जम्मू में मरीजों के लिए संकट पैदा कर रही स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी, पांच मेडिकल कालेज और एक एमआरआइ
जम्मू में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी मरीजों के लिए एक गंभीर संकट पैदा कर रही है। शहर में पांच मेडिकल कॉलेज होने के बावजूद, मरीजों को आवश्यक स्वास्थ्य स ...और पढ़ें

स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के कारण मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
रोहित जंडियाल, जम्मू। सरकार ने जम्मू-कश्मीर में मेडिकल कालेज ताे स्थापित किए हैं लेकिन इनमें अभी भी सुविधाओं की भारी कमी बनी हुई है।
विशेषकर कई महंगे उपकरणों और मशीनरी के लिए अभी भी इंतजार करना पड़ रहा है। जम्मू संभाग के पांच मेडिकल कालेजों में से सिर्फ एक जीएमसी जम्मू में ही एमआरआइ की सुविधा है। कठुआ के लिए रुपये मंजूर हुए हैं लेकिन उसके लिए अभी इंतजार करना होगा।
जम्मू संभाग में इस समय जीएमसी जम्मू के अतिरिक्त कठुआ, राजौरी, डोडा और उधमपुर में मेडिकल कालेज हैं। जीएमसी जम्मू सबो पुराना करीब 53 वर्ष पहले स्थापित हुआ था। वर्तमान में सिर्फ इसी मेडिकल कालेज में एमआरआइ की सुविधा है।
इस मेडिकल कालेज में अभी दो मशीनें हैं लेकिन पुरानी होने के कारण खराब है और अब मरम्मत के काबिल भी नहीं है। यह मशीन ढाई दशक पुरानी हो चुकी है।पिछले छह से सात वर्ष के दौरान खुले किसी भी नए मेडिकल कालेज में एमआरआइ की सुविधा नहीं है।
जीएमसी जम्मू में ही है एमआरआइ
सिर्फ जीएमसी जम्मू में ही एमआरआइ होने के कारण कई बार मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ता है। उन्हें सात से आठ दिन के बाद भी जांच के लिए बुलाया जाता है। इस कारण मरीजों को विवश होकर निजी नैदानिक केंद्रों में जाना पड़ता है।
जीएमसी जम्मू में एमआरआइ के लिए मरीज को मात्र ढाई हजार रुपये ही देने पड़ते हैं जबकि निजी केंद्रों में उन्हें इसके लिए पांच से सात हजार रुपयों तक का भुगतान करना पड़ता है।लेकिन सरकार ने कभी भी इस ओर ध्यान नहीं दिया।
करीब दस वर्ष पहले सरकार ने पुणे की कृस्ना डायग्नोस्टिक को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत एक सीटी स्कैन और एक एमआरआइ लगाने के लिए कहा था। इसके लिए बकायदा तौर पर दोनों के बीच एमओयू भी हुआ था लेकिन सीटी स्कैन मशीन तो लगी मगर एमआरआइ किसी ने नहीं लगाई।यह एक राजनीतिक फैसला बन कर रह गया।
कठुआ में नए वर्ष में लगेगी एमआरआइ
कठुआ मेडिकल कालेज के लिए सरकार ने 1.5 टेस्ला वाली एमआरआइ मशीन खरीदने के लिए 17,98,43461 रुपये मंजूर किए हुए हैं। जम्मू-कश्मीर मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन इसकी खरीददारी कर रही है लेकिन अभी इसके लिएा मरीजों को लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ सकती है।
वहीं अन्य किसी भी मेडिकल कालेज में अभी यह सुविधा नहीं है। जीएमसी राजौरी में भी एमआरआइ के लिए प्रयास हो रहे हैं लेकिन अभी कोई सफलता नहीं मिली है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस बार के बजट में मशीनरी और उपकरणों के लिए 400 करोड़ रुपयों का आवंटन किया था लेकिन इससे एमआरआइ कब आएगी कुछ भी नहीं कहा जा सकता।
सरकार के पास कई विकल्प
स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के लिए काम कर चुके डा. संदीप गुप्ता का कहना है कि सरकार के पास कई विकल्प हैं। सरकार चाहे तो पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत सभी नए मेडिकल कालेजों में एमआरआइ लगा सकती है। लेकिन इसके लिए इच्छाशक्ति चाहिए। उनका कहना है कि बहुत से प्रदेशों में ऐसा है।
इससे मरीजों को राहत मिलेगी और उन्हें सरकार शूल्क पर मेडिकल कालेज में ही सुविधा मिल जाएगी। कृस्ना डायाग्नोस्टिक इसका एक उदहारण है। इस समय बाजार में 1.5 टेस्ला एमआरआइ की कीमत 12 से 17 करोड़ के बीच है। कोई भी निजी क्षेत्र में काम करने वाली कंपनी यह लगा देगी।
क्या है एमआरआइ
एमआरआइ का उपयोग हड्डियों और जोड़ों की समस्याओं, रीढ़ की हड्डी की समस्याओं, हड्डियों में संक्रमण सहित कई प्रकार के रोगों के निदान के लिए किया जाता है।इसीलिए मरीजों को जीएमसी जम्मू में ही आना पड़ता है।

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