इस बार हाथी पर होगा मां दुर्गा का आगमन, 29 सिंतबर से शुरू होंगे शारदीय नवरात्र
रविवार और सोमवार को प्रथम पूजा यानी कलश स्थापना होने पर मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं शनिवार और मंगलवार को कलश स्थापना होने पर माता का वाहन घोड़ा होता है
जम्मू, जागरण संवाददाता। मंदिरों के शहर जम्मू में मां दुर्गा के स्वागत की तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। शारदीय नवरात्र का शुभारंभ 29 सितंबर रविवार को हो रहा है और इस बार मां दुर्गा का आगमन हाथी पर होगा। विद्वानों की मानें तो यह साल किसानों यानी कृषि उत्पादों के लिए बेहतर होगा। माना जाता है कि जिस वर्ष माता का आगमन हाथी पर होता है, उस साल खूब वर्षा भी होती है।
नौ दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में मां भगवती के नौ रूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री देवी की पूजा की जाती है। अश्विन मास के इन नवरात्रों को ‘शारदीय नवरात्र’ कहा जाता है क्योंकि इस समय शरद ऋतु होती है, इस व्रत में नौ दिन तक भगवती दुर्गा का पूजन, दुर्गा सप्तशती का पाठ स्वयं या विद्वान पण्डित जी से करवाना चाहिए।
हाथी पर सवार होकर आ रही मां दुर्गा
देवीभागवत में बताया गया है कि ‘शशिसूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे। गुरौ शुक्रे च दोलायां बुधे नौका प्रकीर्त्तिता’ अर्थात- रविवार और सोमवार को प्रथम पूजा यानी कलश स्थापना होने पर मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं, शनिवार और मंगलवार को कलश स्थापना होने पर माता का वाहन घोड़ा होता है, गुरुवार और शुक्रवार के दिन कलश स्थापना होने पर माता डोली पर चढ़कर आती हैं, जबकि बुधवार के दिन कलश स्थापना होने पर माता नाव पर सवार होकर आती हैं।
शुभ मुहुर्त में करें साख स्थापित
शारदीय नवरात्रे के विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ने बताया की अश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक यह व्रत किये जाते हैं। इस वर्ष 29 सिंतबर रविवार से शुरू होने वाले यह नवरात्र 7 अक्टूबर सोमवार तक चलेंगे। नवरात्र की शुरुआत घटस्थापना, अखण्ड ज्योति जलाने तथा देवी दुर्गा की साख लगाने से होगी। जिसका शुभ मुहूर्त 29 सितंबर सुबह 6:27 से 10.27 मिनट तक और अभिजीत मुहूर्त दिन में 12.06 बजे से दोपहर 12.54 बजे तक है।
नवरात्र ही शक्ति पूजा का समय
नवरात्र ही शक्ति पूजा का समय है इसलिए नवरात्र में ही नौ देवी शक्तियों की पूजा करनी चाहिए। इस वर्ष 6 अक्टूबर को श्रीदुर्गाष्टमी तथा 7 अक्टूबर को महानवमी होगी। माता के कुछ भक्त श्री दुर्गाष्टमी तो कुछ महानवमी को भगवती दुर्गा देवी के 9 दिन चलने वाले यज्ञ में पूर्णाहुति देते हैं। साथ में दुर्गा देवी की साख जल में विसर्जित करते हैं। व्रत का पारण भी इसी दिन किया जाता है। इस दिन नैवेद्य, चना, हलवा, खीर आदि से भोग लगाकर कन्या तथा छोटे बच्चों को भोजन कराना चाहिए।
शक्ति की उपासना करने वालों के लिए भी यह नवरात्र शुभ
तांन्त्रिकों व तंत्र-मंत्र में रुचि रखने वाले व्यक्तियों के लिये नवरात्रों का समय अधिक उपयुक्त रहता है। गृहस्थ व्यक्ति भी इन दिनों में भगवती दुर्गा की पूजा आराधना कर अपनी आन्तरिक शक्तियों को जागृत करते हैं। इन दिनों में साधकों के साधन का फल व्यर्थ नहीं जाता है। इन दिनों में दान पुण्य का भी बहुत महत्व कहा गया है।
तामसिक वस्तु का सेवन न करें
नवरात्रों के दिनों में किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। इन दिनों में शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। इसके शरीर पर ही नहीं, आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम होते है। नवरात्रों के दोरान सेहत के अनुसार ही व्रत रखें। हो सके तो इन दिनों में फल आदि का सेवन ज्यादा करें। रोजाना सुबह और शाम को माँ दुर्गा का पाठ अवश्य करें।