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    Jammu News: मशरूम की खेती कर जम्मू के युवक ने कमाया नाम, गरीब युवाओं को करेंगे प्रशिक्षित

    By guldev raj Edited By: Deepak Saxena
    Updated: Tue, 23 Jan 2024 10:47 PM (IST)

    जम्मू के बिश्नाह तहसील के शिब्बु चक गांव के किसान पवन ने मशरूम की खेती करके एक मिशाल पेश की है। नकदी फसल मशरूम की खेती शुरू करके काफी कमाई कर रहे हैं। ...और पढ़ें

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    मशरूम की खेती कर जम्मू के युवक ने कमाया नाम।

    जागरण संवाददाता, जम्मू। कहते हैं कि यदि पक्के इरादे व कड़ी मेहनत से लक्ष्य की ओर बढ़ा जाए तो किसी भी व्यक्ति के लिए सफलता की मंजिल छूना मुश्किल नहीं है। रास्ते में कितनी भी कठिनाइयां व चुनौतियां आएं, सफलता हर हाल में मिलती है। ऐसा ही कर दिखाया जम्मू के बिश्नाह तहसील के शिब्बु चक गांव के एक किसान पवन कुमार ने। परंपरागत खेती की परेशानियां, नुकसान, कम आमदनी से पार पाने को उन्होंने नई तकनीक आजमाई। नकदी फसल मशरूम की खेती शुरू की। आज वह क्षेत्र में मशरूम की खेती के बड़े व अनुभवी किसान बन गए हैं।

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    पवन दूसरों को भी मार्गदर्शन कर रहे हैं, जिससे काफी किसान लाभान्वित भी हो रहे हैं। मशरूम में हो रहे लाभ को देखते हुए पवन कुमार अब 12 महीने इसकी खेती में ही जुटे रहते हैं। साथ ही इससे संबंधित नई तकनीक, योजनाओं की भी जानकारी करते रहते हैं, जिससे अधिक आमदनी हो। उन्होंने लगभग 30 वर्ष तक कड़ी मेहनत की है। इसके बाद उसका अच्छा परिणाम मिला है। अब उन्होंने पैनल के शेड में मशरूम की खेती शुरू कर दी है।

    अब चाहे मौसम गर्मी का हो या सर्दी का, इस शेड में बाहरी तापमान का कोई असर नहीं रहता। अंदर एसी लगे हैं और इससे तापमान को नियंत्रित कर गर्मी में भी बटन मशरूम प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने स्वयं नौ लाख रुपये का खर्च कर 16 गुना 30 फुट का पैनल शेड स्थापित किया है और इसमें खेती शुरू हो चुकी है। आने वाले दो सालों में इस तरह के दो और शेड लगाने की उनकी योजना है।

    1993 में शुरू की थी मशरूम की खेती

    साल 1993 में किसी किसान ने गांव में मशरूम की खेती शुरू की। उस किसान ने भले ही प्रगति नहीं की हो लेकिन पवन कुमार के दिमाग में यह विचार घर कर गया। उन्होंने इस तकनीक को अपनाया और समझा। पहली बार 100 लिफाफों से मशरूम की खेती शुरू की। फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज वह 6000 लिफाफे मशरूम के लगाते हैं और अब पूरे वर्ष मशरूम की खेती उन्होंने शुरू कर दी है। इससे आने वाले समय में वह 10 हजार लिफाफों में मशरूम लगा सकेंगे। बड़ी बात यह है कि मशरूम की खेती के सारे गुर वह ग्रामीण युवाओं को भी समझा रहे हैं। आए दिन विज्ञानी उनके फार्म पर पहुंचे होते हैं और उसके किए कार्य को समझ रहे होते हैं।

    कोई सरकारी मदद नहीं ली

    पवन कुमार ने आज जो कुछ हासिल किया, अपने बल पर किया। यहां तक कि उन्होंने पैनल भी अपनी मेहनत की कमाई से खड़ा किया। हालांकि वह सरकारी सब्सिडी ले सकते थे, उसके लिए सरकारी कार्यालयों के बार-बार चक्कर लगाना उनको पसंद नहीं आया। इसलिए उन्होंने शुरू से लेकर खेती पर जो खर्च किया अपनी ही कमाई से किया। सरकारी मदद के लिए उन्होंने इंतजार नहीं किया। उन्होंने कहा कि सरकार से मदद मिलने में लंबा समय लग जाता है। फिर बार-बार कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते हैं। इसलिए किसी पर निर्भर हम बने ही नहीं। अपनी मेहनत से ही सब कुछ पाया। हां खेती शुरू करने के लिए तकनीकी सहायता जरूर उन्होंने कृषि विभाग से पाई।

    सफलता के लिए लगन जरूरी

    किसान पवन कुमार का कहना है कि जिंदगी में कुछ पाने के लिए लगन होना जरूरी है। अगर जुनून नहीं है तो आप कोई काम नहीं कर सकते। मशरूम की खेती में कुछ ऐसी ललक लगी कि हमने इसकी तकनीक को अच्छी तरह से पढ़ा। कई बार नुकसान भी हुआ, फिर हमने नुकसान के कारणों को समझा। अब हम हर मौसम को अच्छी तरह से समझ लेते हैं और मशरूम की खेती से अच्छी कमाई कर रहे हैं। इसी की बदौलत हमारा घर अच्छी तरह से चल रहा है। इसलिए युवाओं से कहना चाहूंगा कि सफल होना है तो काम के प्रति जनून पालना जरूरी है।

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    पत्नी का मिला पूरा साथ

    पवन कुमार ने बताया कि उनकी पत्नी वीना देवी खेतीबाड़ी में हर पल उनके साथ रहीं। मशरूम जब निकलती है तो उसे एकत्र करना, पैकिंग करना बड़ा काम होता है और यह सब वीना ही संभालती है। हालांकि आज चार पांच मजदूर भी काम कर रहे हैं, लेकिन पत्नी के साथ से मुझे सहारा मिला और मैं मजबूती से इस खेती में उतर पाया। पूरे सीजन में 15 हजार किलो मशरूम की प्राप्ति उनके ही शेड से होती है।

    जल्दी ही प्रशिक्षण केंद्र भी करेंगे स्थापित

    पवन कुमार ने कहा कि मशरूम की खेती की आधुनिक तकनीक हर युवा तक पहुंचाई जाएगी। युवाओं को बताया जाएगा कि अगर वह इस खेती में मेहनत करने का दम रखते हैं तो तकनीकी प्रशिक्षण वह देंगे। इसलिए आने वाले समय में एक प्रशिक्षण केंद्र भी स्थापित किया जाएगा, जहां बेरोजगार ग्रामीण युवाओं को मशरूम की खेती के गुर सिखाए जाएंगे।

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