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    Jammu Kashmir : आदिवासी कल्याण के लिए आबादी के अनुपात में हो धन आवंटित, विकास के लिए भी धन निर्धारित किया जाएगा

    By Rahul SharmaEdited By:
    Updated: Tue, 30 Aug 2022 08:52 AM (IST)

    जिला उपायुक्त की अध्यक्षता वाली जिला योजना और निगरानी समिति तथा अध्यक्ष ब्लाक विकास परिषद की अध्यक्षता में ब्लाक स्तरीय समितियां कार्यान्वयन की निगरानी करेंगी। जनजातीय अनुसंधान संस्थान को क्षमता निर्माण और नियोजन का कार्य सौंपा गया है।

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    समिति ने जम्मू-कश्मीर ईएमआरएस सोसायटी के कार्यों की भी समीक्षा की।

    जम्मू, राज्य ब्यूरो : मुख्य सचिव डा. अरुण कुमार मेहता ने सभी विभागों को आदिवासी मामले विभाग की सलाह पर समग्र बजट आवंटन में से आदिवासी उप योजना तैयार करने और नियमित परिणाम मूल्यांकन करने का निर्देश दिया। यह पहली बार है कि सभी विभाग आदिवासी उप योजना तैयार करेंगे। केंद्रीय विकास योजनाओं, कैपेक्स, नाबार्ड और अन्य विशेष योजनाओं के तहत विभाग आदिवासी गांवों के लिए विशिष्ट धन आवंटित करेंगे।

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    यह निर्णय लिया कि जम्मू कश्मीर में आदिवासी आबादी के अनुपात में सभी विभागों और जिलों द्वारा केंद्र प्रायोजित योजनाओं और यूटी कैपेक्स दोनों के तहत जनजातीय गांवों में विकास के लिए धन निर्धारित किया जाएगा। सड़क संपर्क, बिजली आपूर्ति, पेयजल, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा को प्राथमिकता देते हुए लाभार्थी उन्मुख योजनाओं और कल्याणकारी बुनियादी ढांचे पर विशेष जोर दिया जाएगा। यह निर्णय आदिवासी विकास परियोजनाओं और पहलों को मंजूरी देने के लिए आदिवासी योजना की राज्य कार्यकारी समिति और केंद्र शासित प्रदेश स्तरीय समन्वय समिति की बैठक में हुए। इसकी अध्यक्षता मुख्य सचिव ने की।

    उन्होंने विभागों से कहा कि सभी आदिवासी परिवारों को कवर करके विभिन्न योजनाओं के तहत उनका पंजीकरण कर उनमें योजनाओं का लाभ सुनिश्चित करें। समिति ने वर्तमान वित्तीय वर्ष के दौरान प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत 134 आदिवासी गांवों को माडल गांवों के रूप में विकसित करने की योजना को मंजूरी दी, जिसके लिए 20 लाख प्रति गांव की र्फंंडग जारी की जाएगी जबकि अन्य सभी विभाग केंद्र प्रायोजित योजना के तहत अपने अनुसूचित जनजाति घटक का 43 प्रतिशत आवंटित करेंगे। जिला उपायुक्त की अध्यक्षता वाली जिला योजना और निगरानी समिति तथा अध्यक्ष, ब्लाक विकास परिषद की अध्यक्षता में ब्लाक स्तरीय समितियां कार्यान्वयन की निगरानी करेंगी। जनजातीय अनुसंधान संस्थान को क्षमता निर्माण और नियोजन का कार्य सौंपा गया है।

    एक अन्य ऐतिहासिक पहल में यूटीएलसीसी ने आदिवासी परिवारों के 90,000 सदस्यों को सीधे लाभ पहुंचाने के लिए 4500 आदिवासी स्वयं सहायता समूहों की स्थापना के लिए 45.00 करोड़ के अनुदान को मंजूरी दी। भंडारण और विपणन सुविधाओं के लिए 10 करोड़ भी स्वीकृत किए गए। जनजातीय मामले विभाग ने 30,000 से अधिक भेड़ किसानों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से मैकेनिकल शीर्यंरग मशीन, स्र्किंलग, ऊन संग्रह केंद्रों की स्थापना, ऊन की छंटाई, ग्र्रेंडग और विपणन सुविधाओं की स्थापना हके लिए 25 करोड़ रुपये की परियोजना का प्रस्ताव दिया। समिति ने वित्त पोषण के लिए परियोजना को मंजूरी दी और सिफारिश की।

    ईएमआरएस सोसायटी के कार्यों की भी समीक्षा : समिति ने जम्मू-कश्मीर ईएमआरएस सोसायटी के कार्यों की भी समीक्षा की। बताया कि एक वर्ष में 6 आदर्श आवासीय विद्यालयों का संचालन किया है। इसने 10 नए एकलव्य माडल आवासीय विद्यालय की स्थापना पर विचार किया और सिफारिश की जिसके लिए भूमि निर्धारित की गई है। इनमें शोपियां, डोडा में गंडोह, पुलवामा में त्राल, राजौरी में खवास और बुदल, पुंछ में सुरनकोट, किश्तवाड़ में पड्डर, रियासी में माहौर, गांदरबल में कंगन, कुपवाड़ा में कालारूस शामिल हैं। विभाग ने बनी, रामनगर, कुलगाम और पुंछ के लिए आवासीय विद्यालय भी प्रस्तावित किए।

    प्रस्तावों पर विस्तृत प्रस्तुति दी : इससे पहले, सचिव, जनजातीय मामले विभाग ने विभिन्न प्रस्तावों पर विस्तृत प्रस्तुति दी, जिसमें क्रमश: 976 करोड़ रुपये और 154 करोड़ रुपये की जनजातीय उप-योजना शामिल है। प्रमुख सचिव जल शक्ति शालीन काबरा, प्रमुख सचिव पीडब्ल्यूडी शैलेंद्र कुमार, प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा रोहित कंसल, प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा आलोक कुमार, प्रमुख सचिव कौशल विकास असगर समून के अलावा आयुक्त-सचिव संजीव वर्मा, सौरभ भगत भी मौजूद थे।