahul Sharma
    Updated: Thu, 25 Dec 2025 01:17 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने सरकारी आवास खाली कराने के मामले में सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने अवैध रूप से सरकारी आवासों पर कब्जा जमाए लोगों को 30 दिसंबर त ...और पढ़ें

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    याचिकाकर्ताओं ने वैकल्पिक व्यवस्था के लिए दो माह का समय मांगा गया है।

    जेएनएफ, जम्मू। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट की जम्मू विंग की डिवीजन बेंच ने सरकारी आवास से जुड़े एक अहम मामले में सरकार की लगातार देरी पर नाराजगी जताते हुए अंतिम मौका दिया है। चीफ जस्टिस अरुण पल्ली और जस्टिस रजनीश ओसवाल की पीठ ने एस्टेट्स विभाग को 30 दिसंबर तक आवश्यक हलफनामा दाखिल करने का समय प्रदान किया है।

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    यह मामला पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद और जम्मू-कश्मीर भाजपा के पूर्व अध्यक्ष रविंद्र रैना को आवंटित सरकारी आवास से जुड़ा है, जिन्हें लेकर डेजिग्नेटेड कमेटी की सिफारिशों पर अब तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।

    अदालत ने इससे पहले 17 नवंबर को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि प्रक्रिया को शीघ्र पूरा किया जाए और कोई और स्थगन नहीं दिया जाएगा। सुनवाई के दौरान एस्टेट्स विभाग की ओर से पेश सरकारी वकील ने अदालत को बताया कि संबंधित अधिकारी प्रशासनिक व्यस्तताओं के चलते शहर से बाहर थे, जिस कारण प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हो पाई है। उन्होंने हलफनामा दाखिल करने के लिए कुछ और समय की मांग की।

    वहीं याचिकाकर्ता की ओर से वकीलों ने दलील दी कि बड़े राजनीतिक चेहरों के कारण जानबूझकर मामला लटकाया जा रहा है, जबकि समिति की सिफारिशों को आए लगभग दस माह बीत चुके हैं। उन्होंने न्यायालय के पिछले आदेश का हवाला देते हुए देरी को अनुचित बताया। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने जनहित को ध्यान में रखते हुए अंतिम रूप से 30 दिसंबर तक का समय दिया और मामले को उसी दिन प्राथमिकता सूची में सूचीबद्ध करने के निर्देश  दिए।

    इसी बीच एक अन्य याचिका में पूर्व एमएलसी रविंद्र शर्मा की ओर से पेश वकील ने न्यायालय को बताया कि याचिकाकर्ता सरकारी आवास खाली करने को तैयार हैं, लेकिन वैकल्पिक व्यवस्था के लिए दो माह का समय मांगा गया है। इस संबंध में भी हलफनामा दाखिल करने की अनुमति दी गई है।