श्रीनगर तक वंदे भारत के बाद जम्मू-कश्मीर को नया तोहफा, 48 करोड़ की लागत से तैयार होगा पुल; इतना लगेगा समय
जम्मू के रामबन जिले में चिनाब नदी पर बनने वाला मैत्रा रामबन पुल अगस्त 2026 तक पूरा हो जाएगा। उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने विधानसभा में यह जानकारी दी। इस परियोजना को समय पर पूरा करने के लिए काम में तेजी लाई गई है। इसकी लंबाई 300 मीटर और ऊंचाई 8.5 मीटर होगी। इसकी लागत 41.78 करोड़ रुपये है। ठेकेदार के पक्ष में 21.10 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं।

राज्य ब्यूरो, जम्मू। उप मुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने बुधवार को सदन में बताया कि रामबन जिले में चिनाब नदी पर 41.78 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला मैत्रा रामबन पुल अगस्त 2026 तक पूरा हो जाएगा। विधायक अर्जुन सिंह राजू के तारांकित प्रश्न के जवाब में उन्होंने बताया कि इस परियोजना को समय पर पूरा करने के लिए काम में तेजी लाई गई है।
एनएचएआई से नहीं मिली थी अनुमति
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उपमुख्यमंत्री ने सदन को बताया कि सीआरआइएफ (central road and infrastructure fund) के तहत स्वीकृत मैत्रा रामबन में चिनाब नदी पर पुल के निर्माण में देरी हुई है क्योंकि एनएचएआई (national highway authority of india) ने इस पुल को 4-लेन रामबन फ्लाईओवर के साथ जोड़ने की अनुमति नहीं दी।
उन्होंने बताया कि अब पुल को पुराने एनएच के साथ जोड़ने की योजना है। इसलिए पुल की ऊंचाई 8.5 मीटर और बढ़ाई जा रही है। पुल की लंबाई भी 30 मीटर से बढ़ाकर 300 मीटर की जा रही है।
ढलाई का चल रहा है काम, ठेकेदार को दिए जा चुके है भुगतान
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि दोनों एबटमेंट की नींव पूरी हो चुकी है जबकि मैत्रा की तरफ गैंट्री स्थापित हो चुकी है और ढलाई का काम चल रहा है। उन्होंने कहा कि रामबन की तरफ पियरहेड का काम चल रहा है और सेगमेंट/डेक स्लैब की ढलाई का काम शुरू हो गया है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि ठेकेदार द्वारा लोगों और मशीनरी को जुटाए जाने के कारण परियोजना में तेजी आई है। उन्होंने कहा कि स्वीकृत लागत 41.78 करोड़ रुपये में से अब तक ठेकेदार के पक्ष में 21.10 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं और पुल का निर्माण अगस्त 2026 तक पूरा होने की उम्मीद है।
व्यवस्था का आलम यह है कि 15 वर्ष पूर्व चिनाब के पानी से जम्मू के गले तर करने की योजना बनी अवश्य पर फाइल में ही दम तोड़ गई। यह योजना सिरे चढ़ जाती तो एक बार फिर शहर को 480 मिलीयन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) मिलता और तीन दशक तक के लिए शहर की परेशानी दूर हो जाती। बजट की कमी का हवाला देकर जम्मू की इस महत्वाकांक्षी चिनाब जलापूर्ति परियोजना पर सरकारों ने कदम नहीं आगे बढ़ाए और जम्मू बेजार होता रहा।
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