जम्मू-कश्मीर में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पानी की गुणवत्ता पर संकट: आधे से अधिक सैंपल फेल, सरकार के लिए चुनौती
जम्मू में बारिश और बाढ़ के बाद लोगों को साफ़ पानी उपलब्ध कराना जलशक्ति विभाग के लिए मुश्किल हो गया है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार आधे से ज़्यादा पानी के नमूने पीने लायक नहीं हैं। जीएमसी जम्मू में 80% नमूने पीने के योग्य नहीं पाए गए। बाढ़ प्रभावित इलाक़ों के नमूने भी ख़राब हो रहे हैं।

रोहित जंडियाल, जागरण, जम्मू। बारिश व बाढ़ के बाद लोगों को स्वच्छ पानी उपलब्ध करवाना जलशक्ति विभाग के लिए एक चुनौती बना हुआ है।विभिन्न विभागों द्वारा उठाए जा रहे पानी के सैंपल लगातार पीने के अयोग्य घोषित हो रहे हैं। इसकी रिपोर्ट उच्चाधिकारियों के पास जा रही है।
सरकार ने कुछ दिन पहले स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग, जलशक्ति विभाग, समाज कल्याण विभाग, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पानी की गुणवत्ता की जांच करने के निर्देश दिए थे।
सरकार ने सभी विभागों से यह स्पष्ट किया था कि लोगों को स्वच्छ पानी उपलब्ध करवाने के लिए हर संभव प्रयास हों और पानी की गुणवत्ता की जांच के लिए नियमित तौर पर टेस्ट हों। इसके बाद से ही लगातार जांच हो रही है।
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आधे से अधिक सैंपल फेल हो रहे
हालांकि पानी की गुणवत्ता को लेकर कोई भी विभाग स्पष्ट रूप से कुछ भी जानकारी नहीं देता है और यह दावे करता है कि लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध करवाया जा रहा है। मगर स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के अनुसार आधे से अधिक सैंपल फेल हो रहे हैं।
आधे सैंपल तो पीने के योग्य भी नहीं थे
विभाग के एक उच्चाधिकारी ने बताया कि नवीनतम सैंपलों की जांच रिपोर्ट में 38 सैंपलों में से सिर्फ एक ही सैंपल ऐसा था जिसकी गुणवत्ता बहुत अच्छी थी। आधे सैंपल तो पीने के योग्य भी नहीं थे। आधे जरूर संतोषजनक थे लेकिन लोगों से इस पानी को भी उबाल कर या फिर क्लोरीन की गोली डाल कर साफ करने के बाद ही पीने को कहा गया है।
जीएमसी में आए अस्सी प्रतिशत सैंपल पीने के योग्य नहीं
पानी के सैंपलों की जांच जलशक्ति विभाग की लेबोरेटरी के अतिरिक्त राजकीय मेडिकल कालेज जम्मू के माइक्रोबायालोजी विभाग में भी बड़ी संख्या में पानी के सैंपल जांच के लिए आ रहे हैं। विभाग के एचओडी डा. संदीप डोगरा का कहना है कि उनके पास आए अस्सी प्रतिशत सैंपल पीने के योग्य नहीं हैं। लगातार जांच हो रही है।
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बाढ प्रभावित क्षेत्रों के सैंपल फेल हो रहे
वहीं स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार सीमांत क्षेत्रों के अतिरिक्त जम्मू शहर के बाढ प्रभावित क्षेत्रों के सैंपल फेल हो रहे हैं। उनका कहना है कि इन क्षेत्रों में पानी की गुणवत्ता में सुधार होने में अभी समय लग सकता है।
हालांकि स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने इन क्षेत्रों में कैंप लगातार लोगों को क्लोरीन की गोलियां भी बांटी हैं और अभी भी इन क्षेत्रों के लोगों को जलजनित रोगों से बचाव के लिए जागरूक किया जा रहा है।
अस्पतालों में भी जलजनित रोगों के मामले आ रहे
वहीं अस्पतालों में भी जलजनित रोगों के मामले आ रहे हैं। डाक्टरों का कहना है कि इस मौसम में ऐसे भी मामले आते हैं। लेकिन अगर पानी की सप्लाई खराब रही तो आने वाले दिनों में चुनौती हो सकती है। उनका कहना है कि पीलिया, आंत्रशोध के मामले अस्पतालों में लगातार आ रहे हैं।
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आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर में जलजनित रोगों के मामले हजारों में आते हैं। इस वर्ष के पहले सात महीनों में ही जम्मू-कश्मीर के विभिन्न अस्पतालों में 79677 मामले दर्ज हो चुके हैं। इनमें पीलिया के 544, डायरिया के 54331, हेपेटाइटिस के 5167, पेचिश के 5776 और टायफायड के 13559 के मामले शामिल हैं।
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