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    'वे शहीद नहीं गद्दार थे...', जम्मू-कश्मीर विधानसभा में BJP विधायक के बयान पर हंगामा, स्पीकर ने टिप्पणी को बताया अपमानजनक

    Updated: Wed, 05 Mar 2025 10:35 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर विधानसभा में बुधवार को विपक्ष के नेता सुनील शर्मा के गद्दार वाले बयान पर भारी हंगामा हो गया। इसके बाद भारतीय जनता पार्टी के विधायक जम्मू-कश्मीर विधानसभा से तब वॉकआउट कर गए जब स्पीकर अब्दुल रहीम राथर ने 13 जुलाई 1931 के शहीदों के बारे में विपक्ष के नेता की टिप्पणी को अपमानजनक टिप्पणी करार देते हुए उसे सदन की कार्यवाही से हटाने की घोषणा कर दी।

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    जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 'गद्दार' वाले बयान पर हंगामा (जागरण फोटो)

    राज्य ब्यूरो, जम्मू। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में बुधवार को विपक्ष के नेता और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुनील शर्मा के ‘गद्दार’ वाले बयान पर भारी हंगामा हो गया। उसके बाद भारतीय जनता पार्टी के विधायक जम्मू-कश्मीर विधानसभा से तब वॉकआउट कर गए, जब स्पीकर अब्दुल रहीम राथर ने 13 जुलाई, 1931 के शहीदों के बारे में विपक्ष के नेता की टिप्पणी को अपमानजनक टिप्पणी करार देते हुए उसे सदन की कार्यवाही से हटाने की घोषणा कर दी।

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    विपक्षी सदस्यों भाजपा व सत्तापक्ष नेकां की तरफ से नारे लगाए गए। मामला उस समय गरमाया जब पीडीपी विधायक वहीद-उर-रहमान परा ने उपराज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस में भाग लेना शुरू किया।

    उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के लोग पिस रहे हैं। कश्मीर में कई लोगों को जेलों में बंद किया गया है। मकान अटैच किए जा रहे हैं। उन्होंने द्वारा 13 जुलाई और 5 दिसंबर को सार्वजनिक अवकाश बहाल करने की मांग की।

    उन्होंने 13 जुलाई 1931 में महाराजा हरि सिंह के खिलाफ बगावत करने वालों को शहीद करार देते हुए अवकाश बहाल करने की मांग की। विपक्ष के नेता सुनील शर्मा ने इन शहीदों के बारे में टिप्पणी की जिस पर सत्तापक्ष के विधायक नेशनल कॉन्फ्रेंस भड़क गई।

    नेकां और बीजेपी विधायकों में बहस

    नेकां विधायकों व भाजपा के बीच तीखी बहस हो गई और हंगामा हो गया। स्पीकर ने शांत करने के प्रयास किए लेकिन दोनों तरफ से नारेबाजी शुरू हो गई। भाजपा ने महाराजा हरि सिंह जिंदाबाद के नारे लगाए। सुनील शर्मा ने कहा कि महाराजा की देन कई अस्पताल कई चीजें हैं।

    उन्होंने पीडीपी से कहा कि जब आप हमारे साथ तो उस समय कितने लोग मारे गए तब आपने आंसू नहीं बहाए। नेकां विधायकों ने जोर देकर कहा कि सुनील शर्मा की टिप्पणी को सदन की कार्यवाही से हटाया जाए। इस बीच माकपा के विधायक मोहम्मद युसूफ, कांग्रेस के विधायक निजाम-उद-दीन भट्ट ने भी टिप्पणी को हटाने की मांग की।

    स्पीकर ने की शर्मा की टिप्पणी हटाने की घोषणा

    सत्ता पक्ष नेकां के सदस्यों के हंगामा करने पर स्पीकर ने शर्मा की टिप्पणी को हटाने की घोषणा की, जिसके बाद भाजपा के सभी सदस्यों ने वॉकआउट किया। सदन से बाहर बातचीत करते हुए सुनील शर्मा ने कहा कि महाराजा के खिलाफ विद्रोह करने वाले शहीद नहीं बल्कि देशद्रोही थे।

    भाजपा के सदस्यों के वॉकआउट करने के बाद पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के विधायक सज्जाद लोन ने स्पीकर से कहा कि 13 जुलाई को अवकाश का प्रस्ताव अब पारित कर ही देना चाहिए। चूंकि यह मामला उठा हैं। उन्होंने यह भी कि जो इसके लिए हक में हैं वो हाथ खड़े करें और इस बीच नेकां के कुछ विधायकों ने हाथ भी खड़े कर लोन का समर्थन किया।

    13 जुलाई को मनाया जाता है अवकाश

    बताते चलें कि 13 जुलाई को जम्मू-कश्मीर में सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाया जाता था, जिसमें 1931 में श्रीनगर केंद्रीय जेल के बाहर डोगरा महाराजा के सैनिकों की गोलियों से 22 लोग मारे गए थे। हालांकि, शेख अब्दुल्ला के जन्मदिन के संबंध में 5 दिसंबर के अवकाश के साथ यह अवकाश 2019 के बाद उपराज्यपाल प्रशासन द्वारा समाप्त कर दिया गया था।

    वॉकआउट करने के बाद विधानसभा से बाहर पत्रकारों से बातचीत में सुनील शर्मा ने कहा कि यह बहुत बदकिस्मती है कि स्पीकर नेकां के कार्यकर्ता के तरीके से व्यवहार कर रहे हैं। पीडीपी ने महाराजा के खिलाफ विद्रोह करने वालों को शहीद कहने की संज्ञा दी थी और नेकां ने इसका समर्थन किया।

    उन्होंने कहा,  वो शहीद नहीं थे बल्कि बगावती थे, गद्दार थे। साल 1931 पहले कश्मीरी हिंदुओं की दुकानों को जलाया गया फिर महाराजा के खिलाफ विद्रोह किया गया। उन्होंने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस की खुश करने की नीति हमेशा से रही है।

    जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद समाप्त करने के बाद अवकाश को खत्म कर दिया गया था। अब फिर से मांग कर रहे है लेकिन ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। जब इस तरह की कोशिशें होगी तो हम चुप नहीं बैठेंगे।

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