Jammu and Kashmir: सियासी जमीन को बचाने के लिए तिरंगे की छांव में आईं महबूबा
महबूबा मुफ्ती ने कभी राज्य का दर्जा हटाने पर कश्मीर में तिरंगा थामने वाला कोई कंधा न मिलने की धमकी देने वालीं पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती शनिवार को खुद उसी राष्ट्रध्वज के नीचे अपनी सियासी जमीन बचाते नजर आईं।

सुमित शर्मा, जम्मू : यह वही कश्मीर है और वही कश्मीरी जनता। अनुच्छेद 370 हट चुका है और लोगों के हाथों में तिरंगा है। कभी राज्य का दर्जा हटाने पर कश्मीर में तिरंगा थामने वाला कोई कंधा न मिलने की धमकी देने वालीं पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती शनिवार को खुद उसी राष्ट्रध्वज के नीचे अपनी सियासी जमीन बचाते नजर आईं। मौका, राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का जरूर था, लेकिन आसपास पहाड़ों पर, खेतों में, घरों की छतों पर और सड़क के आसपास लहराते तिरंगे बता रहे थे कि कश्मीर अब बदल चुका।
आतंकवाद, अलगाववाद और केंद्र को धमकाने की सियासत के दिन लद चुके। यही वजह थी कि चेहरे पर मुस्कान लिए महबूबा मुफ्ती अपनी मां व बेटी के साथ तिरंगे की छांव में सड़क पर कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़तीं नजर आईं। कश्मीर में बरसों से ब्लैकमेल और कट्टरवाद की भट्ठी पर राजनीतिक रोटियां सेंकी जाती रही हैं। कभी पाकिस्तान का राग तो कभी अलगाववाद की सियासत। यही कारण रहा कि हालात में सुधार नहीं आया।
पांच अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 हटने के बाद विकास, शांति और विश्वास की जगी उम्मीद अब हकीकत बनती जा रही है। जम्मू कश्मीर में इस समय भारत जोड़ो यात्रा जारी है। जम्मू के बाद जब यात्रा ने बनिहान में नवयुग सुरंग को पार कर कश्मीर में प्रवेश किया तो आसपास मैदानों से लेकर पहाड़ों पर पड़ी सफेद बर्फ की चादर पर कतारों में खड़े लोगों के हाथों में तिरंगे ही तिरंगे नजर आए। शनिवार को यात्रा कभी आतंक की नर्सरी रहे पुलवामा से गुजरी, लेकिन कहीं भी कोई डर का माहौल नहीं।
यात्रा को कश्मीर में दो दिन हो चुके हैं। पहले दिन नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला यात्रा में शामिल हुए। दूसरे दिन अवंतीपोरा में महबूबा मुफ्ती अपनी मां गुलशन मुफ्ती और बेटी इल्तिजा मुफ्ती के साथ यात्रा में जुड़ीं। उमर और महबूबा ने इस यात्रा को कश्मीरियों के लिए एक नयी उम्मीद बताया। जाहिर है, आने वाले दिनों में जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने हैं, ऐसे में दोनों का यात्रा में शामिल होना काफी कुछ बयान करता है।
आज नहीं तो कल यह होना ही था
राजनीतिक विशेषज्ञ और सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी एसपी दत्ता ने कहा कि यह आज का जम्मू कश्मीर है। अब यहां अलगाववाद की सियासत नहीं बदलाव, विकास की सियासत चलेगी। पत्थरबाजी अब इतिहास बन चुकी, अलगावाद और आतंकी हिंसा लगभग समाप्ति की ओर है। देश-विदेश के निवेशक जम्मू कश्मीर में निवेश करने आगे आ रहे हैं।
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इसी वर्ष जी-20 का एक सम्मेलन भी यहां होने वाला है। अब हर 15 अगस्त और 26 जनवरी को श्रीनगर में लाल चौक को तिरंगे के रंग से विशेष तौर पर सजाया जाता है। उन्होंने महबूबा के तिरंगे की छांव तले आने पर चुटकी लेते हुए कहा कि यह आज नहीं तो कल होना ही था।
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