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    जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने करंट लगने से हुई मौत के मामले में दिया बड़ा फैसला; सरकार की अपील खारिज, मुआवजा बरकरार

    By Dinesh Mahajan Edited By: Rahul Sharma
    Updated: Thu, 25 Dec 2025 12:08 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने करंट लगने से हुई मौत के एक मामले में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अदालत ने सरकार की अपील को खारिज करते हुए मुआवजे को बरकरार रख ...और पढ़ें

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    अदालत के इस निर्णय से प्रभावित परिवारों को सहायता मिलेगी।

    जेएनएफ, जम्मू। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने करंट लगने से हुई मौत के एक पुराने मामले में केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन को बड़ा झटका दिया है।

    हाईकोर्ट ने यूटी प्रशासन और पावर डेवलपमेंट डिपार्टमेंट (पीडीडी) द्वारा दायर अपील को खारिज करते हुए मृतक के परिजनों को दिए गए 16,53,652 रुपये के मुआवजे को बरकरार रखा है। साथ ही इस राशि पर छह प्रतिशत साधारण ब्याज देने के आदेश भी कायम रखे गए हैं।

    चीफ जस्टिस अरुण पल्ली और जस्टिस रजनीश ओसवाल की डिवीजन बेंच ने पहले अपील दायर करने में हुई 201 दिन की देरी को माफ किया। अदालत ने स्पष्ट कहा कि रिट कोर्ट के 2 अप्रैल 2024 के फैसले में कोई त्रुटि नहीं पाई गई है।मामले के अनुसार, ट्रैफिक पुलिस में सेलेक्शन ग्रेड कांस्टेबल लियाकत अली 3 दिसंबर 2003 की सुबह करीब पांच बजे नगरोटा स्थित टीसीपी के पास मार्ग पर गिरे हाईटेंशन बिजली तार की चपेट में आ गए थे।

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    नगरोटा थाने में दर्ज की गई थी एफआईआर

    उन्हें गंभीर रूप से झुलसने की हालत में जीएमसी जम्मू ले जाया गया, जहां डाक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण हाईटेंशन लाइव वायर से करंट लगना बताया गया। इस मामले में नगरोटा थाने में एफआईआर दर्ज की गई थी और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ लापरवाही के आरोप में चार्जशीट भी पेश की गई थी।

    मृतक की पत्नी और नाबालिग बेटे ने मुआवजे की मांग को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। यूटी प्रशासन की ओर से दलील दी गई कि यह विवादित तथ्यों का मामला है और इसे सिविल कोर्ट में जाना चाहिए था।

    साथ ही यह भी कहा गया कि 1990 के सरकारी आदेश के तहत केवल पांच लाख रुपये की अनुग्रह राशि ही दी जा सकती है। हालांकि अदालत ने इन दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि लापरवाही से जुड़े मामलों में मुआवजे का अधिकार अनुग्रह नीति से खत्म नहीं हो सकता।